Tycoons of India: “टायकून्स ऑफ इंडिया” सीरीज के दूसरे एपिसोड में Dr Vivek Bindra ने बताई बिजनेसमैन अज़ीम प्रेमजी की संघर्ष से सफलता की कहानी

“टायकून्स ऑफ इंडिया” सीरीज के दूसरे एपिसोड में Dr Vivek Bindra ने बताई बिजनेसमैन अज़ीम प्रेमजी की संघर्ष से सफलता की कहानी
सिर्फ 21 साल की उम्र में जब उन्हें बिजनेस की बागडोर संभालनी थी तब उनके ही शेयरहोल्डर्स ने ही उन पर सवाल खड़े कर दिए।

मोटिवेशनल स्पीकर और बिजनेस कोच डॉ विवेक बिंद्रा सालों से अपने बिजनेस लेसन्स और केस स्ट्डीज के लिए पहचाने जाते हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी नई यूट्यूब सीरीज “टायकून्स ऑफ इंडिया” में भारत के एक वक्त पर सबसे अमीर बिजनेसमैन रहे अज़ीम प्रेमजी के बारे में बात की।

इस वीडियो में डॉ बिंद्रा ने अज़ीम प्रेमजी की बिजनेस जर्नी के बारे में बात की और बताया कि कैसे कभी देश के सबसे अमीर बिजनेसमैन रहे अज़ीम प्रेमजी ने अपना ये नंबर वन रहने का पायदान खो दिया। अज़ीम प्रेमजी को अपने बिज़नेस की शुरुआत शुरू से तो नहीं करनी पड़ी क्योंकि उनके दादाजी ने इस बिजनेस कंपनी की नींव डाली थी।

उनके पिता मोहम्मद हाशिम प्रेमजी को “राइस किंग ऑफ बर्मा” के नाम से जाना जाता था। उस समय अंग्रेजों का शासन हुआ करता था, उनके कुछ रूल्स की वजह से वो बर्मा से भारत तक राइस ट्रेडिंग नहीं कर पा रहे थे। जिसके बाद उन्होंने भारत आकर अपना नया बिजनेस शुरू किया और अपनी कंपनी Wipro की शुरुआत की।

पिता की मृत्यु के कारण कम उम्र में संभालनी पड़ी बिजनेस की बागडोर

अज़ीम प्रेमजी की बिजनेस जर्नी एक दुखद मोड़ पर शुरू हुई, 21 साल की उम्र में जब वो स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी में अपनी पढ़ाई कर रहे थे तब उन्हें अपने पिता की मृत्यु की ख़बर मिली। जिसके बाद सबकुछ छोड़कर उन्हें भारत आना पड़ा। इस दौरान उन्हें पिता के जाने का दुःख और क़र्ज़ में डूबी कंपनी दोनों को एकसाथ संभलना था।

सिर्फ 21 साल की उम्र में जब उन्हें बिजनेस की बागडोर संभालनी थी तब उनके ही शेयरहोल्डर्स ने ही उन पर सवाल खड़े कर दिए। लेकिन अज़ीम प्रेमजी ने हालात के आगे घुटने नहीं टेके और आगे बढ़ते रहे, उनकी काबिलियत का सबूत आज पूरी दुनिया के सामने है। चावल और तेल के साथ शुरू हुआ ये बिजनेस को उन्होंने आगे बढ़ाया कि आज वो अनेकों क्षेत्र में काम करते हैं।

अज़ीम प्रेमजी के पास समय से आगे सोचने की क्षमता थी, 1970 के दशक में ही उन्होंने समझ लिया था कि कंप्यूटर्स ही आने वाले समय का भविष्य हैं। इसीलिए 1978 में जब विदेशी कंपनी IBM भारत छोड़कर गई तो इन्होंने भारत में ही कंप्यूटर मैन्युफैक्चरिंग शुरू की और भारत के मार्केट में अपना कब्ज़ा जमा लिया।

बहुत ज्यादा दान करने के कारण नहीं बन सके देश के सबसे अमीर बिजनेसमैन

आनंद महिंद्रा जितने सफल बिजनेसमैन हैं उतने ही दानवीर भी हैं। इस बात सबूत ये है कि साल 2000 में ये देश के सबसे अमीर बिजनेसमैन थे कई साल तक रहे लेकिन आज ये 17वें पायदान पर आ चुके हैं। इसका कारण ये नहीं है कि इन्हें बिजनेस में मुनाफा होना कम हो गया है, कारण ये है कि ये अपने मुनाफे का बहुत बड़ा हिस्सा ये दान कर देते हैं।

आज अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन में पूरी एक टीम है जो उस पैसे को समाज के भले के लिए अच्छे से इस्तेमाल करने पर काम करती है। आज इन्होंने 3600 स्कूल्स को अडॉप्ट किया हुआ है और 1150 NGO के साथ मिलकर ये काम करते हैं। इन्हें भारत का “बिल गेट्स ऑफ इंडिया” और आज के दौर का “दानवीर कर्ण” माना जाता है।

अज़ीम प्रेमजी की ये बिजनेस जर्नी सभी के लिए प्रेरणा है, ऐसे ही और भी सफल बिजनेस टायकून्स की कहानियों को डॉ विवेक बिंद्रा अपनी इस “टायकून्स ऑफ इंडिया” सीरीज में बताने वाले हैं। ये सीरीज उनके यूट्यूब चैनल पर देखी जा सकती है जो अगले 52 हफ्तों तक चलेगी।

Created On :   27 Aug 2024 9:44 AM GMT

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