धार्मिक नगरी सतना में त्रिकोणीय मुकाबला, कांग्रेस और बीजेपी को मिलती है बीएसपी से टक्कर, जातीय वोटर्स निभाते हैं अहम भूमिका
- खेमे में बंटी कांग्रेस
- मतदाताओं का 40 फीसदी ओबीसी
- त्रिकोणीय मुकाबला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कुछ महीने ही शेष है, जिलेवार के राजनीतिक समीकरणों में आज हम सतना जिले की सात विधानसभाओं के चुनावी गणित के बारे में बताएंगे। सतना में सात विधानसभा सीट है, जिनमें चित्रकूट, रैगांव, सतना, नागौद, मैहर, अमरपाटन और रामपुर बाघेलान विधानसभा क्षेत्र शामिल है। सात सीटों पर भाजपा, कांग्रेस और बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होता आया है। विंध्य में आने वाले सात जिलों में एक सतना भी शामिल है। सतना जिले में कांग्रेस खेमे में बंटी नजर आ रही है। जिसका नुकसान चुनाव में भुगतना पड़ता था। जिले में ओबीसी मतदाताओं का 40 फीसदी है, जो किसी भी दल के हार जीत का फैसला करते है। सतना जिले में 7 सीट हैं, जिनमें से 4 पर बीजेपी और 3 पर कांग्रेस विराजमान है। सतना में 17.88 फीसदी जनसंख्या अनुसूचित जाति और 14.36 फीसदी जनसंख्या अनुसूचित जनजाति के लोगों की है
राजस्व देने के मामले में सतना जिला मध्य प्रदेश के अव्वल जिलों में शामिल है। सतना में बड़ी-बड़ी कंपनियां सीमेंट फैक्ट्रीज़ चल रही है, जो लोगों की सेहत और पर्यावरण से खिलवाड़ कर रही है। और वहां की आबोहवा में जहर घोल रही है। मध्यप्रदेश के औद्योगिक नगरों में शामिल सतना सीमेंट हब के तौर पर विख्यात है। औद्योगिक नगरी होने के बावजूद सतना विकास के नाम पर उपेक्षित रहा है। आज भी यहां की जनता सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य की बेसिक जरूरत के लिए तरस रही है। जिले के कई गांवों में आज भी कुपोषण के हालात गंभीर है।
सतना विधानसभा सीट
सतना विधानसभा सीट पर ब्राह्मण और व्यापारी वर्ग के मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाह ने तीन बार के जिताऊ बीजेपी प्रत्याशी को मात दी थी।
2018 में कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाह
2013 में बीजेपी के शंकरलाल तिवारी
2008 में बीजेपी के शंकरलाल तिवारी
2003 में बीजेपी के शंकरलाल तिवारी
1998 में कांग्रेस के सईद अहमद
1993 में बीजेपी के बृजेंद्र पाठक
1990 में बीजेपी के वृजेंद्र पाठक
1985 में कांग्रेस के लालता प्रसाद खरे
1980 में कांग्रेस के लालता प्रसाद खरे
1977 में कांग्रेस के अरूण सिंह
रामपुर बघेलान विधानसभा सीट
रामपुर बघेलान सीट 2013 से पहले कांग्रेस का गढ़ कही जाती थी, लेकिन 2013 के बाद से इस पर बीजेपी का कब्जा हो गया। इस सीट पर बसपा का भी वोट बैंक ठीक ठाक है, जो कभी भी जीत में कन्वर्ट हो सकता है। पिछले विधानसभा में यहां बीजेपी उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी।
2018 बीजेपी के विक्रम सिंह
2013 में बीजेपी के हर्ष सिंह
2008 में बीएसपी के रामलखन सिंह
चुनाव में यहां बीएसपी मजबूत स्थिति में नजर आती है, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनानी नतीजों में बीएसपी इस सीट पर दूसरें नंबर पर रही , जबकि 2008 में बीएसपी के रामलखन सिंह ने जीत दर्ज की थी।
अमरपाटन विधानसभा सीट
सीट पर ब्राह्मण-पटेल वोटरों का दबदबा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां से बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। अमरपाटन पर बीजेपी कांग्रेस और बीएसपी के बीट त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलता है। अमरपाटन में ब्राह्मण और ओबीसी के पटेल वोटरों का दबदबा बै। यहां बीएसपी का जनाधार भी देखने को मिलता है।
अमरपाटन विधानसभा
2018 में बीजेपी के रामखेलावन पटेल
2013 में कांग्रेस के राजेंद्र कुमार सिंह दादाभाई
2008 में बीजेपी के रामखेलावन पटेल
2003 में कांग्रेस के राजेंद्र सिंह
1998 में कांग्रेस के शिवमोहन सिंह
1993 में राजेंद्र कुमार सिंह
1990 में बीजेपी के रामहेत
1985 में बीजेपी के रामहेत
1980 में कांग्रेस के राजेंद्र कुमार सिंह
1977 में जेएनपी से रामहेत
चित्रकूट विधानसभा सीट
पिछले चुनाव में चित्रकूट विधानसभा सीट कांग्रेस के हाथ में गई थी।
चित्रकूट
2018 में कांग्रेस के नीलांशु चतुर्वेदी
2013 में कांग्रेस के प्रेम सिंह
2008 में बीजेपी के सुरेंद्र सिंह गहरवार
2003 में कांग्रेस के प्रेम सिंह
1998 में कांग्रेस के प्रेम सिंह
1993 में बीएसपी के गणेश
1990 में जेडी के रामनंद सिंह
1985 में कांग्रेस के रामचंद्र बाजपेयी
1980 में कांग्रेस के रामचंद्र बाजपेयी
1977 में जेएनपी के रामानंद सिंह
नागौद विधानसभा सीट
नागौद सीट पर क्षत्रिय जाति का वोटों का बोल बोला है। इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलती है। 2018 के विधानसभा चुनाव में नागौद सीट पर बीजेप का कमल खिला था।
2018 में बीजेपी के नागेंद्र सिंह
2013 में कांग्रेस के यदवेंद्र सिंह
2008 में बीजेपी के नागेंद्र सिंह
2003 में आरएसएमडी के हर्ष सिंह
1998 में बीजेपी के प्रभाकर सिंह
1993 में बीएसपी के रामलखन सिंह
1990 में जेडी के तोशन सिंह
1985 में कांग्रेस के हर्ष सिंह
1980 में कांग्रेस के हर्ष सिंह
1977 में जेएनपी के प्रभाकर सिंह
रैगांव विधानसभा सीट
रैगांव अनुसूचित जाति और कुशवाह जाति वोट बाहुल्य सीट है। रैगांव पर साल 2013 में बसपा प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। पिछले विछानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस ने विजय प्राप्त की थी।
रैगांव
2021 उपचुनाव में कांग्रेस की कल्पना वर्मा
2018 में बीजेपी की जुगल किशोर बागरी
2013 में बीएसपी की ऊषा चौधरी
2008 में बीजेपी के जुगल किशोर
2003 में बीजेपी के जुगल किशोर
1998 में बीजेपी के जुगल किशोर
1993 में बीजेपी के जुगल किशोर
1990 में जेडी के धीरेंद्र सिंह धीरू
1985 में कांग्रेस के रामश्री प्रसाद
1980 में कांग्रेस के रामश्री प्रसाद
1977 में जेएनपी विश्वेश्वर प्रसाद
मैहर विधानसभा सीट
साल 2013 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के नारायण त्रिपाठी ने जीत हासिल की थी। फरवरी 2016 में हुए उपचुनाव में उन्होंने कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक बने। करीब 2.12 लाख मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में ब्राह्मणों का वोट निर्णायक माना जाता है।
2018 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा ने जीत हासिल की थी।
मैहर विधानसभा सीट
2018 में बीजेपी के नारायण त्रिपाठी
2013 में कांग्रेस के नारायण प्रसाद
2008 में बीजेपी के मोतीलाल तिवारी
2003 में एसपी के नारायण त्रिपाठी
1998 में कांग्रेस के वृन्दावन बड़गैंया
1993 में कांग्रेस के मथुराप्रसाद पटेल
1990 जेडी के नारायण सिंह
1985 में निर्दलीय लालजी पटेल
1980 में कांग्रेस के विजय नारायण
1977 में जेएनपी के नारायण सिंह