स्काईरूट एयरोस्पेस परीक्षण ने 3डी प्रिंटेड क्रायोजेनिक इंजन का किया सफल परीक्षण
परीक्षण स्काईरूट एयरोस्पेस परीक्षण ने 3डी प्रिंटेड क्रायोजेनिक इंजन का किया सफल परीक्षण
डिजिटल डेस्क, चेन्नई। निजी रॉकेट निर्माता स्काईरूट एयरोस्पेस ने मंगलवार को कहा कि उसने अपने 3डी प्रिंटेड क्रायोजेनिक इंजन धवन-2 का 200 सेकंड तक सफलतापूर्वक परीक्षण किया। स्काईरूट एयरोस्पेस के अनुसार, कंपनी के स्वदेशी रूप से विकसित मोबाइल क्रायोजेनिक इंजन परीक्षण पैड का उपयोग करके नागपुर, महाराष्ट्र में सौर उद्योग प्रणोदन परीक्षण सुविधा में परीक्षण किया गया था। यह उपलब्धि नवंबर 2022 में विक्रम-एस के लॉन्च के बाद आई है, जिसने स्काईरूट को अंतरिक्ष में रॉकेट भेजने वाली पहली भारतीय निजी कंपनी बना दिया।
स्काईरूट एयरोस्पेस के सह-संस्थापक और सीईओ पवन कुमार चंदना ने कहा, धवन-2 का सफल परीक्षण स्काईरूट और भारतीय निजी अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। हमें भारत के निजी अंतरिक्ष क्षेत्र में अत्याधुनिक क्रायोजेनिक तकनीकों को विकसित करने और 3डी प्रिंटिंग व ग्रीन प्रोपेलेंट्स जैसी उन्नत तकनीकों के साथ सीमा को आगे बढ़ाने पर गर्व है।
धवन-2 इंजन स्काईरूट के पहले निजी तौर पर विकसित पूर्ण-क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन, 1.0 किलो न्यूटन थ्रस्ट धवन-1 द्वारा रखी गई नींव पर बना है, जिसका नवंबर 2021 में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था। क्रायोजेनिक इंजन श्रृंखला का नाम एक प्रसिद्ध भारतीय रॉकेट वैज्ञानिक डॉ. सतीश धवन के सम्मान में रखा गया है, जिन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
स्काईरूट एयरोस्पेस के सह-संस्थापक और सीओओ नागा भरत डाका ने कहा : यह हमारे क्रायोजेनिक प्रणोदन कार्यक्रम के लिए एक प्रमुख मील का पत्थर है, जो अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहनों (रॉकेट) की विक्रम श्रृंखला की पेलोड क्षमता को बढ़ाएगा, जिससे उन्हें व्यापक ग्राहक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अधिक मॉड्यूलर बनाया जा सकेगा। पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित वी. ज्ञानगांधी, और स्काईरूट एयरोस्पेस में तरल और क्रायोजेनिक प्रणोदन का नेतृत्व करने वाले अनुभवी रॉकेट वैज्ञानिक के अनुसार, स्थिर दहन के साथ 200 सेकंड की निरंतर फायरिंग हासिल करना उत्साहजनक है।
ज्ञानगांधी ने कहा, हमारा 3डी प्रिंटेड धवन-2 इंजन 3डी प्रिंटेड टॉर्च इग्नाइटर और त्वरित प्रतिक्रिया समय के साथ एक बेलो एक्चुएटेड क्रायो-इंजेक्शन वाल्व का भी उपयोग करता है। यह हमारी टीम द्वारा एक उल्लेखनीय उपलब्धि है और हम एलएनजी के साथ अगली पीढ़ी के क्रायोजेनिक इंजन प्रौद्योगिकी के लिए मूल्यवान डेटा प्राप्त कर सकते हैं।
सोर्सः आईएएनएस
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