मध्यप्रदेश: श्रावण के पहले सोमवार भगवान श्री महाकाल मनमहेश स्वरूप में निकले नगर भ्रमण पर
- उज्जैन में भक्ति भावना और उमंग का उमड़ा सागर
- “भोले शंभु, भोलेनाथ” के जयकारों से गुंजायमान हुआ उज्जैन सवारी
- भजन मण्डलियों और पुलिस बैण्ड द्वारा दी गई आकर्षक प्रस्तुतियां
डिजिटल डेस्क, भोपाल। श्रावण मास के पहले सोमवार पर भगवान श्री महाकालेश्वर मनमहेश स्वरूप में नगर भ्रमण पर निकले। सवारी के निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर के सभामंडप में जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने भगवान श्री महाकालेश्वर का पूजन-अर्चन किया और आरती की। सर्वप्रथम भगवान श्री महाकालेश्वर का षोड़शोपचार से पूजन-अर्चन। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देशानुसार जल संसाधन मंत्री सिलावट बाबा महाकाल की सवारी में सम्मिलित हुए थे। उन्होंने सवारी में शामिल होकर रामघाट पर पालकी का पूजन भी किया।
विधायक बड़नगर जितेन्द्र पंड्या, तराना विधायक श्री महेश परमार, महापौर मुकेश टटवाल, नगर निगम सभापति कलावती यादव, हितानंद शर्मा, विशाल राजौरिया, बहादुर सिंह बोरमुंडला सहित गणमान्य नागरिकों ने भी बाबा महाकाल के मुखारविंद का पूजन किया। इसके बाद अवंतिकानाथ भगवान श्री मनमहेश के रूप में पालकी में सवार होकर अपनी प्रजा का हाल जानने और भक्तों को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकले। पालकी जैसे ही श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंची, सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में सवार भगवान श्री मनमहेश को सलामी (गार्ड ऑफ ऑनर) दी गई। सवारी मार्ग के दोनों ओर हजारों की संख्या में दर्शनार्थियों ने पालकी में विराजित श्री मनमहेश भगवान के दर्शन लाभ लिये।
जनजातीय कलाकारों ने बिखेरी कला संस्कृति की छटा
मुख्यमंत्री डॉ. यादव की मंशानुरूप बाबा महाकाल की सवारी में जनजातीय कलाकारों के दल ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की। धार जिले के जनजातीय कलाकारों ने अजय सिसौदिया के नेतृत्व में भील भगोरिया नृत्य के माध्यम से श्रद्धालुओं का मन मोहा। जनजातीय कलाकारों द्वारा ढोलकिया, पिप्री, मांदल आदि वाद्य यंत्रों के साथ आकर्षक नृत्य की प्रस्तुतियां दी गई।
“आ रही पालकी, जय श्री महाकाल” के जयकारों के साथ सम्पूर्ण उज्जैन नगरी हुई शिवमय
“आ रही पालकी, जय श्री महाकाल की” के जयकारों के साथ श्रावण के पहले सोमवार पर भगवान की सवारी के दौरान पूरी उज्जैन नगरी शिवमय हो गई। श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी में हजारों भक्त झांझ, मंजीरे, डमरू, ढोल आदि वाद्य बजाते हुए महाकाल की आराधना करते हुए पालकी के साथ उत्साहपूर्वक चले। श्री महाकालेश्वर की सवारी महाकाल मंदिर से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाडी, होते हुए रामघाट पहुंची।
रामघाट पर हुआ भगवान महाकाल का जलाभिषेक
भगवान श्री महाकालेश्वर की श्रावण मास की पहली सवारी महाकाल मंदिर से प्रस्थान कर जैसे ही रामघाट पहुँची, चारों ओर श्रद्धा और उल्लास का वातावरण हो गया। श्रावण में अपने सौन्दर्य की छटा बिखेरते हुए स्वयं प्रकृति भगवान श्री महाकाल का स्वागत करने के लिए आतुर थी। भगवान श्री महाकालेश्वर का पूजन और जलाभिषेक पुजारी श्री आशीष गुरु आदि द्वारा किया गया। भगवान महाकालेश्वर मनमहेश के स्वरुप में अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए शिप्रा तट पर पहुँचे। इसके पश्चात मां शिप्रा नदी के जल से भगवान का जलाभिषेक किया गया। पूजन के पश्चात पुरोहितों द्वारा रुद्रपाठ किया गया। श्री महाकालेश्वर भगवान की दूसरी सवारी 29 जुलाई सोमवार को निकलेगी।
चलित रथ के माध्यम से श्रद्धालुओं ने किये दर्शन
बाबा महाकाल की सवारी के सुगमतापूर्वक दर्शन के लिये श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रबंध समिति द्वारा चलित रथ की व्यवस्था की गई, जिसके दोनों ओर एलईडी के माध्यम से सवारी का लाईव प्रसारण किया गया। जिससे श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन लाभ लिये।
प्रशासन द्वारा किये गये सभी आवश्यक प्रबंध
बाबा महाकाल की सवारी के गरिमामय आयोजन के साथ श्रद्धालुओं के सुगम दर्शन के लिये जिला प्रशासन उज्जैन द्वारा सभी आवश्यक प्रबंध किये गये। वरिष्ठ अधिकारियों ने व्यवस्थाओं की सतत निगरानी की गई। पुलिस प्रशासन के 2 हजार से अधिक बल और वॉलेंटियर्स द्वारा व्यवस्थाओं को संभाला। ड्रोन के माध्यम से सवारी मार्ग की निगरानी की गई। सवारी के सुव्यवस्थित संचालन के लिये सवारी मार्ग पर मजबूत टू—लेअर बेरिकेडिंग की गई। श्रद्धालुओं के लिये सवारी मार्ग पर पेयजल की भी उत्तम व्यवस्था रही।
सवारी मार्ग की प्रमुख झलकियां
सवारी मार्ग पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल पर पुष्पवर्षा कर दर्शन लाभ लिये, सवारी मार्ग पर चहुंओर दर्शन के लिये भारी संख्या में जन-समूह उपस्थित रहा।
सवारी मार्ग पर जगह-जगह आकर्षक रंगोली बनाकर बाबा महाकाल की सवारी का स्वागत किया गया।
कई भक्तों ने आकर्षक स्वरूप धारण कर सवारी को शोभायमान किया।
भजन मण्डलियों में सैंकड़ों महिलाओं ने शिव स्तुतियां की। बच्चे उत्साहपूर्वक डमरू और मजीरे बजाते हुए सवारी में आगे-आगे चले।
विशाल ध्वज के साथ बाबा श्री महाकाल की पालकी निकाली गई।