नगरीय निकायों ने ओडीएफ में मारी छलांग-गत वर्ष की तुलना में 2.5 गुना अधिक निकाय हुये ओडीएफ!
नगरीय निकायों ने ओडीएफ में मारी छलांग-गत वर्ष की तुलना में 2.5 गुना अधिक निकाय हुये ओडीएफ!
डिजिटल डेस्क | जबलपुर प्रदेश के 248 नगरीय निकायों ने खुले में शौच की समस्या से मुक्ति प्राप्त करते हुये ओडीएफ से ओडीएफ भारत सरकार के मानदण्डों को पूर्ण कर प्रमाणीकरण प्राप्त किया है। गत वर्ष जहाँ मध्यप्रदेश के 378 निकायों में से 108 निकाय ही ओडीएफ प्रमाणीकरण प्राप्त करने में सफल हुये थे, वहीं इस वर्ष 248 नगरीय निकायों ने ओडीएफ प्रमाणीकरण प्राप्त किया है। साथ ही 71 निकाय ओडीएफ प्रमाण-पत्र प्राप्त करने में सफल हुये हैं। आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष की तुलना में लगभग 2.5 गुना निकायों ने ओडीएफ की कड़ी परीक्षा पास की है। ओडीएफ डबल प्लस प्रमाणीकरण के लिये मापदंड सेप्टिक टैंक से निकलने वाले स्लज/मल का उपचार फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट, सिवरेज ट्रीटमेट प्लांट या डीप रो इट्रेंच से हो। निकाय में 25 प्रतिशत सेप्टिक टैंक जियो टैग हो।
समस्त सार्वजनिक शौचालयों में मानक सुविधाएँ हो। शहर में कुल सेप्टिक टैंकों में से एक तिहाई सेप्टिक टैंकों से स्लज/मल प्रतिवर्ष खाली किया जा रहा हो। शत-प्रतिशत घरों में शौचालय की व्यवस्था हो। खुले में कहीं भी शौच या यूरिन नहीं पायी गई हो। शहर में कम से कम 25 प्रतिशत सार्वजानिक/सामुदायिक, स्टैंड आलोन यूरिनल को """"""""""""""""एस्पिरेशनल"""""""""""""""" के रूप में दर्जा दिया गया हो। सभी सेप्टिक टैंक का नियमित निरीक्षण हो। निकाय के पास बायलॉज हो। मेनपावर एवं डीस्लजिंग वाहन की पर्याप्त उपलब्धता हो। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया है कि सार्वजनिक/सामुदायिक शौचालय को स्वच्छ रखना हमारी प्राथमिकताओं में से एक है।
इस दिशा में निकायों ने निरंतर परिश्रम कर संवहनीयता बनाये रखने में प्रभावी योगदान दिया है। इसका परिणाम है कि 248 शहरों से अधिक निकाय ओडीएफ प्रमाणीकरण में सफल हुये हैं। हमें विश्वास है कि सभी निकायों के परिणाम आने पर 300 से अधिक नगरीय निकाय ओडीएफ प्रमाणीकरण प्राप्त करने में सफल होंगे। उन्होंने स्वच्छता की ओर प्रयास और परिणाम प्राप्त करने पर निकायों के मुख्य नगर पालिका अधिकारियों/ आयुक्त नगर निगम के नेतृत्व और स्वच्छता कर्मियों के परिश्रम की सराहना की है। ओडीएफ के मानदण्ड अत्यंत कठिन हैं, जिसके अंतर्गत निकाय में कुल उपलब्ध सार्वजनिक/सामुदायिक शौचालय के 25 प्रतिशत शौचालय उत्कृष्ठ मानदण्डों के होने चाहिये।
इसमें मुख्य रूप से पानी की निरंतरता, प्रकाश व्यवस्था, सेनेटरी नैपकिन एवं इन्सिनरेटर की व्यवस्था आदि होना अनिवार्य है। शेष शौचालयों में मुलभूत सुविधाओं की व्यवस्था होना भी जरूरी है। राज्य स्तर पर किये गये प्रयासों का परिणाम है कि स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 के ओडीएफ घटक अंतर्गत 248 निकायों ने ओडीएफ का प्रमाण-पत्र प्राप्त कर लिया है, जिससे सर्वेक्षण में निकायों को 500 अंक प्राप्त होंगे। ओडीएफ के प्रमाणीकरण की प्रक्रिया अत्यंत जटिल है। इसमें भारत सरकार के आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा नियुक्त टीम द्वारा प्रत्येक शौचालय एवं उसमें उपलब्ध सुविधाओं का आंकलन किया जाता है। साथ ही जन-सामान्य से फीडबैक लेकर टीम अपनी अनुशंसा सहित भारत सरकार को जियो टैग फोटोग्राफ के साथ जानकारी भेजती है। किसी भी स्थिति में चूक होने पर या खुले में शौच पाये जाने पर प्रमाणीकरण निरस्त किया जाता है।