मध्य प्रदेश: 10 सितंबर से भोपाल में डेरा डालेगी आउटसोर्स की फोर्स, 9 सितंबर को सीहोर से सीएम हाउस तक निकालेंगे तिरंगा यात्रा

Bhaskar Hindi
Update: 2023-08-31 11:57 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। शासकीय, अर्द्धशासकीय विभागों, निगम मंडलों, सहकारिता, मंडियों, पंचायतों, स्कूलों, छात्रावासों, सहकारी एवं राष्ट्रीयकृत बैंकों, नगरीय निकायों, कालेजों, यूनिवर्सिटियों, अस्पतालों, मेडीकल कालेजों, पॉलीटेक्निक, इंजीनियरिंग कालेजों, जनभागीदारी कर्मचारियों सहित सभी विभागों में कार्यरत 12 से 15 लाख आउटसोर्स, अस्थाई, ठेका, एजेंसी, दैनिक वेतन भोगी, मस्टर कार्यभारित एवं अंशकालीन कर्मचारी ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स, अस्थाई एवं ठेका कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा मप्र के मंच पर एक साथ आकर 10 सितंबर से भोपाल के शाहजहानी पार्क में प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा के नेतृत्व में आउटसोर्स की फोर्स डेरा डालेगी और अपने हक अधिकार का निर्णायक संघर्ष शुरू करेंगे। आंदोलन की शुरूआत 9 सितंबर को सीहोर से सीएम हाउस तक पैदल तिरंगा यात्रा निकालकर होगी, जिसमें सीहोर, देवास, भोपाल, शाजापुर, इंदौर, रतलाम, आगर मालवा के 5 हजार से अधिक आउटसोर्स कर्मचारी शामिल होंगे।

संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने बताया कि 10 सितंबर के आउटसोर्स आंदोलन की तैयारियां सभी जिलों में व्यापक स्तर पर चल रही हैं, हर दिन विधायकों, मंत्रियों, अधिकारियों को नौकरियों में लागू अन्याय कारी आउटसोर्स अस्थाई कल्चर समाप्त कर विभाग में संविलियन की मांग के ग्यापन दिए जा रहे हैं, लेकिन अब तक सरकार की ओर से आउटसोर्स पर कोई जबाव नहीं आया है, जिससे आउटसोर्स अस्थाई कर्मचारियों में गुस्सा है और वे पूरी एकजुटता के साथ 10 सितंबर को भोपाल में डेरा डालने पहुंचेंगे हैं।

आंदोलन से प्रभावित होगा महत्वपूर्ण काम

  • वोटर लिस्ट सहित चुनाव से जुडे काम प्रभावित होंगे।
  • केंद्र एवं राज्य सरकार का बच्चों के टीकाकरण के विशेष अभियान "इंद्र धनुष"
  • डायल -100, एंबूलेंस-108 सेवा पर आउटसोर्स आंदोलन का व्यापक असर रहेगा।
  • सरकारी विभागों, स्कूलों, छात्रावासों की साफ सफाई की व्यवस्थाओं सहित छोटे छोटे कामों पर असर पडेगा।

4 साल से नहीं मिला मानदेय

पंचायतों के ग्राम सेवा केंद्र के कंप्यूटर आपरेटरों को 4 साल से मानदेय नहीं मिला है। शासन ने ग्रामीण जनता तक सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचाने का काम निजी एजेंसी को दिया था, जिसने पंचायतों में कंप्यूटर आपरेटरों को 4 हजार रूपए मानदेय में रखा था, एजेंसी आपरेटरों को मानदेय दिए बिना ही गायब हो गई।

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