किसानों के हित में खरीफ: 2024 से लागू करें डिजिटल क्रॉप सर्वे परियोजना - मुख्यमंत्री डॉ. यादव
- डिजिटल क्रॉप सर्वेक्षण परियोजना को लेकर सीएम ने दिये निर्देश
- समत्व भवन में हुई उच्च स्तरीय बैठक
- अपर मुख्य सचिव एवं प्रमुख सचिव राजस्व से परियोजना के संबंध में चर्चा की
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि खरीफ-2024 से कृषक हित में डिजिटल क्रॉप सर्वेक्षण परियोजना का क्रियान्वयन पूरे प्रदेश में किया जाए। इस परियोजना में किसान बंधु नवीन तकनीक से अपनी गिरदावरी को देख सकेंगे। यही नहीं फसल नुकसान की दशा में किसानों को बीमा राशि भी अविलंब प्राप्त हो जाएगी। परियोजना में सैटेलाइट इमेज द्वारा संभावित फसल की जानकारी भी प्राप्त की जा सकेगी। इससे किसानों को उपार्जन में सहायता मिलेगी साथ ही किसान क्रेडिट कार्ड भी तत्काल स्वीकृत करने में आसानी होगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव मंगलवार रात्रि को मुख्यमंत्री निवास में हुई एक बैठक में डिजिटल क्रॉप सर्वेक्षण परियोजना के संबंध में चर्चा कर रहे थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा एवं प्रमुख सचिव राजस्व निकुंज श्रीवास्तव से परियोजना के संबंध में विस्तृत चर्चा की। उन्होंने परियोजना की सराहना करते हुए इसके क्रियान्वयन से जुड़ी प्रक्रिया को तेज करने के निर्देश दिए।
डिजिटल क्रॉप सर्वेक्षण परियोजना : एक नजर में
डिजिटल क्रॉप सर्वेक्षण परियोजना द्वारा ग्राम में उपलब्धि स्थानीय युवा के माध्यम से नवीन तकनीक (जियो फेंस) का उपयोग कर कराया जाएगा। खेत में जाकर फसल का फोटो खींचने की प्रक्रिया आसानी से पूर्ण हो जाएगी। सर्वेयर द्वारा खींची गयी फ़ोटो की जियो टैगिंग भी होगी, अतः अनिवार्य रूप से खेत में जाकर क्रॉप सर्वे करना होगा और साक्ष्य के रूप में फसल की फ़ोटो भी उपलब्ध रहेगी। इससे कृषक भी अपनी गिरदावरी को देख सकेंगे और आपत्ति भी दर्ज कर सकेंगे। इस प्रकार नवीन तकनीक का उपयोग कर ग्रामीणों की सहभागिता सुनिश्चित की जा सकेगी।
इसके साथ ही सैटेलाईट इमेज से भी संभावित फसल की जानकारी प्राप्त कर उसका तुलनात्माक अध्यगयन किया जाएगा एवं विसंगति पाई जाने पर जांच की कार्यवाही शासकीय सेवकों द्वारा की जा सकेगी। इस प्रकार फसल की सटीक जानकारी प्राप्त कर फसल के संबंध में बेहतर पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा। परियोजना के क्रियान्वयन से प्रदेश के किसानों को उपार्जन कार्य में भी सहायता मिल सकेगी और उन्हें शीघ्र के.सी.सी. स्वीकृत हो सकेंगे। किसानों को फसल नुक़सान की स्थिति में बीमा राशि भी तत्काल मिल सकेगी।