वारासिवनी में चुनावी खींचतान, शीर्ष तक पहुंचा प्रदीप जायसवाल का विरोध, बीजेपी-कांग्रेस में एंट्री रूकी तो खटखटा सकते हैं तीसरा दरवाजा

  • वारासिवनी से निर्दलीय विधायक हैं प्रदीप जयसवाल
  • बीजेपी-कांग्रेस में शामिल होने की जुगत में लगे
  • दोनों दलों के कार्यकर्ता कर रहे विरोध

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-22 11:31 GMT

डिजिटल डेस्क, बालाघाट। चुनाव के पहले एक बार फिर वारासिवनी का माहौल गर्म है, जिसकी यहां के निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल के कांग्रेस या भाजपा में एंट्री करने के प्रयासों की है। साथ ही दोनों दलों में इनकी एंट्री रोकने पार्टी कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों के विरोध के चलते भी माहौल गरमाया हुआ है। विरोध की गरमाहट इतनी की उसकी आंच भोपाल तक पहुंच रही है। दोनों दलों के आलाकमान तक प्रदीप की एंट्री का विरोध हो रहा है।

वारासिवनी में कांग्रेस संगठन के विरोध के चलते प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने प्रदीप को लेकर भले ही मामले को टाल दिया हो, लेकिन राजधानी भोपाल में निर्दलीय विधायक के खिलाफ एकजुट होकर पहुंचे भाजपाइयों की बात को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खामोशी के साथ अनसुना कर दिया। दरअसल, शिवराज और कमलनाथ ही नहीं, बल्कि दोनों दलों के प्रदेश संगठन अपने लिए दरवाजा न खुलता देख तीसरे दल के दरवाजे पर भी दस्तक दे सकते हैं और उसके रणनीतिकारों की नजर प्रदीप के अगले कदम की ओर भी है। दोनों दलों के रणनीतिकार यह भी देख रहे हैं कि प्रदीप किसी तीसरे दरवाजे को तो खटखटाने नहीं जा रहे हैं।

महाराष्ट्र में राकांपा के अजित पवार धड़े के शिवसेना-भाजपा के गठबंधन वाली एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होते ही यह संभावना बढ़ गई है कि प्रदीप भाजपा व कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। राकांपा के वरिष्ठ नेता तथा अजित पवार धड़े के साथ सरकार में शामिल हुए प्रफुल्ल पटेल से प्रदीप की नजदीकियां तीसरे दरवाजे पर दस्तक की संभावनाओं को ज्यादा बल देती हैं। विरोध और संभावनाओं की सियासी सरगर्मी के बीच प्रदीप के बिना दल के भी यानि निर्दलीय ही मजबूत होने के दावे का भविष्य भी इस बात पर निर्भर करता है कि कांग्रेस और भाजपा वारासिवनी में किसको टिकट देती है।

जो दे सकते हैं टक्कर, उनका अपने ही दलों में विरोध

भाजपा से प्रदीप को वारासिवनी में जो शख्स टक्कर दे सकता है उसे इस बार भी पार्टी का टिकट न मिलने देने भाजपा के जिले के सबसे वरिष्ठ तथा कद्दावर नेता और उनके जिले भर के समर्थक अभी से लॉबिंग कर रहे हैं। ये न सिर्फ वारासिवनी बल्कि कटंगी में भी विरोध की मुद्रा में खड़े हैं। इस लॉबी का विरोध तो पार्टी के पूर्व सांसद बोधसिंह भगत को भी झेलना पड़ रहा है। कांग्रेस में तो स्थिति और भी विचित्र है। वारासिवनी नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष दौड़ में आगे तो हैं लेकिन उनके कार्यकाल में हुए मामले और दूसरे धड़ों का विरोध भी पीसीसी चीफ को किसी भी निर्णय पर पहुंचने से फिलहाल रोक रहा है।

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