सनसनीखेज वारदात: कर्ज में डूबे प्रापर्टी डीलर ने पैसे नहीं मिलने पर हत्या कर टैंक में छिपाई कपड़ा व्यापारी की लाश, आरोपी गिरफ्तार

  • रहस्यमय ढंग से गायब हुए रेडीमेड वस्त्र व्यापारी
  • गुमशुदगी अब हत्याकांड में बदल गई है
  • पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर मृतक का कंकाल बरामद किया

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-31 12:13 GMT

डिजिटल डेस्क, सतना। सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र से 49 दिन पहले रहस्यमय ढंग से गायब हुए रेडीमेड वस्त्र व्यापारी प्रकाश लालवानी पुत्र स्वर्गीय कन्हैयालाल लालवानी 45 वर्ष, निवासी पंजाबी कालोनी डालीबाबा की गुमशुदगी अब हत्याकांड में बदल गई है। जांच-पड़ताल के बाद पुलिस ने हत्या के आरोपी को गिरफ्तार कर मृतक का कंकाल बरामद कर लिया है।

ऐसे हुआ था लापता

एसपी आशुतोष गुप्ता ने सनसनीखेज घटना का खुलासा करते हुए बताया कि मेन मार्केट में रेडीमेड कपड़ों की दुकान चलाने वाले प्रकाश लालवानी10 अपै्रल की रात को झूलेलाल जयंती पर परिजनों के साथ कार्यक्रम में शामिल होने के बाद रात करीब साढ़े 8 बजे बहन को छोडऩे सिंधी कैम्प गए थे, इसके बाद से कुछ पता नहीं चला। घर नहीं लौटने पर पत्नी जिया लालवानी ने अगले दिन गुमशुदगी दर्ज कराई, जिसके बाद सरगर्मी से जांच-पड़ताल शुरू की गई। ढाई सौ से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले गए तो व्यापारी के परिजनों, परिचितों समेत अन्य लोगों से पूछताछ की गई, मगर कोई सुराग नहीं मिला। प्रकाश की तलाश में राज्य के अलग-अलग जिलों के अलावा उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान और पंजाब में टीमें रवाना की गईं पर हर जगह से निराशा हाथ लगी।

मिला पुख्ता सुराग

लगभग 40 दिन तक हर पहलू को बारीकी से खंगालने के के साथ खंडवा और ग्वालियर के कुछ अन्य संदेहियों से भी पूछताछ चलती रही। इसी बीच यह बात पता चली कि पिछले कुछ महीनों से प्रकाश की दोस्ती संदीप उर्फ नीलू पुत्र सीताराम गौतम 39 वर्ष, निवासी अमौधा कला के साथ हो गई थी। आखिरी बार व्यापारी को उसके साथ देखा गया था। इस सुराग पर जब पुलिस टीम युवक के घर पहुंची तो वह नहीं मिला, उसके बारे में कोई खबर भी सामने नहीं आई। संदीप के अचानक गायब होने से पुलिस को उसकी गतिविधियों पर गहरा संदेह हो गया, लिहाजा सभी संसाधनों को युवक का पता लगाने में झोक दिया गया। अंतत: 49 दिन बाद हिमांचल प्रदेश के शिमला में लोकेशन मिलने पर यूपी में घूम रही टीम को रवाना कर स्थानीय पुलिस की मदद से उसे हिरासत में ले लिया गया, जिसे बुधवार देर शाम सतना लाया गया।

मृतक से मांगे थे ढाई लाख

पुलिस की हिरासत में आने के बावजूद संदीप लगातार गुमराह करता रहा। अंतत: मनोवैज्ञानिक तरीके से सवाल-जवाब करने पर आरोपी ने खुलासा किया कि हिमांचल प्रदेश के शिमला में होटल मैनेजमेंट का कोर्स करने के बाद वह पारिवारिक कारणों से सतना लौट आया और प्रापर्टी डीलिंग का काम करने लगा, लेकिन इस बिजनेस में घाटा लगने से काफी कर्ज चढ़ गया। लेनदार रकम वसूली के लिए आए दिन परेशान करने लगे। ऐसे में कर्ज चुकाने के लिए उसने अपने नए दोस्त प्रकाश से ढाई लाख की मदद मांगी, जिसने पैसे देने का अश्वासन दिया, मगर रकम नहीं उपलब्ध कराया। लगातार मांग करने पर 10 अपै्रल को कपड़ा व्यापारी ने बाईपास में मिलकर रुपये देने की बात कही। लिहाजा वह बगहा बाईपास में एमडी पुरम कालोनी के पास सडक़ किनारे बने बस स्टॉप पर पहुंचकर इंतजार करने लगा। तकरीबन 8 बजे व्यापारी बाइक से बाईपास में पहुंचा, जहां बातचीत में पारिवारिक कारणों से रुपए देने से मना कर दिया, जिससे आरोपी भडक़ गया और गाली-गलौज करते हुए सडक़ किनारे पड़ी ईंट उठाकर व्यापारी के सिर पर दे मारी, जिससे वह जख्मी होकर नीचे गिर गया, इसके बाद आरोपी ने ईंट-पत्थर से कई बार प्रहार कर उसकी हत्या कर दिया और कुछ देर तक प्रतीक्षालय के पीछे लाश को छिपाकर भीड़ कम होने का इंतजार करता रहा।

बाइक पर लादकर ले गया शव

जमीन कारोबारी को इलाके की अच्छ समझ थी, ऐसे में लाश को छिपाने के लिए उसके पास बाईपास में ही एक जगह मिल गई। अंतत: रात 11 बजे शव को बाइक पर लादकर मेन रोड से लगभग 5 सौ मीटर दूर स्थित अधबने घर के अंदर ले गया और खुले सेफ्टिक टैंक में फेंककर ऊपर से मिट्टी, बालू और ईंट भर दिया। इसके बाद भी शरीर का कुछ हिस्सा बाहर दिख रहा था, जिसे छिपाने के लिए आरोपी ने बाईपास में ही संचालित ढाबे के पीछे से हरे रंग की मैट काटकर ऊपर से ढंक दिया। लाश को छिपाने के पश्चात आरोपी ने मृतक का फोन कहीं फेंक दिया तो उसकी बाइक को कच्चे रास्तों से पन्ना ले जाकर सरकारी हॉस्पिटल की पार्किंग में छोड़ दिया।

परिवार को लेकर भाग गया शिमला

परिजनों की रिपोर्ट पर व्यापारी की तलाश में जुटी पुलिस की सक्रियता से घबराकर मई महीने के प्रथम सप्ताह में ही आरोपी संदीप परिवार को लेकर कटनी, रीवा होते हुए प्रयागराज पहुंचा, जहां तीन दिन रुकने के बाद दिल्ली के रास्ते हिमांचल प्रदेश के शिमला भाग गया और किराए पर कमरा लेकर रहने लगा। आरोपी शहर से भलीभांति परिचित था। उसे यकीन था कि पुलिस कभी पकड़ नहीं पाएगी। आरोपी की निशानदेही पर शव को बरामद करने के बाद मृतक के जीजा को बुलाकर पहचान कराई गई तो मरचुरी में पत्नी और मां को लाश दिखाई गई, जिन्होंने कपड़ों के साथ हाथ में पहनी हुई अंगूठियों से प्रकाश को पहचान लिया। अंतत: मेडिकल कॉलेज के डॉ. चंद्रशेखर बाघमारे, डॉ. पुष्पराज सिंह और डॉ. भूपेन्द्र सिंह के पैनल से शव का पोस्टमार्टम कराया गया तो पहचान पुख्ता करने के लिए डीएनए सेम्पल भी प्रिजर्व किए गए हैं। आरोपी से अग्रिम पूछताछ और अन्य साक्ष्य जुटाने के लिए जिला न्यायालय में प्रस्तुत कर तीन दिन की पुलिस रिमांड मंजूर कराई गई है।

इनकी रही अहम भूमिका

इस सनसनीखेज घटना का खुलासा करने में सीएसपी महेन्द्र सिंह चौहान की अगुवाई में सिटी कोतवाल शंखधर द्विवेदी, साइबर सेल के इंस्पेक्टर विजय सिंह, एसआई अजीत सिंह, एएसआई दीपेश कुमार, विनोद रैकरवार, प्रधान आरक्षक रजनीश साकेत, अशलेन्द्र ङ्क्षसह और आरक्षक अमित यादव ने अहम भूमिका निभाई।

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