Shahdol News: जल संकट से जूझ रहे रेलवे कालोनीवासी, लापरवाह बना स्थानीय प्रशासन
- साफ पानी के इंतजार में सप्लाई ही हो जाती है बंद
- 700 आवासों में रहने वाले हजारों कर्मचारी जल संकट से रहे जूझ
- स्थानीय अधिकारियों के बीच समन्वय नहीं
Shahdol News: रेलवे प्रशासन द्वारा अमृत योजना के तहत कराए जा रहे करोड़ों रुपए के कार्यों के बीच रेलवे कालोनी के 700 आवासों में रहने वाले हजारों कर्मचारी जल संकट से जूझ रहे हैं। आवासों में जल सप्लाई नाम मात्र की हो रही है। होती भी है तो 20-25 मिनट के लिए। उसमें भी पहले के पांच मिनट केवल गंदा पानी निकलता है। साफ पानी के इंतजार में सप्लाई ही बंद हो जाती है। मजबूरी में गंदे पानी का ही उपयोग करना पड़ रहा है। कर्मचारियों ने बताया कि यह समस्या पिछले एक-डेढ़ साल से बनी हुई है। जबकि करीब 50-50 लाख रुपए की लागत से फिल्टर प्लांट में नया सटलिंक टैंक एवं नई टंकी का निर्माण कराया जा चुका है, जिससे सप्लाई पूरी तरह नहीं हो पा रही है। इस समस्या को लेकर स्थानीय रेलवे प्रशासन पूरी तरह लापरवाह बना हुआ है।
दो विभागों की खींचतान ने बढ़ाई समस्या
जलापूर्ति सहित अन्य व्यवस्थाओं का दायित्व संयुक्त रूप से आईओडब्ल्यू एसएस वक्र्स एवं विद्युत सामान्य एसएसई जनरल विभाग का है। लेकिन रेलवे सूत्रों के अनुसार दोनों विभागों केस्थानीय अधिकारियों के बीच समन्वय नहीं होने के कारण जलापूर्ति व्यवस्थित नहीं हो पा रही है। कर्मचाारी जब समस्या लेकर जाते हैं तो एक दूसरे विभाग पर दोष मढ़ दिया जाता है।
गैर जिम्मेदाराना जवाब
रेलवे कालोनी में जल संकट को लेकर जब एडीईएन पकंज कुमार से मोबाइल पर संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि आज अवकाश है, बात नहीं कर सकता, वर्किंग डे मंडे को आइए फिर बात करते हैं।
विभागों के संयुक्त सर्वे की जरूरत
एक मात्र मान्यता प्राप्त रेलवे यूनियन रेलवे मजदूर कांग्रेस शाखा शहडोल के सचिव बालकृष्ण बंगारी ने बताया कि जल संकट को लेकर स्थानीय स्तर पर एडीईएन, एसएसई वक्र्स एवं एसएसई जनरल से मिलकर संघ की कई बार चर्चा हो चुकी है। लेकिन समाधान नहीं निकला। सीनियर डीईई जनरल बिलासपुर से चर्चा में यूनियन ने आग्रह किया है कि एसएसई वक्र्स एवं एसएसई जनरल दोनों विभाग संयुक्त रूप से सर्वे करें ताकि जल संकट का समाधान निकल सके।
स्थितियों की जांच कराकर जल संकट का समाधान कराने का प्रयास किया जाएगा। स्थानीय स्तर के हालातों को उच्चाधिकारियों के ध्यान में लाया जाएगा।
अंबिकेश साहू पीआरओ बिलासपुर