विदिशा लोकसभा सीट 2024: बीजेपी की सुरक्षित सीट मानी जाती है विदिशा, जानिए विदिशा लोकसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास
- अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर सुषमा स्वराज जैसे दिग्गज जीत चुके हैं चुनाव
- कांग्रेस की पकड़ कमजोर
- भाजपा के नेता रमाकांत भार्गव इस सीट से सांसद
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश की विदिशा लोकसभा सीट भाजपा के लिए हमेशा से ही एक सेफ सीट मानी जाती रही है। विदिशा में अब तक कुल 16 लोकसभा चुनाव हुए हैं जिनमें से दो बार उप-चुनाव हुए हैं। इस सीट पर अब तक के हुए चुनावों में कुल 11 बार भाजपा को जीत मिली, 2-2 बार कांग्रेस और जनसंघ ने चुनाव जीता। वहीं, एक बार भारतीय लोकदल ने भी चुनाव जीता। कांग्रेस पार्टी की पकड़ विदिशा में शरुआत से कमजोर थी, यही वजह है कि पहले यहां भारतीय जनसंघ का कब्जा रहा फिर भाजपा ने अपना वर्चस्व स्थापित किया। वर्तमान में भाजपा के नेता रमाकांत भार्गव इस सीट से सांसद हैं। आज हम आपको बताएंगे विदिशा लोकसभा सीट के चुनावी इतिहास के बारे में।
विदिशा लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास
आजादी के 20 साल बाद 1967 में विदिशा लोकसभा सीट में पहला चुनाव हुआ। सबसे पहले चुनाव में भारतीय जनसंघ से शिव शर्मा ने चुनाव जीता। 1971 में जनसंघ के टिकट पर द इंडियन एक्स्प्रेस ग्रुप के संस्थापक रामनाथ गोयनका ने चुनाव जीता और वे सांसद बने। आपातकाल हटने के बाद 1977 में लोकसभा चुनान हुए। इस चुनाव में भारतीय लोकदल के प्रत्याशी राघवजी निर्वाचित हुए। 1980 में इंदिरा गांधी की कांग्रेस ने पहली बार विदिशा सीट पर जीत दर्ज की और प्रतापभानु कृष्णगोपाल सांसद बने। प्रतापभानु कृष्णगोपाल ने अपनी सांसदी बरकरार रखते हुए 1984 के आम चुनाव में भी विजय हासिल की। लोकदल और जनता पार्टी के टिकट पर ग्वालियर लोकसभा सीट से पूर्व सांसद राघवजी ने 1989 में वापसी की और भाजपा से सांसद बनें। 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी विदिशा से निर्वाचित हुए। मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 1996 में विदिशा से अपना पहला चुनाव जीता। शिवराज ने लगातार तीन चुनावों 1998, 1999 व 2004 में विदिशा लोकसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की। भाजपा की दिग्गज नेता और मोदी सरकार में पूर्व विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वारज ने साल 2009 के आम चुनाव में भाजपा को जीत दिलाई। सुषमा ने 2014 के चुनाव में अपनी सांसदी बरकरार रखते हुए भाजपा को फिर विजयी बनाया। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में विदिशा सीट पर सुषमा स्वराज की जगह रमाकांत भार्गव ने चुनाव लड़ा और सांसद बने। वर्तमान में रमाकांत भार्गल ही विदिशा से सांसद हैं।
क्या रहा पिछले चुनाव का नतीजा?
मध्य प्रदेश की विदिशा लोकसभा सीट पर साल 2019 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रमाकांत भार्गव ने बड़ी जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी शैलेंद्र पटेल को 5 लाख 3 हजार 84 वोटों के मार्जिन से पराजित किया था। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रमाकांत भार्गव को कुल 8 लाख 53 हजार 22 वोट हासिल हुए थे। वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी शैंलेंद्र पटेल को कुल 3 लाख 49 हजार 938 वोट मिले थे।
कब हुआ गठन?
विदिशा लोकसभा क्षेत्र चौथे लोकसभा चुनाव में अस्तित्व में आया। विदिशा लोकसभा सीट का गठन साल 1967 में हुआ। इससे पहले विदिशा के ज्यादातर इलाके सीहोर लोकसभा क्षेत्र और रायसेन विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आते थे। इलाका भोपाल सियासत का हिस्सा हुआ करता था।
जब एक अखबार मालिक ने जीता चुनाव
पत्रकारिता और उद्दोग जगत से राज्यसभा में जाने के तो कई उदाहरण मिल जाएंगे। लेकिन ऐसे कम ही उदाहरण देखने को मिले हैं कि किसी अखबार मालिक ने लोकसभा चुनाव लड़ा हो। साल 1971 में ऐसा पहली बार देखने को मिला। जब इंडियन एक्सप्रेस समूह के मालिक रामनाथ गोयनका ने विदिशा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा। गोयनका ने जनसंघ के टिकट पर चुनाव जीता और वे सांसद बने। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार मणिभाई पटेल को हराया था। रामनाथ गोयनका की पहचान सत्ता प्रतिष्ठान विरोधी रुख को लेकर जाने जाते थे।
सुषमा स्वाराज बनाम लक्ष्मण सिंह
विदिशा लोकसभा सीट भाजपा की सबसे सुरक्षित सीटों में से एक मानी जाती है। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वाराज दो बार विदिशा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ चुकी हैं। कांग्रेस की पहले ही विदिशा सीट पर पकड़ कमजोर थी। ऐसे में 2014 के चुनाव में कांग्रेस ने विदिशा लोकसभा सीट से सुषमा स्वराज का मुकाबला करने के लिए मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह को मैदान में उतारा था। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी नतीजों में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा। चुनाव के नतीजों में सुषमा स्वराज ने 4 लाख 10 हजार 698 वोटों के मार्जिन से लक्ष्मण सिंह को हराया था। इस चुनाव में सुषमा स्वराज को कुल 7 लाख 14 हजार 348 वोट हासिल हुए। वहीं, कांग्रेस के लक्ष्मण सिंह को 3 लाख 49 हजार 938 वोट ही मिले।