सियासत: मिलिंद देवड़ा से पहले ये दिग्गज चेहरे छोड़ चुके कांग्रेस का हाथ, आखिर क्यों युवा नेताओं का पार्टी से हो रहा मोहभंग?

  • एक के बाद एक पार्टी छोड़ रहे युवा चेहरे
  • गांधी परिवार से कम्युनिकेशन गैप एक बड़ी वजह
  • पार्टी छोड़ने पर वोट बैक भी ले जाते हैं साथ

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-15 19:30 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राहुल गांधी जहां 2024 के लोकसभा की तैयारी के लिए मणिपुर से महाराष्ट्र तक भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाल रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस से एक के बाद एक युवा नेता इस्तीफा दे रहे हैं। हाल ही में महाराष्ट्र कांग्रेस के दिग्गज नेता मिलिंद देवड़ा ने पार्टी से इस्तीफा देकर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ज्वाइन कर ली। उनके इस कदम से कांग्रेस में एकबार फिर खलबली मच गई है।

युवा चेहरे क्यों छोड़ते जा रहे कांग्रेस का साथ?

युवा चेहरों के पार्टी छोड़ने पर ऐसे आरोप लग रहे हैं कि कांग्रेस में युवा चेहरों को तरजीह नहीं दी जा रही है। पिछले 5 सालों में जिन भी नेताओं कांग्रेस छोड़ी है वह सभी अपने फैसले की एक कॉमन वजह जरुर बताते हैं और वो है गांधी परिवार से कम्युनिकेशन गैप। कोई कहता है कि राहुल गांधी के पास उनसे मिलने का समय नहीं होता तो कोई कहता है कि गांधी परिवार उनके मुकाबले अनुभवी नेताओं का ज्यादा महत्व देता है। सभी आरोप गांधी परिवार के ईर्द गिर्द ही घूमते हैं।

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मध्य प्रदेश और राजस्थान में जीत मिली थी। जिसके बाद मु्ख्यमंत्री या अन्य महत्वपूर्ण पदों के चयन को लेकर कांग्रेस आलाकमान पर तब यह आरोप लगाए गए थे कि यहां उन्होंने अपने युवा नेताओं मुकाबले अनुभवी नेताओं ज्यादा तरजीह दी। 2018 के विधानसभा चुनाव के समय मध्य प्रदेश में भाजपा के खिलाफ कांग्रेस की तरफ से ज्योतिरादित्य सिंधिया लगातार प्रचार कर रहे थे। वहीं राजस्थान में सचिन पायलट पूरी तन्मयता के साथ प्रचार में जुटे थे। लेकिन जब चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री चुनने की बारी आई तो कांग्रेस ने राजस्थान में पायलट की जगह अशोक गहलोत को और मध्यप्रदेश में सिंधिया की जगह कमलनाथ को मुख्यमंत्री चुन लिया।

उस दौरान कांग्रेस पर यह आरोप तक लगने लगे थे कि वह अपने युवा नेताओं को सत्ता नहीं सौंपना चाहती। हालांकि कांग्रेस ने अपनी इस छवि को हाल ही में हुए तेलंगाना चुनाव में जीत हासिल करने के बाद बदलने की कोशिश की। पार्टी ने राज्य में अनुभवी नेता की जगह एक युवा रेवंत रेड्डी को मुख्यमंत्री चुना। इससे यह माना जाने लगा कांग्रेस ने यह कदम उठाकर उन अपनी पार्टी के उन युवा नेताओं का साधने का प्रयास किया है जिनका पार्टी से मोहभंग हो रहा है। लेकिन मिलिंद देवड़ा के पार्टी से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस पर एकबार फिर वही सवाल उठने लगे।

देवड़ा से पहले ये नेता छोड़ चुके कांग्रेस

मिलिंद देवड़ा से पहले भी कई बड़े युवा नेता कांग्रेस का साथ छोड़ चुके हैं। इनमें सबसे बड़ा नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया का है, जिन्होंने साल 2020 में अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा का दामन थाम लिया था। जिसके परिणामस्वरूप करीब 15 साल बाद दोबारा मध्यप्रदेश की सत्ता में वापस आई कांग्रेस की सरकार 15 महीने में ही गिर गई। वहीं साल 2021 में मनमोहन सरकार के समय केन्द्रीय मंत्री रह चुके जितिन प्रसाद भी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद साल 2022 में पूर्व केन्द्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने भी ऐसा ही कदम उठाया।

इनके अलावा अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की प्रमुख सुष्मिता देव टीएमसी, प्रियंका चतुर्वेदी शिवसेना(यूबीटी), पूर्व केंद्रीय मंत्री एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी,गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल, जयवीर शेरगिल भाजपा और असम कांग्रेस के महासचिव रहे अपूर्व भट्टाचार्य भी कांग्रेस छोड़ दूसरी पार्टी में शामिल हो चुके हैं। ये सभी कभी राहुल की यंग ब्रिगेड के खास मेंबर माने जाते थे। राहुल की इस यंग टीम में से अब केवल सचिन पायलट ही हैं जो पार्टी के साथ अभी भी बने हुए हैं।

2014 के बाद कांग्रेस छोड़ कर अन्य दलों में शामिल हुए नेताओं की लिस्ट बहुत लंबी है। इसमें सबसे बड़े नाम पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, असम से भाजपा के वर्तमान मुख्यमंत्री हिंमता बिस्व सरमा के हैं। ये सभी वो नेता माने जाते हैं जिनके पार्टी छोड़ने पर एक बड़ा वोट बैंक भी अपने साथ ले जाते हैं। उदाहरण के रूप में आप ज्योतिरादित्य सिंधिया और हिमंता बिस्व सरमा को ही ले ली जिए। ज्योतिरादित्य सिंधिया जो मध्यप्रदेश कांग्रेस का एक महत्वपूर्ण चेहरा थे साथ ही ग्वालियर और चंबल अंचल में खास प्रभाव रखते हैं। उनके जाने के बाद हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव कांग्रेस को इस इलाके में 2018 जैसी सफलता नहीं मिली। वहीं असम के सीएम हिमंता बिस्व सरमा जिनका पूर्वोत्तर की राजनीति में अच्छा खासा प्रभाव है। उनके पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस का पूर्वोत्तर भारत से लगभग सूफड़ा साफ हो गया। आज बीजेपी यदि इन राज्यों में अपनी स्थिति मजबूत कर पाई है तो उसके पीछे हिमंता बिस्व सरमा का बहुत बड़ा हाथ है।

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