भास्कर हिंदी एक्सक्लूसिव: छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले की तीनों सीटों पर होता है त्रिकोणीय मुकबला,

  • ओबीसी बाहुल्य सीटों पर अब तक नहीं बना ओबीसी विधायक
  • बेमेतरी में तीन सीट, दो सामान्य एक एससी आरक्षित
  • नवागढ़ में एससी ,बेमेतरा और साजा में ओबीसी का दबदबा

Bhaskar Hindi
Update: 2023-10-06 13:30 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में  साजा,बेमेतरा और नवागढ़ तीन  विधानसभा सीट आती है,साजा और बेमेतरा विधानसभा सीट सामान्य सीट है, वहीं नवगढ़ विधानसभा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। 1 जनवरी 2012 को दुर्ग जिले से अलग होकर बेमेतरा नए जिले के रूप में सामने आया। 2018 के चुनाव में तीनों सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। 

साजा विधानसभा सीट

2018 में कांग्रेस के रविंद्र चौबे

2013 में बीजेपी के लाभचंद बाफना

2008 में कांग्रेस के रविंद्र चौबे

2003 में कांग्रेस के रविंद्र चौबे

साजा विधानसभा सीट 1967 में अस्तित्व में आई थी, तब से 2013 तक कांग्रेस ने ही यहां जीत दर्ज की थी। 2013 में बीजेपी ने यहां जीत हासिल की थी। लेकिन 2018 के चुनाव में चौबे ने फिर वापसी की। रविंद्र चौबे के माता पिता और भाई भी यहां से विधायक रह चुके है। रेत और डोलोमाइट पत्थर से भरपूर साजा विधानसभा कांग्रेस का गढ़ रहा है। यहां चौबे परिवार का राज चलता है। यहां बीजेपी को जीत की बड़ी चाहत रहती है जो बड़ी मुश्किल है। रविंद्र चौबे यहां से आठ बार विधायक रह चुके है।

साजा विधानसभा क्षेत्र टमाटर की खेती के लिए जाना जाता है। जो विदेशों में भी सप्लाई होता है। समस्याओं की बात की जाए तो बढ़ती महंगाई और बेरोजगार के साथ साथ बिजली पानी की समस्या बनी रहती है। यहां पिछड़ा वर्ग की तादाद अधिक है, लेकिन कभी इस वर्ग से विधायक नहीं रहे। सामान्य वर्ग से विधायक बनता आ रहा है। यहां करीब 70 फीसदी वोटर्स पिछड़ा वर्ग है। केवल 25 फीसदी के आस पास एससी एसटी वोटर्स है। शेष वोटर्स सामान्य है। पिछडे वर्ग में भी साहू और लोधी मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है।

बेमेतरा विधानसभा सीट

2018 में कांग्रेस से आशीष कुमार छाबरा

2013 में बीजेपी से अवधेश सिंह चंदेल

2008 में कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू

2003 में कांग्रेस के डॉ चेतन वर्मा

बेमेतरा विधानसभा सीट में 60 फीसदी के करीब ओबीसी मतदाता है जो अन्य वर्गों के तुलना में सर्वाधिक है। लोधी, वर्मा, कुर्मी और साहू मतदाताओं की संख्या यहां सर्वाधिक है।बेमेतरा शहर में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। ओबीसी वोटर्स ही यहां प्रत्याशियों की हार जीत का फैसला करते है। सीट पर बीजेपी कांग्रेस और जोगी कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलता है। बेमेतरा का एक इतिहास है कि यहां की जनता ने किसी भी नेता को दो बार से अधिक बार का विधायक बनने का मौका नहीं दिया है।  साफ सफाई, पेयजल की समस्या यहां बनी रहती है। शिक्षण संस्थानों में अध्यापक की कमी, स्वास्थ्य संस्थाओं में डॉक्टर की कमी हमेशा बनी रहती है। उद्योग की कमी से यहां बेरोजगारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

नवागढ़ विधानसभा सीट

2018 में कांग्रेस से गुरूदयाल सिंह बंजारे

2013 में बीजेपी से दयालदास बघेल

2008 में बीजेपी से दयाल दास बघेल

परिसीमन से पहले इस सीट को मारो नाम से जानते थे। 2008 में हुए परिसीमन के बाद इस सीट का नाम बदलकर नवागढ़ कर दिया। आनुसूचित जाति बाहुल होने के कारण सीट एससी वर्ग के लिए आरक्षित है।

मध्यप्रदेश से अलग होने से पहले नवागढ़ सीट पर कांग्रेस का गढ़ रहा करता था, लेकिन विभाजन के बाद सीट पर बीजेपी का कब्जा होने लगा था हालांकि 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। परिसीमन के बाद हुए तीन चुनावों में बीजेपी ने दो बार और कांग्रेस ने एक बार जीत दर्ज की है।

यहां बीजेपी कांग्रेस और बीएसपी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होता है। पेयजल संकट और किसानों को खेती के लिए पानी कि किल्लत बनी रहती है। ये इलाका ड्राई जोन में आता है। जर्जर सड़कें, शिक्षण संस्थानों की कमी,उद्योगों की कमी यहां की समस्याएं है , जो चुनावी शोरगुल में सुनाई देती है फिर गायब हो जाती है।  

छत्तीसगढ़ का सियासी सफर

1 नवंबर 2000 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 के अंतर्गत देश के 26 वें राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ। शांति का टापू कहे जाने वाले और मनखे मनखे एक सामान का संदेश देने वाले छत्तीसगढ़ ने सियासी लड़ाई में कई उतार चढ़ाव देखे। छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीट है, जिनमें से 4 अनुसूचित जनजाति, 1 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। विधानसभा सीटों की बात की जाए तो छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीट है,इसमें से 39 सीटें आरक्षित है, 29 अनुसूचित जनजाति और 10 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, 51 सीट सामान्य है।

प्रथम सरकार के रूप में कांग्रेस ने तीन साल तक राज किया। राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में अजीत जोगी मुख्यमंत्री बने। तीन साल तक जोगी ने विधानसभा चुनाव तक सीएम की गद्दी संभाली थी। पहली बार 2003 में विधानसभा चुनाव हुए और बीजेपी की सरकार बनी। उसके बाद इन 23 सालों में 15 साल बीजेपी की सरकार रहीं। 2003 में 50,2008 में 50 ,2013 में 49 सीटों पर जीत दर्ज कर डेढ़ दशक तक भाजपा का कब्जा रहा। 2018 में कांग्रेस की बंपर जीत से बीजेपी नेता डॉ रमन सिंह का चौथी बार का सीएम बनने का सपना टूट गया। रमन सिंह 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा कार्यकाल में सीएम रहें। 2018 में कांग्रेस ने 71 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाई और कांग्रेस का पंद्रह साल का वनवास खत्म हो गया। और एक बार फिर सत्ता से दूर कांग्रेस सियासी गद्दी पर बैठी। कांग्रेस ने भारी बहुमत से जीत हासिल की और सरकार बनाई।

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