मेरी रणनीति -तेरी चाल: तीन महीने तीन राज्यों के नतीजे बताएंगे बीजेपी कांग्रेस की रणनीति कितनी दूर तक जाएगी
- विधानसभा चुनाव 2023
- पांच राज्यों में से हिंदी भाषा के तीन राज्य
- मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ अहम
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। आगामी तीन महीने में तीन राज्यों के चुनाव और उनके नतीजे बीजेपी और कांग्रेस के साथ साथ पूरे देश की राजनीति के लिए काफी अहम होने वाले है। अगले तीन महीने में पांच राज्यों तेलंगाना, मेघालय, मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव पर हर राजनैतिक दल की नजर है। लेकिन इनमें से उत्तर भारत के तीन हिंदी भाषाई राज्य मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव काफी अहम है। इन तीन राज्यों की सियासी गद्दी में बीजेपी के पास खोने को कम पाने को बहुत कुछ है। क्योंकि तीन प्रदेशों में से केवल एक राज्य मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार है, बाकी दो राज्यों राजस्थान व छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है। 2018 के विधानसभा चुनावों में इन तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन करीब डेढ़ साल बाद मध्यप्रदेश में ऑपरेशन लोटस के जरिए बैकडोर एंट्री से बीजेपी ने शिवराज के नेतृत्व में सरकार बना ली थी। हालांकि कांग्रेस को पिछले चुनाव के नतीजों में पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है।
बीजेपी तीनों ही राज्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनावी मैदान में उतरी है। और आगामी चुनावों के संबंध में सभी निर्णय दिल्ली से लिए जा रहे है। क्योंकि बीजेपी पिछले दस महीनों में दो राज्य खो चुकी है। बीजेपी को डर है कि आने वाले चुनावों में अपने हाथ से और राज्य न खोने पाए क्योंकि इन राज्यों के नतीजों के बाद ही 2024 के लोकसभा चुनाव होने है। चुनावी साल के मौसम को देखते हुए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। दिल्ली से ही नेताओं के दौरे,मेल मुलाकात , सभा- सम्मेलन समीकरण और रणनीति तय हो रही है। चुनाव की तारीख ऐलान होने से पहले मोदी- शाह ताबडतोड़ रैली यात्रा दौरे कर रहे है। तीन महीने में तीन राज्यों के चुनाव बीजेपी के लिए एक कड़ी परीक्षा है। जिससे उसे गुजरना है। हालांकि तीनों ही हिंदी भाषाई राज्यों में कांग्रेस सत्ता में काबिज होने के बाद भी पिछले आम चुनाव में साफ हो गई थी। और कांग्रेस चुनावी करिश्मा नहीं दिखा सकी।
चुनाव को लेकर कांग्रेस भी चिंता में डूबी हुई है क्योंकि तीन राज्यों में सरकार बनाने के बाद उन पर बरकरार रखना बड़ी बात है। एक तरफ मोदी -शाह की जोड़ी ने बीजेपी की बागडोर संभाल ली है। तो कांग्रेस में खड़गे और गांधी ने कांग्रेस की कमान को अपने हाथ में ले लिया है। दोनों ही दलों को एक दूसरे से चुनौती मिल रही है। पिछले विधानसभा में बहुजन समाज पार्टी भी तीसरे फ्रंट के रूप में उभरी थी,मध्यप्रदेश और राजस्थान में बीएसपी ने कांग्रेस को समर्थन दिया था। कांग्रेस के दिग्गज नेता भी लगातार दौरे और सभा यात्राएं कर रहे है। कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में बीजेपी को पटकनी देने के बाद बीजेपी के कांग्रेस मुक्त भारत के सपने पर पानी फेर दिया। दोनों राज्यों में से बीजेपी से सत्ता हथियाने के बाद कांग्रेस अति उत्साहित है। तीनों राज्यों के नतीजे यदि कांग्रेस के पक्ष में आते है तो आगामी लोकसभा में उसे एक बूटी मिल जाएगी और इंडिया गठबंधन को एक सकारात्मक ऊर्जा, यदि कांग्रेस को एक भी राज्य गंवाना पड़ा तो कांग्रेस और इंडिया गठबंधन पर विपरीत असर पड़ सकता है। वैसे आपको बता दें तीन दशक में राजस्थान की सियासत में किसी भी पार्टी की सरकार को रिपीट नहीं हो पाई है।
हाल ही में दो राज्यों में फटके खा चुकी बीजेपी आगामी चुनावों से सबक लेने की बात कह रही है। इन तीन राज्यों के चुनावी नतीजों से बीजेपी की दिल्ली रणनीति का भविष्य तय होगा। अगर बीजेपी के मनमुताबिक परिणाम नहीं आते तब उसे पुन एक बार क्षेत्रीय नेताओं को तवज्जों देने पड़ सकता है। ऐसे में बीजेपी को क्षेत्रीय दलों से सामना करना पड़ेगा। दिल्ली में सीएम केजरीवाल के सामने बीजेपी के पास चेहरे का संकट है। वहीं पश्चिम बंगाल में क्षेत्रीय नेता न होने के चलते लोकसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि पिछली बार तीन राज्यों में कांग्रेस की जीत हुई थी। तीनों ही स्टेट में सरकार होने के बाद भी लोकसभा चुनाव में वह ज्यादा कमाल नहीं कर सकी।
एक राज्य मप्र को छोड़ दिया जाए तो बीजेपी के पास खोने को कुछ नहीं है, मप्र. के मुखिया शिवराज है लेकिन चुनावी बागडोर मोदी ने अपने हाथ में ले रखी है। यहीं हाल राजस्थान और छत्तीसगढ़ में है। लेकिन तीन राज्यों के विपरीत नतीजे 2024 के आम चुनाव में उसके विरोध में हवा बन सकते है। और विपक्षी दल मोदी नेतृत्व पर सवाल उठा सकते है। बीजेपी तीनों ही प्रदेशों में बिना किसी चेहरे को तवज्जो दिए पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे और संगठन के नाम पर चुनावी समर में उतर चुकी है। तीन राज्यों की चुनावी रणनीति बीजेपी और कांग्रेस दोनों का भविष्य तय करेगी। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती तीनों राज्यों में सरकार की वापसी जबकि बीजेपी के सामने अपने वर्चस्व को बरकरार रखने की चुनौती ।