विधानसभा चुनाव 2023: बीजेपी के गढ़ बारां में कांग्रेस की सेंधमारी

  • बारां जिले में चार विधानसभा सीट
  • बारां-अटरू,किशनगंज,छबड़ा,अंता विधानसभा सीट
  • 2018 में 3 पर कांग्रेस और 1 पर बीजेपी का कब्जा

Bhaskar Hindi
Update: 2023-10-21 10:43 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बारां जिले में चार विधानसभा सीट बारां-अटरू,किशनगंज,छबड़ा,अंता विधानसभा सीट आती है। राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र का एक प्रांत जो कि कोटा से अलग किया गया था। हरी भरी वादियों और घाटियों से घिरा बारां, सम्पदा युक्त पहाड़ियों के बीच स्थित है। इसका इतिहास 14 वीं शताब्दी का माना जाता है, जब सोलंकी राजपूतों ने यहाँ शासन किया था। 1991 में बारां ज़िले के रूप में अस्तित्व में आया।  बारां की प्राकृतिक सुन्दरता, शक्तिशाली क़िले, सुन्दर मन्दिर समूह और इसकी वास्तुकला दर्शनीय है।

बारां-अटरू विधानसभा सीट

2018 में कांग्रेस से पानाचंद मेघवाल

2013 में बीजेपी से रामपाल मेघवाल

2008 में कांग्रेस से पानाचंद मेघवाल

1990,1993,1998 ,2003 में बीजेपी से मदन दिलावर जीते ।

बारां -अटरू विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। बारां अटरू विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरण के हिसाब से देखे तो 24 फीसदी एससी और 14 परसेंट एसटी आबादी है। मेघवाल, बैरवा,ऐरवाल , जाटव, धाकड़, मीणा , मुस्लिम,महाजन और ब्राह्मण जातियों का बाहुल्य है। बारां में बेरोजगारी अधिक देखी गई है, रोजगार के नाम पर खेती और अडानी पॉवर प्लांट है। बारां की राजनीति वसुंधरा राजे के आसपास घूमती आई है, 2018 के विधानसभा चुनाव तक यहां राजे परिवार के चलते बीजेपी का दबदबा था। और राज परिवार की तूती बोलती थी। लेकिन जनता और क्षेत्र में विकास की अनदेखी के चलते मतदाता राजे परिवार से नाराज है।

बारां -अटरू विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। बारां अटरू विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरण के हिसाब से देखे तो 24 फीसदी एससी और 14 परसेंट एसटी आबादी है। मेघवाल, बैरवा,ऐरवाल , जाटव, धाकड़, मीणा , मुस्लिम,महाजन और ब्राह्मण जातियों का बाहुल्य है। बारां में बेरोजगारी अधिक देखी गई है, रोजगार के नाम पर खेती और अडानी पॉवर प्लांट है।

किशनगंज विधानसभा सीट

2018 में कांग्रेस से निर्मल सहरिया

2013 में बीजेपी से ललित कुमार मीणा

2008 में कांग्रेस से छतरी बाई

2003 में निर्दलीय हेमराज

मेवाड़-हड़ौती क्षेत्र के बारां जिले में किशनगंज विधानसभा क्षेत्र है, जो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। आदिवासी बाहुल्य किशनगंज में सहरिया समुदाय के वोटर्स सर्वाधिक है।

छबड़ा विधानसभा सीट

2018 में बीजेपी से प्रताप सिंह सिंघवी

2013 में बीजेपी से प्रताप सिंह सिंघवी

2008 में कांग्रेस से करण सिंह राठौड़

2003 में बीजेपी से प्रताप सिंह सिंघवी

1998 में बीजेपी से प्रताप सिंह सिंघवी

1993 में बीजेपी से प्रताप सिंह सिंघवी

छबड़ा विधानसभा सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है, 2008 के चुनाव को छोड़कर यहां हर बार बीजेपी ही चुनावी जीती है। यहां धाकड़ और एससी मतदाताओं का बोलबाला है। लोधी , बंजारा, मुस्लिम और ब्राह्णण वोटर्स भी चुनाव में अहम भूमिका निभाते है। सिंचाई के लिए, सड़क, साफ सफाई और शिक्षा की यहां बदहाल स्थिति है।

अंता विधानसभा सीट

2018 में कांग्रेस से प्रमोद जैन

2013 में बीजेपी से प्रभुलाल सैनी

2008 में कांग्रेस से प्रमोद कुमार

बारां जिले की सामान्य सीट अंता विधानसभा सीट कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी के पास आती रही है। 2018 में कांग्रेस,2013 में बीजेपी और 2008 में कांग्रेस ने चुनाव जीता था। यहां का जातिगत समीकरण देखा जाए तो 40 हजार के आसपास माली,35 हजार के करीब एससी और 30 हजार के करीब मीणा समुदाय के वोटर्स है। कुछ जगहों पर धाकड़ समाज प्रभाव है। परिसीमन के बाद बारां विधानसभा सीट से अलग होकर अस्तित्व में आई अंता विधानसभा सीट पर कांग्रेस मजबूत स्थिति में होती है। 2008 ,2018 में कांग्रेस और 2013 में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी।

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