आरोप-प्रत्यारोप: केवल रमेश बिधूड़ी पर ही नहीं बसपा सांसद दानिश अली पर भी गिर सकती है गाज, पीएम मोदी पर अपमानजनक टिप्प्णी करने का लगा आरोप
- संसद की मर्यादा सांसदों ने की तारतार
- बिधूड़ी के बयान पर छिड़ा सियासी घमासान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा में बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी के बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सांसद दानिश अली के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के मामले में एक्शन की तैयारी शुरू हो गई है। एबीपी न्यूज ने सूत्रों के हवाले से बताया कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस संबंध में लोकसभा सचिवालय को विशेष निर्देश दिया है कि वो इस मामले से जुड़े सारे सबूत इकट्ठा करे ताकि जांच सही तरीके से हो।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आदेश दिया है कि सदन की कार्यवाही के समय जब चंद्रयान-3 पर चर्चा शुरू हो रही थी तब उस समय के सारे रिकॉर्ड कलेक्ट किए जाए उसके बाद उनके सामने पेश किया जाए। जानकारी के मुताबिक, इस संबंध में वीडियो, फुटेज, लोकसभा का रिकॉर्ड और सदन के अन्य सदस्यों द्वारा दिए गए पत्र को भी शामिल करने को कहा गया है।
बढ़ सकती है बिधूड़ी की मुश्किल
खबरें ये भी है कि, इस मामले में पेश किए गए सभी सबूतों को ठीक से जांच करने के बाद लोकसभा अध्यक्ष इसे एथिक्स कमेटी को भेज सकते हैं। जानकारी के मुताबिक, सांसदों के खिलाफ विशेष अधिकार हनन के मामले में एथिक्स कमेटी फैसला लेती है। अगर रमेश बिधूड़ी इस मामले में आरोपी पाए जाते हैं तो उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
बसपा सांसद दानिश अली पर भी आरोप
इस पूरे मामले में केवल भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी पर ही अमर्यादित टिप्पणी करने का आरोप नहीं है बल्कि बसपा सांसद दानिश अली पर भी अपशब्द कहने का आरोप लगा है। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने दावा किया कि चंद्रयान-3 पर जब चर्चा चल रही थी तभी बसपा सांसद दानिश अली ने पीएम मोदी के खिलाफ अपशब्द बात कही। दुबे का दावा है कि अली ने पीएम मोदी को 'नीच' शब्द से संबोधित किया। जानकारी के मुताबिक, बीजेपी सांसद दुबे ने भी ओम बिरला को पत्र लेकर दानिश अली के खिलाफ जांच करने की मांग की है। साथ ही इस मामले को एथिक्स कमेटी के सामने भेजने का भी आग्रह किया है।
इस पूरे मामले पर सियासत भी जबरदस्त हो रही है। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले और बीएसपी के दानिश अली ने लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखकर इस मामले की जांच करने को कहा है।
क्या है एथिक्स कमेटी?
एथिक्स कमेटी, सांसदों के अमर्यादित आचरण या उनके खिलाफ होने वाले अत्याचार की जांच करने कमेटी है। ये समिति कार्रवाई की अनुशंसा करने का अधिकार भी रखती है। लोकसभा की वेबसाइट के मुताबिक, एथिक्स कमेटी में कुल 15 सदस्य होते हैं, जो आरोपों की जांच करते हैं।