सियासी लड़ाई: जनगणना और परिसीमन के सियासी पेंच दाव में महिलाओं का सियासी अधिकार

  • जनगणना और परिसीमन के शिकंजे में महिला आरक्षण
  • विपक्ष करता रहा शीघ्र लागू करने की मांग
  • वाह- वाही लूटने में व्यस्त राजनीतिक जल
  • जनसंख्या आधी भागीदारी 33 फीसदी

Bhaskar Hindi
Update: 2023-09-22 04:35 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महिला आरक्षण बिल यानि नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 दोनों सदनों से पास हो चुका है। इसी के साथ सदन की कार्यवाही अनिश्चितकालीन के लिए स्थगित कर दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पास हुए इस बिल को लेकर बीजेपी की केंद्र सरकार सुर्खियां बंटोर रही है, वहीं विपक्ष की तमाम पार्टियां समर्थन करते हुए इसे जल्द  से जल्द आगामी पांच राज्यों के विधानसभाओं के साथ आम चुनावों में लागू करने की मांग कर रहे है। लेकिन सरकार सदन में बोल चुकी है कि बिल को जनगणना और परिसीमन के बाद लागू किया जाएगा, जिसमें चार से पांच साल का वक्त लग सकता है। ऐसे में भले ही ये बिल पास हो गया है, लेकिन लागू होने की देरी के चलते विपक्षी नेता इसे जुमलेबाजी बता रही है। हालांकि देरी से ही सही लेकिन आजादी के 70 साल बाद ये पहले मौका है जब सियासी लड़ाई में महिलाओं को 33 फीसदी का मौका मिलने का अधिकार मिलने वाला है। 

खबरों के मुताबिक नारी शक्ति वंदन अधिनियम को लागू करने में 2029 तक का समय लग सकता है। राजनीतिक विश्लेषक कानून को लागू करने में जनगणना और परिसीमन को सियासी पेंचदाव बता रहे है। 

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