दल ही नहीं गठबंधन का नाम बदलने पर भी मजबूर कांग्रेस, UPA की जगह मिलेगा नया नाम, जानिए कब होगा फैसला?

  • आज शाम विपक्ष की डिनर 'पॉलिटिक्स'
  • 18 जुलाई को एनडीए की भी बैठक

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-17 09:09 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार को घेरने के लिए विपक्षी दल बेंगलुरु में जुटने लगे हैं। 17 और 18 जुलाई को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के ताज वेस्ड एंड होटल में अहम मीटिंग होने जा रही है। जिसमें मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस समेत 25 दल भाग लेने वाले हैं। दक्षिण से उत्तर और पूर्व से पश्चिम की सभी पार्टियां भाजपा के खिलाफ लामबंद नजर आ रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, विपक्षी दलों के समूह को अब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यानी यूपीए नहीं कहा जाएगा। इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से बताया कि, महागठबंधन का नया नाम बेंगलुरु में 18 जुलाई को होने वाली बैठक में तय हो सकता है।

यूपीए साल 2004 में अस्तिव में आया था। यूपीए का शासन साल 2004 से 2014 तक केंद्र की सत्ता पर रहा था। जिसकी अध्यक्ष कांग्रेस पार्टी की दिग्गज नेता सोनिया गांधी थीं। लेकिन 25 से ज्यादा विपक्षी पार्टियों को देखते हुए सभी दलों ने निर्णय लिया है कि यूपीए का नाम बदलकर कुछ और रखा जाना चाहिए, जो जनता से सीधे कनेक्ट करता हो ताकि उन्हें साधने में आसानी हो सके।

यूपीए के नाम बदलने को लेकर कांग्रेस ने क्या कहा?

विपक्ष की बैठक से पहले कांग्रेस नेता और पार्टी के महासचिव जय राम रमेश ने मीडिया से बातचीत में कहा कि, इस बैठक में 26 पार्टियां शरीक होने वाली हैं। हम सभी अलग-अलग मुद्दों पर एकजुट होने का प्रयास कर रहे हैं। भविष्य में जो मुद्दे हैं उन पर चर्चा होगी। पत्रकारों ने जब रमेश से यूपीए के नाम बदले जाने को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि, चिंता मत करिए, हम सभी फैसले लेने में सक्षम हैं लेकिन केवल कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को लेकर फैसला नहीं सुना सकती है। हमारे साथ 26 पार्टियां हैं कल (मंगलवार) की बैठक में क्या होता है वो समय के साथ आप सभी को पता लग जाएगा। मिल बैठ कर हम फैसला कर लेंगे।

बीजेपी के खिलाफ विपक्ष की पार्टियां आएं - जयराम रमेश

रमेश से जब पूछा गया साल 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष की ओर से पीएम के लिए कौन फेस होगा। जिस पर जवाब देते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि, सोनिया गांधी अब तक सभी संसदीय बैठकों में शामिल रही हैं उनकी मौजूदगी से विपक्ष को ताकत मिलेगी। इसके अलावा कर्नाटक की तीसरे नंबर की पार्टी जेडीएस को निमंत्रण न दिए जाने को लेकर सवाल पूछा गया तो उनका कहना था कि, किसी पार्टी को आमंत्रित करने की कोई जरूरत नहीं है। जो भी बीजेपी के खिलाफ है वो महागठबंधन के साथ आ सकता है।

कांग्रेस को स्वामी का जवाब

जयराम रमेश के इस बयान पर जेडीएस प्रमुख एचडी कुमारस्वामी ने पलटवार करते हुए कहा, "विपक्ष ने कभी भी जेडीएस को अपना हिस्सा नहीं माना इसलिए जेडीएस के किसी भी महागठबंधन की पार्टी होने का कोई सवाल ही नहीं है।" उन्होंने आगे कहा "एनडीए ने हमारी पार्टी को किसी बैठक के लिए आमंत्रित नहीं किया है।" 18 जुलाई को बीजपी भी एनडीए दल की बैठक बुलाई है। जिसमें आगामी चुनाव को लेकर चर्चा होने वाली है।

विपक्षी बैठक के मुद्दे

  • साल 2024 के आम चुनाव के लिए सर्वसम्मीत के लिए मसौदा तैयार करना
  • पार्टियों के संयुक्त कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करना और एक उपसमिति का गठन करना, जिनमें रैलियों, सम्मेलन और आंदोलन जैसे कार्यक्रम शामिल होंगे।
  • सीट बंटवारों को लेकर समन्वय बनाना
  • ईवीएम के मुद्दे पर चर्चा करना साथ ही ECI को सुधारों का सुझाव देना
  • गठबंधन का नया नाम देना
  • नए गठबंधन के लिए एक साझा सचिवालय स्थापित करना

आज शाम को विपक्षी एकता का डिनर

बेंगलुरु में आज शाम तक सभी दलों के नेता जुट जाएंगे। जिसके बाद रात को एक डिनर पार्टी रखी गई है। जिसमें 26 दलों के नेता मौजूद रहने वाले हैं। कहा जा रहा है कि इस डिनर का प्लान सांसद सोनिया गांधी ने तैयार किया है। जिसके बाद राहुल और मल्लिकार्जुन खड़गे ने मुहार लगाई। विपक्षी एकता की महाबैठक में सोनिया गांधी 18 जुलाई को भाग लेने वाली हैं। 17 जुलाई को डिनर के बाद अगले दिन यानी 18 जुलाई की सुबह 11 बजे बैठक होगी। इसके बाद शाम 4 बजे इस बैठक के नेतृत्व कर रहे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। जिसमें खड़गे कुछ बड़ा एलान कर सकते हैं।

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