न्यायपालिका की प्रक्रिया के बजाय बुलडोजर का उपयोग नफरत से प्रेरित
प्रियंका चतुर्वेदी न्यायपालिका की प्रक्रिया के बजाय बुलडोजर का उपयोग नफरत से प्रेरित
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने मध्य प्रदेश के खसखासवाड़ी इलाके में रामनवमी के जुलूस के दौरान हुई झड़पों के बाद जिला प्रशासन द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने एक घर को ध्वस्त किये जाने को नफरत से प्रेरित करार देते हुए मामले में न्यायपालिका से स्वत: संज्ञान लेंगे मांग की है।
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने बुधवार को ट्वीट कर कहा, अपराध और सजा तय करने के लिए न्यायपालिका की प्रक्रिया के बजाय बुलडोजर का उपयोग करना सत्ता और अहंकार के नशे में धुत राज्य का एक और उदाहरण है, जो सभी लोकतांत्रिक और संवैधानिक मानदंडों को दरकिनार कर नफरत से प्रेरित है शर्मनाक मिसाल।
उन्होंने कहा, क्या न्यायपालिका अपनी संवैधानिक भूमिका को खत्म करने के लिए इस खतरनाक प्रवृत्ति के प्रति मूकदर्शक बनी रहेगी या वे स्वत: संज्ञान लेंगे? क्या कानून मंत्री स्वेच्छा से इस जिम्मेदारी का पक्ष ले रहे हैं? मुझे बताया जा रहा है या ट्रोल किया जा रहा है कि बुलडोजर वाले घर अवैध घर थे। तो क्या प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए गए घरों को केंद्र और राज्य द्वारा समर्थित एक जानबूझकर अवैध कार्य था? यदि नहीं, तो राज्य सरकार ने शीघ्र कार्रवाई क्यों नहीं की?
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के खरगोन और बडवानी में रामनवमी के जुलूस पर पथराव को लेकर अब शिवराज सरकार सख्ती दिखाते हुए दंगाइयों के घर को बुलडोजर से ध्वस्त करा दिया। प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दंगाइयों को कड़ी चेतावनी देने के कुछ देर बाद ही उपद्रवियों के घरों पर बुलडोजर चला दिया गया है। इसी को लेकर शिवसेना, कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने बीजेपी शासित मध्य प्रदेश सरकार पर सवाल उठाए हैं।
दरअसल खरगोन में रविवार को श्रीराम शोभायात्रा निकाली जा रही थी। जैसे ही यह जुलूस मुस्लिम बहुल इलाके में पहुंचा तो यात्रा पर पथराव हो गया। उपद्रवियों ने इस दौरान आतंक फैलाते हुए करीब 30 से ज्यादा दुकानों और मकानों में आग लगा दी थी। साथ ही कई मकानों में घुसकर तोड़फोड़ की गई। देखते ही देखते भगदड़ मच गई। जिसके बाद सांप्रदायिक तनाव फैल गया। इसी घटना के बाद प्रदेश सरकार ने कार्रवाई करते हुए कुछ घरों पर बुलडोजर चलवा दिया।
(आईएएनएस)