जानिए किसका होगा राजतिलक? कैसे आज ही हो जाएगा इसका आधा फैसला!
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 जानिए किसका होगा राजतिलक? कैसे आज ही हो जाएगा इसका आधा फैसला!
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। भारत की सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में 18वीं विधानसभा के गठन के लिए चुनाव आज से शुरू हो गए हैं। उप्र एक ऐसा राज्य है जिसके चुनाव पर देशभर की नजर है और हर कोई यह जानने के लिए उत्सुक है कि चुनाव के नतीजे कैसे होंगे और यहां किसका राजतिलक होगा? तो आपको बता दें कि इसका आधा फैसला आज की होने वाला है!
दरअसल, चुनाव के पहले होने वाली हलचल से काफी कुछ साफ हो गया है। हालांकि यूपी चुनाव में 7 चरणों के मतदान के बाद किसकी सरकार बनेगी यह 10 मार्च को तय होगा।
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जाट, गुर्जर और मुस्लिम, किस पार्टी के कितने वोट
उप्र में भाजपा की बात करें तो पार्टी अपने गुंडागर्दी हटाओ अभियान हो हवा देती नजर आ रही है। हालांकि किसान कानून को लेकर बीते साल में किसानों के गुस्से का सामना भी पार्टी को करना पड़ा था। वहीं मुस्लिम वर्ग भी कुछ हद तक खफा नजर आया। वहीं बात करें समाजवादी पार्टी की तो ग्रामीण जाट मतदाता अब भी सपा-रालोद गठबंधन का साथ देते नजर आ रहे हैं।
यहां देखने वाली बात यह कि मेरठ-मुजफ्फरनगर की गन्ना बेल्ट में भाजपा की तमाम कोशिशें नाकाम रही हैं। देखा जाए तो जाटों की आबादी केवल 2 प्रतिशत से अधिक है, फिर भी यह समुदाय न केवल पश्चिमी यूपी की राजनीति पर हावी है, बल्कि अन्य समुदायों के किसानों पर भी हावी है।हालांकि यह कहना मुश्किल है कि जाट पूरी तरह से सपा के साथ हैं। क्योंकि आगरा, अलीगढ़ और मथुरा में सपा ने मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए हैं।
अब बात करें मुस्लिम वोटरों की तो एसपी और आरएलडी गठबंधन को इनका साथ मिल सकता है। एक सर्वे के अनुसार, 77% मुस्लिम वोटर एसपी गठबंधन को चुन सकते हैं। हालांकि, इससे पहले मुसलमान एसपी, बीएसपी और कांग्रेस के बीच बंटे नजर आते थे।
वहीं पश्चिम यूपी में मुस्लिम वर्ग की आबादी प्रदेश के किसी भी हिस्से की तुलना में सर्वाधिक है। यहां मुस्लिमों के कुछ वर्ग में असुद्दीन ओवैसी भी काफी लोकप्रिय हुए हैं। हालांकि यह साफ नहीं है कि कितने प्रतिशत वोटर का साथ उन्हें मिल पाएगा। कुल मिलाकर पहले चरण की कई सीटों पर मुस्लिम-जाट गठजोड़ ही एसपी-आरएलडी गठबंधन की जीत हार का फैसला कर सकता है।
अब बात की जाए गुर्जर समुदाय की तो यह वर्तमान सरकार से कुछ खफा नजर आ रहे हैं। हालांकि पिछले चुनाव में इनके वोट भाजपा के हिस्से में आए थे। लेकिन किसान आंदोलन और राजा मिहिर भोज वाले विवाद के बाद इस वर्ग में भाजपा के लिए नाराजगी देखने को मिली है।
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वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की बात करें तो दोनों समुदाय यानी कि जाट और मुस्लिम वर्ग को हटा दिया जाए तब भी वोटरों की कमी नजर नहीं आती है। क्योंकि इन दोनों के अलावा कई अन्य जातियां पिछले कई चुनावों से बीजेपी को वोट देती आई हैं। यही नहीं गैर यादव ओबीसी मतदाताओं में पश्चिमी यूपी में बीजेपी की मजबूत पकड़ है। साथ ही गैर जाटव वोटरों में पासी, धोबी, और कोइरी कुल आबादी 32% है जिन्होंने पिछले चुनाव में भाजपा का जमकर समर्थन किया था।
हालांकि, यहां भी देखा जाए तो महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। लेकिन मुफ्त राशन और कोरोना काल में सीधे खाते में पैसे पहुंचाने वाली कई योजनाओं के चलते इन वोटरों का साथ भाजपा को मिल सकता है।