तृणमूल नेता लिएंडर पेस ने गलती से गोवा को द्वीप बताया
पश्चिम बंगाल तृणमूल नेता लिएंडर पेस ने गलती से गोवा को द्वीप बताया
डिजिटल डेस्क, पणजी। दिग्गज टेनिस खिलाड़ी और तृणमूल कांग्रेस के नेता लिएंडर पेस को साल 2022 के गोवा विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी का चेहरा माना जा रहा है। उन्होंने गुरुवार को दक्षिण गोवा में चुनाव प्रचार के पहले दिन गलती से इस तटीय राज्य को एक द्वीप बताया। ओलंपिक कांस्य पदक विजेता पेस पिछले महीने ही तृणमूल में शामिल हुए हैं। उन्होंने भी गोवा में मछुआरों के लिए सब्सिडी उपकरण और अन्य वादों की झड़ी लगाई, जबकि अवैध रूप से मछली पकड़ने के लिए राज्य के पानी की निगरानी में कमी पर राज्य सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि पिछले एक दशक में मछली पकड़ने में 85 प्रतिशत की गिरावट आई है।
पेस ने एक वीडियो संदेश में कहा, गोवा इतना सुंदर बड़ा द्वीप है। गोवा के मुख्य व्यवसायों में से एक मत्स्य पालन है। मछुआरे पूरे द्वीप को बनाते हैं। मछुआरों के पास कुछ प्रमुख मुद्दे हैं। तृणमूल द्वारा गलती से गोवा को दो बार द्वीप के रूप में संदर्भित किया गया। भारत का सबसे छोटा राज्य गोवा, देश के पश्चिमी तट पर स्थित है। पेस कोलकाता में पैदा हुए हैं, लेकिन गोवा की विरासत साझा करते हैं। उन्होंने गुरुवार को दक्षिण गोवा के तटीय क्षेत्र में अपने चुनाव अभियान की शुरुआत की।
राज्य में मछुआरे कई समस्याओं से त्रस्त हैं, यह कहते हुए पेस ने कहा, जहां बड़े जाल फेंके जाते हैं, वहां बड़ी संख्या में बड़ी मछलियां फंसती हैं। इसके अलावा, दूसरे राज्यों से नावें आती हैं और रोशनी से मछली को आकर्षित करने के लिए एलईडी का उपयोग करती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पड़ोसी राज्यों के मछुआरों को राज्य के समुद्रों में अवैध शिकार से रोकने के लिए गोवा के समुद्र में बेहतर गश्त की जरूरत है। उन्होंने कहा, मछुआरों के लिए बहुत काम किया जा सकता है, जैसे पानी की गश्त करना ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारी नावों से हमारे गोवा के मछुआरों को उचित संख्या में मछलियां मिलें।
पेस ने यह भी कहा कि मछुआरों को पर्याप्त सब्सिडी देने की जरूरत है। पेस ने कहा, मुझे लगता है कि हम उन्हें रियायती दर पर उपकरण खरीदने की सुविधा दे सकते हैं, चाहे जाल हों, मछली पकड़ने के उपकरण या नाव हों। उन्हें उन उपकरणों की मरम्मत की सुविधा भी रियायती दर दी जानी चाहिए। पेस ने यह भी दावा किया कि पिछले एक दशक में राज्य में मछली पकड़ने की दर 85 प्रतिशत कम हो गई है।
(आईएएनएस)