यूपी के नेताओं के लिए बेहद खराब रहा ये वीकेंड
उत्तर प्रदेश यूपी के नेताओं के लिए बेहद खराब रहा ये वीकेंड
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में नेताओं के लिए वीकेंड बेहद खराब रहा। विभिन्न राजनीतिक दलों के कम से कम चार राजनेताओं को मुसीबतों का सामना करना पड़ा। गोरखपुर में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) की अदालत ने मंत्री संजय निषाद के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया और पुलिस को उन्हें गिरफ्तार कर 10 अगस्त तक कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया। 2015 में संजय निषाद के नेतृत्व में आरक्षण समर्थक आंदोलन हिंसक हो गया था। इस दौरान पुलिस वाहनों को काफी नुकसान पहुंचाया गया था। निषाद ने कहा कि उन्हें अदालत के आदेश की जानकारी नहीं है। वह अपने वकील से बात करेंगे और उसके अनुसार कार्रवाई करेंगे।
एक अन्य मंत्री, राकेश सचान को शनिवार को कानपुर की एक अदालत ने दोषी करार दिया। सचान को तीन दशक पुराने आर्म्स एक्ट के एक मामले में दोषी ठहराया गया है, जिसके बाद नेता जमानत बांड प्रस्तुत किए बिना कोर्टरूम से गायब हो गए। अभियोजन अधिकारी (पीओ) ऋचा गुप्ता ने कहा कि सचान दोषी ठहराए जाने के तुरंत बाद कोर्टरुम से चले गए। वह बिना जमानत बांड के चले गए और इस संबंध में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।
कानपुर के पुलिस आयुक्त बी.पी. जोगदंड ने सचान के खिलाफ लिखित शिकायत मिलने की पुष्टि की। अधिकारी ने कहा कि मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्णय वरिष्ठ न्यायिक अधिकारियों के साथ मैराथन बैठक के बाद लिया गया। वही, सचान ने गुपचुप तरीके से कोर्ट रूम से चले जाने के आरोपों से इनकार किया। उन्होंने कहा कि वह किसी काम से अदालत गए थे। मंत्री ने दावा किया कि उनका मामला अंतिम फैसले के लिए सूचीबद्ध नहीं था। उनके वकील ने व्यक्तिगत पेशी से छूट देने के लिए कोर्ट में एक आवेदन दिया है।
मंत्री ने कहा कि वह अदालत के फैसले का सम्मान करेंगे, चाहे जो भी हो। गुप्ता ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि 1991 में पुलिस ने राकेश सचान के पास से एक अवैध तमंचा बरामद किया था। सचान इस साल की शुरूआत में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे।
इस बीच, वाराणसी में, एमपी-एमएलए अदालत ने घोसी से बसपा सांसद अतुल राय को 24 वर्षीय एक महिला के साथ कथित बलात्कार के मामले में बरी कर दिया। अतुल राय पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली महिला ने अपने दोस्त और मामले में मुख्य गवाह के साथ न्याय में देरी का आरोप लगाते हुए 17 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट के सामने आत्मदाह किया था, बाद में दोनों की मौत हो गई। राय के वकील अनुज यादव ने कहा कि चूंकि राय को लखनऊ सहित अन्य मामलों में जमानत नहीं मिली है, इसलिए वह इस मामले में बरी होने के बावजूद जेल में ही रहेंगे। उन्होंने कहा, बचाव पक्ष द्वारा पेश किए गए सबूतों को स्वीकार कर लिया गया और राय को बरी कर दिया गया।
चौथी घटना में जौनपुर की एक अदालत ने 27 साल पुराने तिहरे हत्याकांड में मछलीशहर के पूर्व सांसद उमाकांत यादव समेत सात लोगों को दोषी करार दिया। अदालत इस मामले में आठ अगस्त को सजा सुनाएगी। जिला शासकीय अधिवक्ता लाल बहादुर पाल ने बताया कि जौनपुर के अपर जिला सत्र न्यायाधीश शरद चंद्र त्रिपाठी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपी को दोषी माना। मामला फरवरी 1995 का है, जब जौनपुर में शाहगंज राजकीय रेलवे पुलिस के लॉकअप में बंद राज कुमार यादव को छुड़ाते समय गोली लगने से कॉन्सटेबल अजय सिंह, लल्लन सिंह और एक अन्य व्यक्ति की मौत हो गई थी।
अधिवक्ता ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि शाहगंज जीआरपी में पदस्थापित कांस्टेबल रघुनाथ सिंह ने एफआईआर दर्ज करायी थी कि फरवरी 1995 में राइफल, पिस्टल से लैस आरोपी उमाकांत यादव अपने साथियों के साथ जीआरपी चौकी पर आया था। उमाकांत ने लॉकअप में बंद राज कुमार यादव को जबरन छुड़ाने की कोशिश की। उसने गोली चला दी और फायरिंग में अजय सिंह और लल्लन सिंह कांस्टेबल के अलावा एक अन्य की मौत हो गई।
(आईएएनएस)
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