10 साल पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलने वाले जिस अध्यादेश की कॉपी को राहुल गांधी ने बकवास करार देकर फाड़ा था, उसी फैसले से गई लोकसभा की सदस्यता
राहुल की सदस्यता रद्द 10 साल पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलने वाले जिस अध्यादेश की कॉपी को राहुल गांधी ने बकवास करार देकर फाड़ा था, उसी फैसले से गई लोकसभा की सदस्यता
डिजिटल डेस्क,दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल की संसद सदस्यता को समाप्त कर दिया गया है। वो केरल के वायनाड से सांसद थे। लोकसभा सचिवालय ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। बता दें गुरुवार (23 मार्च) को मोदी सरनेम को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी के आपराधिक मानहानि मामले में सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी ने 2 साल की सजा सुनाई और 15 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था। हालांकि कोर्ट ने उन्हें सुनवाई के दौरान ही जमानत दे दी थी। कोर्ट के द्वारा दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद से ही राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता पर खतरा मंडराने लगा था।
सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2013 के अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि अगर किसी जनप्रतिनिधि (सांसद, विधायक, विधान परिषद सदस्य) को किसी मामले में कम से कम 2 साल की सजा दी जाती है, तो उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से समाप्त हो जाएगी। राहुल गांधी की सदस्यता इसी कानून के तहत खत्म की गई है।
अध्यादेश की प्रति फाड़ी थी
बता दें उस समय की तत्कालीन मनमोहन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलने के लिए अध्यादेश लाने की कोशिश की थी लेकिन उस समय राहुल गांधी ने उसकी प्रति को बकवास बताते हुए फाड़कर फेंक दिया था। यह भी एक संयोग ही है कि जिस अध्यादेश को बकवास बताते हुए फाड़ा था आज उसी फैसले की वजह से राहुल गांधी की सदस्यता गई है।
लिली थॉमस केस में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था फैसला
वकील लिली थॉमस और एनजीओ लोक प्रहरी के सचिव लखनऊ के वकील सत्य नारायण शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट में जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (4) को चुनौती दी थी। इस केस को लिल थॉमस केस के नाम से जाना जाता है।
जस्टिस ए. के. पटनायक और जस्टिस एस. जे. मुखोपाध्याय की बेंच ने 10 जुलाई 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 8 (4) को असंवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि अगर किसी जनप्रतिनिधि (सांसद, विधायक, विधान परिषद सदस्य) को किसी मामले में कम से कम 2 साल की सजा दी जाती है तो उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से समाप्त हो जाएगी। साथ ही सजा पूरी होने के बाद भी वह अगले 6 साल तक चुनाव भी नहीं लड़ सकते हैं।