12 भाजपा विधायकों के निलंबन वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा को जारी किया नोटिस
महाराष्ट्र 12 भाजपा विधायकों के निलंबन वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा को जारी किया नोटिस
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पीठासीन अधिकारी के साथ विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों जगह कथित बदसलूकी करने को लेकर जुलाई में विधानसभा से एक साल के लिए निलंबन को चुनौती देने वाली भाजपा के 12 विधायकों की याचिका पर महाराष्ट्र विधानसभा को अपने सचिव के माध्यम से नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर ने कहा कि नोटिस या इन अदालती कार्यवाही का लंबित रहना निलंबित विधायकों के सदन से उनके निलंबन के कार्यकाल को कम करने पर विचार करने का आग्रह करने के कदम के आड़े नहीं आएगा। इन निलंबित 12 सदस्यों में संजय कुटे, आशीष शेलार, अभिमन्यु पवार, गिरीश महाजन, अतुल भटकलकर, पराग अलवानी, हरीश पिंपले, योगेश सागर, जय कुमार रावत, नारायण कुचे, राम सतपुते और बंटी भांगड़िया शामिल हैं। विधायकों ने अपने निलंबन को विपक्षी दल की संख्या कम करने के लिए राजनीति से प्रेरित बताया है।
सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, मुकुल रोहतगी, नीरज किशन कौल और सिद्धार्थ भटनागर याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए, जिनका सहयोग अधिवक्ता सिद्धार्थ धर्माधिकारी और अभिकल्प प्रताप सिंह ने किया। सिंह के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, आक्षेपित प्रस्ताव भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के घोर उल्लंघन के साथ पारित किया गया है। याचिकाकर्ताओं को सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया गया या फिर कम से कम उनका लिखित स्पष्टीकरण तक प्रस्तुत नहीं किया गया।
याचिका में शीर्ष अदालत से विधायकों के निलंबन के प्रस्ताव को रद्द करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 11 जनवरी को निर्धारित की है। याचिका में कहा गया है कि प्रस्ताव यह नहीं दिखाता है कि निलंबन की कार्रवाई लाने के दौरान लोगों की भारी भीड़ से 12 विधायकों की पहचान करते समय किस सामग्री पर भरोसा किया गया था।
याचिका में आगे कहा गया है, आक्षेपित प्रस्ताव सदन के पटल पर और अध्यक्ष के कक्ष के बाहर अनियंत्रित व्यवहार को दर्शाता है। कथित घटना का वीडियो फुटेज, जो सार्वजनिक डोमेन में है, लोगों की एक बड़ी भीड़ को दिखाता है और निलंबित किए गए 12 विधायकों की पहचान करने का कोई तरीका नहीं है।
गौरतलब है कि विधानसभा के पीठासीन अधिकारी के साथ अपमानजनक और दुर्व्यवहार करने के आरोप में 6 जुलाई को महाराष्ट्र विधानसभा से 12 भाजपा विधायकों को एक साल के लिए निलंबित किया गया था। विधानसभा में हंगामा तब शुरू हुआ, जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के मंत्री छगन भुजबुल ने राज्य में स्थानीय निकायों में राजनीतिक आरक्षण प्रदान करने के लिए केंद्र द्वारा ओबीसी पर एक डेटा जारी करने की मांग करते हुए विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया था।
(आईएएनएस)