बसपा के स्टार प्रचारकों की सूची से सतीश का गायब होना सियासी गलियारों में बना चर्चा का विषय

उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव बसपा के स्टार प्रचारकों की सूची से सतीश का गायब होना सियासी गलियारों में बना चर्चा का विषय

Bhaskar Hindi
Update: 2022-06-09 05:00 GMT
बसपा के स्टार प्रचारकों की सूची से सतीश का गायब होना सियासी गलियारों में बना चर्चा का विषय
हाईलाइट
  • अटकलों को जन्म

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। बसपा में मायावती के बाद नम्बर दो की हैसियत रखने वाले सतीश मिश्रा को आजमगढ़ में हो रहे उपचुनाव में स्टार प्रचारकों की सूची में जगह न मिलना सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

अभी हाल में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा की ओर से प्रमुख कर्ता धर्ता रहे सतीश चन्द्र मिश्रा ने तकरीबन 150 से ज्यादा जनसभाएं कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने में लगे थे। खैर बसपा को उसका फायदा नहीं मिला। लेकिन आजमगढ़ चुनाव जो कि बसपा के लिए प्रतिष्ठा का विषय बनीं हैं जहां पर पार्टी ने पूरी मशीनरी लगा रखी, वहीं मायावती के खास रहे सतीश मिश्रा का नाम प्रचारकों की सूची से गायब होना बड़ी बात है।

बसपा के एक नेता ने बताया कि विधानसभा चुनाव में पूरी जिम्मेदारी सतीश चन्द्र मिश्रा के उपर थी। लेकिन पार्टी को वह सफलता नहीं मिल पायी जो मिलनी चाहिए। मायावती लगातार समीक्षा भी कर रही है। हालांकि वह बैठकों में पहले जैसे भी सक्रिय नहीं दिखते हैं। कुछ बैठकों में गए भी नहीं है। जो जानकारी मिल रही कि राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद वह दिल्ली में भी पार्टी मजबूत करने में लगेंगे। हालांकि अभी कुछ ऐसा निर्देश आधिकारिक रूप से भी जारी नहीं हुआ है। बीते दिनों उनके खास रहे नकुल दुबे पर गाज गिरी उन्हें पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखाया था।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो बसपा में आने के बाद से ही सतीश चंद्र मिश्रा हमेशा अहम भूमिका में नजर आए हैं। यह पहला मौका है जब उनका नाम स्टार प्रचारकों की सूची में नहीं है। इतना ही नहीं 2007 में जब मायावती ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनायी थी तो दलित-ब्राह्मण समीकरण में भी सतीश चंद्र मिश्रा की अहम भूमिका थी। लेकिन आचनक आजमगढ़ के उपचुनाव में उनका नाम गायब हो कई प्रकार के अटकलों को जन्म दें रहा है।

ज्ञात हो बहुजन समाज पार्टी ने आजमगढ़ में हो रहे लोकसभा उपचुनाव के लिए 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है। जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के बाद प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर, मुनकाद अली, डा. विजय प्रताप गौतम, राजकुमार गौतम के नाम शामिल है।

 

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