कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा पर मुस्लिम आरक्षण रद्द करने का दबाव
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डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा पर पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, राज्य में शिक्षा और सरकारी सेवाओं में विभिन्न श्रेणियों के तहत मुस्लिम आरक्षण को रद्द करने का दबाव है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा है कि सरकार जो भी करेगी संवैधानिक रूप से करेगी। बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण बढ़ाने की घोषणा के बाद से पार्टी जोरों पर है। पार्टी इसे अपनी उपलब्धि बता रही है।
अब विभिन्न समुदाय समूह दबाव बना रहे हैं और हिंदुत्ववादी संगठन मुख्यमंत्री बोम्मई पर इस संबंध में साहसिक निर्णय लेने का दबाव बना रहे हैं। पंचमासली लिंगायत, कुरुबा और अन्य समुदाय विभिन्न श्रेणियों के तहत आरक्षण का दावा कर रहे हैं और आंदोलन शुरू कर दिया है। भाजपा विधायक अरविंद बेलाड ने खुले तौर पर कहा था कि मुसलमानों और ईसाइयों को दिया गया आरक्षण वापस लिया जाना चाहिए और हिंदू अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान जाति आधारित आरक्षण प्रदान करता है और धर्म आधारित आरक्षण प्रदान नहीं करता है। अब सीएम बोम्मई के इस बयान के बाद बहस चल रही है कि उनकी सरकार संविधान के मुताबिक फैसला लेगी।
पार्टी 2ए और 2बी श्रेणियों के तहत मुसलमानों को आरक्षण रद्द करने और पंचमसाली लिंगायत समुदाय को आरक्षण प्रदान करने की योजना बना रही है, जो सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के साथ लॉगरहेड्स में है। पार्टी के नेताओं को लगता है कि इस तरह के कदम से आगामी विधानसभा चुनावों में वोटों की अच्छी पैदावार होगी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण भी करेगा। मुस्लिम समुदाय के नेताओं ने विकास पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और सरकार को दुस्साहस में नहीं पड़ने की चेतावनी दी है। पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक यू.टी. खादर ने कहा था कि सत्तारूढ़ भाजपा वोट पाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। उन्होंने अपील की है कि मुसलमानों के आरक्षण में खलल नहीं डाला जाना चाहिए।
(आईएएनएस)
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