हाइड्रोक्सिलक्लोरोक्विन के निर्यात पर राहुल ने जताई नाराजगी, बोले- देश को पहले मिले जीवन रक्षक दवा
हाइड्रोक्सिलक्लोरोक्विन के निर्यात पर राहुल ने जताई नाराजगी, बोले- देश को पहले मिले जीवन रक्षक दवा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अमेरिका को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन निर्यात किए जाने को लेकर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा है कि यह जीवन रक्षक दवा पहले देश को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। कांग्रेस नेता ने ड्रग एक्सपोर्ट के मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति की उनके प्रतिशोध को लेकर निंदा की। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, दोस्ती में प्रतिशोध नहीं होता। भारत को जरूरत के समय सभी देशों की मदद करनी चाहिए, लेकिन पहले जीवन रक्षक दवाएं भारतीयों को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
कांग्रेस नेता ने कहा कि ऐसी खबरें हैं कि खुदरा बाजार में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन नहीं मिल रही है, क्योंकि सरकार ने इस दवा को निर्यात किए जाने का फैसला किया है। इसका इस्तेमाल कोरोना से लड़ने वाले अग्रणी योद्धाओं द्वारा अनिवार्य रूप से किया जाना है।
Friendship isn’t about retaliation. India must help all nations in their hour of need but lifesaving medicines should be made available to Indians in ample quantities first.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 7, 2020
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस मलेरिया-रोधी दवा को कोरोना संक्रमण निवारक दवा के रूप में उपयोग करने की सिफारिश की है। यह दवा स्वास्थ्य कार्यकर्ता, डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ को संक्रमण से बचाएगी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अमेरिका को घातक कोविड-19 बीमारी के खिलाफ लड़ाई में मदद करने के लिए दवा का निर्यात करने का अनुरोध किया है, जिसके बाद सरकार ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के निर्यात पर लगा आंशिक प्रतिबंध हटाने का फैसला लिया है।
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आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सरकार मानवीय आधार पर मौजूदा आदेशों को तुरंत मंजूरी देगी। सूत्रों ने कहा कि केंद्र अब घरेलू जरूरतों को पूरा करने के बाद स्टॉक की उपलब्धता के आधार पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन और पैरासिटामोल के निर्यात पर प्रतिबंध नहीं लगाएगा।
राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन कर उनसे अनुरोध किया था कि वे कोविड -19 रोगियों के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली मलेरिया-रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की आपूर्ति करें और रोगियों की देखभाल कर रहे अग्रणी कार्यकर्ताओं की मदद करें। मोदी सरकार ने इस दवा के निर्यात पर उस समय प्रतिबंध लगा दिया था, जब कोरोनोवायरस का प्रकोप भारत में फैलने लगा था।