राहुल गांधी संसद सदस्यता समाप्त होने पर उठाए थे सवाल, अब ट्रंप पर चल रहे केस को लेकर भारत ने अमेरिका और जर्मनी को दिया करारा जबाव 

ट्रंप पर जवाब! राहुल गांधी संसद सदस्यता समाप्त होने पर उठाए थे सवाल, अब ट्रंप पर चल रहे केस को लेकर भारत ने अमेरिका और जर्मनी को दिया करारा जबाव 

Bhaskar Hindi
Update: 2023-04-07 09:22 GMT
राहुल गांधी संसद सदस्यता समाप्त होने पर उठाए थे सवाल, अब ट्रंप पर चल रहे केस को लेकर भारत ने अमेरिका और जर्मनी को दिया करारा जबाव 

डिजिटल डेस्क,दिल्ली।  अमेरिका हमेशा से ही भारत सहित दुनिया के कई देशों के अंदरूनी मामलों में दखल देने का प्रयास करता रहता है। हालांकि कई मामलों में उसकी बयानबाजी उस पर ही भारी पड़ जाती है। हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता समाप्त होने बाद अमेरिका की प्रतिक्रिया सामने आई थी। लेकिन इस बार अमेरिका को भारत ने उसी की भाषा में  जबाव दिया है। दरअसल भारत ने अपनी प्रतिक्रिया उस समय दिया है जब राष्ट्रपति  डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ आपराधिक केस चलाया जा रहा है। इसी मामले पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि ट्रंप पर चल रहे केस पर हमारी भी नजर है। 

क्या है ट्रंप पर आरोप 

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर 2016 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान पॉर्न एक्ट्रेस का मुंह बंद कराने का आरोप हैं। आरोपों में यह कहा गया कि पॉर्न एक्ट्रेस स्टॉर्मी डेनियल्स को ट्रंप की ओर से मुंह बंद रखने के लिए 1,30,000 डॉलर दिए गए।ट्रंप ने अपने वकील माइकल कोहेन के जरिए इन पैसों को स्टॉर्मी डेनियल्स तक पहुंचाए थे। पॉर्न स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स के अनुसार डोनाल्ड ट्रंप से उसकी पहली मुलाकात कैलिफोर्निया और नेवादा के बीच स्थित तोहे झील में होने वाले एक चैरिटी गोल्फ टूर्नामेंट के दौरान हुई थी 

साल 2011 में दिए एक इंटरव्यू में पॉर्न स्टार स्टॉर्मी ने 'इन टच वीकली' में बताया था कि ट्रंप ने उन्हें डिनर के लिए बुलाया था। जिसके बाद वह उनके होटल रूम में मिलने गई। हालांकि यह इंटरव्यू 2018 में जारी किया गया। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उनके साथ साल 2006 में संबंध बनाए थे। किसी को नहीं बताने या अपना मूंह बंद रखने के लिए ट्रंप ने पॉर्न स्टार को पैसे भी दिए थे। बता दें सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने ट्रंप पर 1.22 लाख डॉलर का जुर्माना लगाया है। जुर्माना लगाए जाने के बाद डोनाल्ट ट्रंप अमेरिका के पहले राष्ट्रपति होंगे जिनके खिलाफ आपराधिक आरोप लगाए गए हैं। 

ट्रंप मामले पर बोला विदेश मंत्रालय 

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हमने ट्रंप के इस कानूनी मामले पर गौर किया है। साथ ही इससे संबंधित मामलों पर भी हमारी नजर है। बागची ने आगे कहा कि यह मामला पूर्ण रूप से अमेरिकी अदालत के अधीन है और आगे अमेरिकी कानून के अनुसार ही कार्यवाही होगी। 

बता दें भारत की तरफ अमेरिका या यूरोप को करारा जबाव देने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले जब कांग्रेस नेता  राहुल गांधी की सदस्यता रद्द होने पर अमेरिका और जर्मनी की प्रतिक्रिया सामने आई थी तब भी भारत ने करारा जबाव दिया था।  

अमेरिका ने क्या कहा? 
राहुल गांधी की संसद सदस्यता समाप्त होने पर अमेरिका ने कहा था कि भारतीय अदालतों में राहुल गांधी पर चल रहे मामलों पर हमारी नजर है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा था कि "कानून और न्यायिक स्वतंत्रता के लिए सम्मान किसी भी लोकतंत्र की आधारशिला है। भारतीय अदालतों में चल रहे राहुल गांधी के मामलों पर हमारी नजर है."  

जर्मनी की टिप्पण?
जर्मनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने राहुल गांधी को लेकर हुए फैसलों पर कहा था कि राहुल गांधी इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकते हैं। जिसके बाद यह साफ हो जाएगा कि आगे भी यह फैसला कायम रहता है या नहीं। इसके साथ ही जर्मनी ने यह भी कहा कि यह भी साफ हो  जाएगा कि राहुल की संसद सदस्यता बर्खास्त करने का कोई आधार है या नहीं लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि उन पर कार्यवाई करते समय मौलिक लोकतांत्रिक सिंध्दांत के अधिकारों और न्यायिक स्वतंत्रता के मानक को ध्यान में रखा जाएगा। 

भारत का जवाब

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने  प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गुरुवार को कहा, "हम समय-समय पर देखते हैं कि कुछ देश भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणियां करते हैं. जर्मनी इसका ताजा उदाहरण है। मुझे नहीं पता कि वो इस तरह की टिप्पणियों से क्या हासिल करना चाहते हैं, लेकिन भारत उनके विचारों की प्रतीक्षा नहीं कर रहा है और न ही इस तरह की टिप्पणियों से भारतीय संस्थानों के कामकाज पर कोई असर पड़ता है।" 

इससे पहले भी कई बार भारतीय विदेशमंत्री एस जयशंकर ने बड़े-बड़े मंचों से अमेरिका और पश्चिमी देशों की पोल खोली है। 
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर उनके द्वारा दिया गया बयान दुनिया भर में चर्चा का विषय बना था। जिसके बाद भारत पर दबाव बनाने के कोशिश भी अमेरिका की तरफ से की गई लेकिन भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात और बढ़ा दिया था।  

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