यूपी की सियासत में उछली लाल टोपी की ये है असल कहानी, पुराना रहा है टोपियों का सियासी इतिहास

लाल टोपी की कहानी यूपी की सियासत में उछली लाल टोपी की ये है असल कहानी, पुराना रहा है टोपियों का सियासी इतिहास

Bhaskar Hindi
Update: 2021-12-08 06:23 GMT
हाईलाइट
  • रंगों की राजनीति

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तरप्रदेश में आगामी चुनावी को लेकर मंच से तंज कटाक्ष बरस रहे है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को गोरखपुर में एम्स और खाद कारखाने के लोकार्पण के दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए समाजवादी पार्टी की लाल टोपी पर कटाक्ष किया और सपा पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा था उत्तर प्रदेश को लाल टोपी वालों से खतरा है। पीएम के इस बयान पर सियासी घमासान मचा हुआ है। उनके इस बयान पर विपक्षी दल पलटवार कर रहे हैं। पीएम के तंज के बाद एक बार फिर टोपी का चर्चा बन गई है। सपा मुखिया अखिलेश यादव के पलटवार के बाद अब आम आदमी पार्टी नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने पीएम मोदी के बयान पर पलटवार किया है । 

संजय सिंह ने ट्विटर पर प्रधानमंत्री मोदी की काली टोपी पहने हुए फोटो पोस्ट के साथ ही उन्होंने लिखा काली टोपी वालों का दिल और दिमाग दोनों काला होता है।  दरअसल संजय सिंह ने आरएसएस की टोपी के जरिए पीएम मोदी पर तंज कसा है। 

अखिलेश यादव ने बीजेपी के इस हमले को अब अपने पक्ष में ही भुनाना शुरू कर दिया।  सपा प्रमुख पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी पीएम मोदी के लाल टोपी वाले बयान पर पलटवार करते हुए ट्वीट किया बीजेपी के लिए रेड अलर्ट है महंगाई का, बेरोजगारी-बेकारी का, किसान-मजदूर की बदहाली का, हाथरस, लखीमपुर, महिला व युवा उत्पीड़न का, बर्बाद शिक्षा व्यवस्था, व्यापार व स्वास्थ्य सेवाओं का और लाल टोपी का क्योंकि लाल टोपी ही बीजेपी को सत्ता से बाहर करेगी। आगे उन्होंने लिखा  लाल का इंकलाब होगा, बाइस में बदलाव होगा।

सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी ने मेरठ में कल मंगलवार को जनसभा की।  जनसभा में उमड़ी लाखों लोगों की जमा भीड़ की ओर इशारा करते हुए अखिलेश यादव ने कहा जनता का उत्साह बता रहा है कि साल 2022 में बदलाव होने जा रहा है। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा इस बार पश्चिम (उत्तर प्रदेश) में बीजेपी का सूरज नहीं उगेगा यहां के किसानों और युवाओं ने मिलकर भाजपा को भगाने का फैसला लिया कर लिया है। 

योगी ने त्रिपुरा में लाल झंडे को लिया था निशाने पर 

यह पहला मौका नहीं है जब बीजेपी ने समाजवादी पार्टी की लाल टोपी  पर हमला किया हो। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी के मजबूत गढ़ त्रिपुरा में भगवा लहराने के बाद योगी आदित्यनाथ  ने भी लाल टोपी को निशाने पर लिया था। योगी ने कहा कि त्रिपुरा में लाल झंडे को नीचे लाने के बाद अब उनकी पार्टी लाल टोपी को भी नीचे लाएगी। योगी ने कहा था लाल टोपी अब काम नहीं करेगी। भगवा का समय आ गया है। भगवा विकास और उदारता का प्रतीक है।

योगी ने बचपन में लाल मिर्च खा ली होगी-अखिलेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसी साल विधानसभा में लाल टोपी पहने समाजवादी पार्टी के विधायकों का मजाक बनाया। इसके जवाब में समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने ही मुख्यमंत्री से पूछ लिया कि आखिर उन्हें लाल टोपी से डर क्यों लगता है? अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए कहा कि लगता है बचपन में मुख्यमंत्री ने लाल मिर्च खा ली होगी। पता नहीं क्यों मुख्यमंत्री लाल रंग से चिढ़े हुए हैं। अखिलेश ने जवाब लाल क्रांति का रंग है, खून का रंग लाल है। हमारा इमोशन भी लाल रंग से जुड़ा हुआ है। जब हम खुश होते हैं तो नाक-कान लाल हो जाता है। हम गुस्से में होते हैं तब भी आंखें और चेहरा लाल हो जाता है। हो सकता है मुख्यमंत्री ने बचपन में लाल मिर्च खा ली होगी।

लाल टोपी का इतिहास
लाल टोपी के इतिहास और उसके पीछे की विचारधारा जानने के लिए एनबीटी ऑनलाइन को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता घनश्याम तिवारी ने विस्तार से बताया कि कैसे "लाल टोपी" समाजवादी पार्टी की पहचान बनी। घनश्याम ने एनबीटी ऑनलाइन को बताया कि आजादी के बाद जब सोशलिस्ट पार्टी बनी तो अपनी अलग छाप छोड़ने के लिए उन्होंने लाल टोपी को अपनी पहचान बनाया। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने जब आंदोलन छेड़ा तब भी लाल टोपी प्रचलन में रही। जब-जब सत्ता में अहंकार होता है, गरीबों की आवाज दबाई जाती है, तब लाल टोपी उभरती है। मुझे नहीं लगता है कि प्रधानमंत्री या किसी को भी ऐसे किसी की वेशभूषा का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।"

एनबीटी को दिए साक्षात्कार में  क्या  लाल टोपी" का क्रांति या इंकलाब से कोई संबंध है? इस सवाल पर घनश्याम तिवारी कहते हैं  क्रांति नहीं क्रांति तो बहुत बड़ी चीज होती है। जय प्रकाश नारायण जी के बाद राम मनोहर लोहिया जी ने भी लाल टोपी को अपनाया। 1992 में जब नेताजी मुलायम सिंह यादव ने जब समाजवादी पार्टी बनाई तो उन्होंने भी लाल टोपी की इस विरासत को आगे बढ़ाया और वहीं से यह आधुनिक समाजवादी पार्टी की पहचान बनी। उन्होंने कहा कि लाल टोपी का अपने आप में ही एक बड़ा इतिहास रहा है। रूसी क्रांति (1917-1922) के दौरान भी इसका खूब इस्तेमाल हुआ, रूस में इसे बाड्योनोवका के नाम से जानते हैं। रूसी क्रांति से भी कनेक्शन है।

 

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