मोदी की नीति और योगी की रीति को जनता ने स्वीकारा, परिवारवाद को नकारा-डॉ. जायसवाल
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 मोदी की नीति और योगी की रीति को जनता ने स्वीकारा, परिवारवाद को नकारा-डॉ. जायसवाल
- परिवारवादियों को जनता ने नकारा
डिजिटल डेस्क, पटना। पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में से चार राज्यों में भाजपा को मिली जीत के लिए जनता को धन्यवाद देते हुए बिहार भाजपा के अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने इसका श्रेय प्रधानमन्त्री मोदी की नीतियों को दिया।
उन्होंने गुरुवार को कहा कि विभिन्न राज्यों में हालिया चुनावों में भाजपा को मिले ऐतिहासिक जनसमर्थन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि परिवारवादी दलों के दिन अब लद चुके हैं। जनता प्रधानमन्त्री मोदी और परिवारवादी दलों की गोदी में बैठे नेताओं के बीच का अंतर समझ चुकी है।
उन्होंने कहा कि मोदी की नीति और योगी की रीति को जनता ने स्वीकारा है जबकि परिवारवाद को नकार दिया है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों द्वारा हर चुनाव में फैलाये जाने वाले जातिवाद, झूठ और दुष्प्रचार के जाल में अब कोई फंसने को तैयार नहीं है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा व मणिपुर में भाजपा को मिली जीत जनता की अपनी भाजपा सरकार पर जमे अटूट विश्वास का प्रतीक है।
चुनावों में मिली जीत को अभूतपूर्व बताते हुए उन्होंने कहा कि इन चुनावों में भाजपा को मिली जीत ने कई मिथकों को ध्वस्त किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना से उत्पन्न परिस्थितियों के बावजूद चार राज्यों में भाजपा को बहुमत देकर जनता ने यह साबित कर दिया है कि जो गरीबों की चिंता करेगा, लोग उनकी चिंता करेंगे।
योगी सरकार की जीत को जनता की जीत बताते हुए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमन्त्री मोदी की प्रेरणा से विगत पांच वर्षों में योगी सरकार ने जिस तरह से यूपी का कायापलट किया है, जनता ने इस जीत के रूप में उसी का पारितोषिक दिया है। इधर, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने साफ लहजों में कहा कि विपक्ष को अब समझ लेना चाहिए कि हवाबाजी से नहीं, काम करने वालों और लोगों की सेवा करने वालों को ही जनता आशीर्वाद देती है।
उपाध्यक्ष ने कहा कि पांच राज्यों में हुए चुनाव परिणाम ने साबित कर दिया कि परिवारवाद की राजनीति करने वालों के दिन अब लद गए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश चुनाव परिणाम ने यह साबित कर दिया कि केंद्र की मोदी सरकार और योगी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ गरीबों, शोषितों, आदिवासियों को मिला और उन्होंने इसके एवज में फिर से आशीर्वाद दिया।
(आईएएनएस)