मुलायम के निधन से सैफई परिवार से नहीं बचा एक भी लोकसभा सदस्य, मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में लड़ सकता है परिवार का ये सदस्य
यूपी सियासत मुलायम के निधन से सैफई परिवार से नहीं बचा एक भी लोकसभा सदस्य, मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में लड़ सकता है परिवार का ये सदस्य
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उनके परिवार का कोई भी सदस्य अब लोकसभा में मौजूद नहीं है। बीते कई दशकों में यह पहला मौका है जब लोकसभा में सैफई के यादव परिवार का कोई भी सदस्य नहीं रहेगा। 2019 में आखिरी बार खुद नेताजी ने मैनपुरी सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीता। वर्तमान में वह मैनपुरी सीट से सांसद थे। उनके निधन के चलते अब यह सीट खाली हो गई है। फिलहाल लोकसभा में यादव परिवार की मौजूदगी बनाए रखने और राष्ट्रीय वर्चस्व को बनाए रखने के लिए मुलायम परिवार से ही किसी को मैनपुरी से उपचुनाव लड़ने की संभावानाएं जताई जा रही है।
ऐसे में अखिलेश यादव खुद मैनपुरी से उपचुनाव लड़ेंगे या पत्नी डिंपल यादव को उपचुनाव लड़ने का मौका देंगे। या फिर मुलायम यादव परिवार के किसी सदस्य को मौका मिलेगा। इस पर लोगों की नजर बनी हुई है। वैसे अखिलेश को लेकर ये तो स्पष्ट है कि वे अब राज्य की सियासत पर ही अपना ध्यान देंगे क्योंकि पहले ही वो आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा देकर यूपी विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं और वे इस समय विधानसभा सदस्य हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है जब तक मुलायम सिंह यादव लोकसभा में सांसद के रूप में थे तब दिल्ली और राष्ट्रीय राजनीतिक में सपा की पकड़ की बनी हुई थी। फिलहाल लोकसभा में सपा के दो सांसद मौजूद है और दोनों ही मुस्लिम समाज से आते हैं। यही नहीं राज्यसभा में सपा से तीन सांसदों में से एक यादव, एक मुसलमान और जया बच्चन हैं। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक मुलायम यादव परिवार की राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक बरकरार रखने के लिए अखिलेश यादव दिल्ली का रुख कर सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो अखिलेश यादव मैनपुरी से उपचुनाव लड़ सकते हैं। फिलहाल अखिलेश का चुनाव लड़ना नामुमकिन सा लग रहा है।
यूपी राजनीति से दूरी बनाने की क्यों है मजबूरी?
माना जा रहा है कि अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की राजनीति को नहीं छोड़ेंगे। इसका कारण भी स्पष्ट है कि 2022 में विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। ऐसे में वह राज्य की राजनीति में ज्यादा ध्यान देंगे तो वे फिर से समाजवादी पार्टी की सरकार उत्तर प्रदेश में बनाने में कामयाब हो सकते हैं। राजनीतिक जानकारों का यह भी मानना है कि अखिलेश यादव यदि इस समय वे राज्य की राजनीतिक को छोड़कर दिल्ली चले जाते है तो यूपी में समाजवादी पार्टी की नींव कमजोर हो सकती है।
अखिलेश यादव यूपी विधानसभा में कायम रहते हैं तो सपा की बात दूर-दूर तक पहुंचती है, सरकार को अक्सर कटघरे में खड़े करते रहते हैं। ऐसे में मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में अखिलेश यादव की पहली पंसद डिंपल यादव हो सकती है। डिंपल यादव को भी राजनीति का अच्छा खासा अनुभव है। पत्नी डिंपल के अलावा अखिलेश यादव धर्मेंद और तेज प्रताप यादव को इस सीट से उपचुनाव लड़ने का मौका दे सकते हैं।
क्यों है शिवपाल यादव बेहतर विकल्प?
अखिलेश यादव के लिए उनके चाचा शिवपाल यादव एक बेहतरीन विकल्प हो सकते है। यदि शिवपाल यादव मुलायम सिंह के श्राद्ध से पहले-पहले सारे गिले-शिकवे को दरकिनार करते हुए भतीजे अखिलेश पर एक बार फिर से भरोसा जताते हैं तो अखिलेश यादव मैनपुरी की सीट से अपने चाचा को उपचुनाव लड़ाकर सभी राजनीतिक दलों को चौंका सकते है। यदि ऐसा होता है तो यूपी के विधानसभा में सपा की दबदबा बरकरार रहेंगा और लोकसभा में यादव परिवार से एक मजूबत नेता रहेंगा ।