बनिया और कायस्थ की कुल आबादी से ज्यादा हो गए है मुस्लिम वोटर्स लेकिन आज भी सत्ता का केंद्र माना जाता है ओबीसी वर्ग और पाटीदार समाज
गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 बनिया और कायस्थ की कुल आबादी से ज्यादा हो गए है मुस्लिम वोटर्स लेकिन आज भी सत्ता का केंद्र माना जाता है ओबीसी वर्ग और पाटीदार समाज
डिजिटल डेस्क, गांधीनगर। आज 1 नवंबर को गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण की पूरी हो चुकी है। आज गुजरात की 89 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हुई । प्रथम चरण में 19 जिलों में मतदान किया जा रहा है। यह जिले कच्छ, सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के है। प्रदेश में बीते 27 सालों से सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी का दबदबा बना हुआ है। राज्य में विधानसभा चुनाव में इस बार भी जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। गुजरात में जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां का समीकरण दूसरे राज्यों से अलग है। दरसल गुजरात में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा 52 फीसदी है। गुजरात में ओबीसी वर्ग में कुल 146 जातियां शामिल हैं, जो राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
गुजरात में पाटिदारों का है दबदबा
गुजरात में प्रथम चरण की वोटिंग आज चल रही है। पाटीदार समाज को गुजरात की राजनीति में सबसे ताकतवर समुदाय माना जाता है। यही कारण है कि, भाजपा ने हार्दिक पटेल को बीजेपी में शामिल किया है। जिससे पार्टी को पाटीदारों का वोट मिल सके। बता दे कि, पाटीदार समाज के नेता सदीयों से गुजरात की राजनीति में अपना योगदान दे रहे है। सरदार बल्लभ भाई पटेल से लेकर केशुभाई पटेल, चिमनभाई पटेल, आनंदीबेन पटेल जैसे नाम गुजरात की राजनीति में बड़े चेहरे हैं जो पाटिदार समाज से ही है। युवा नेता हार्दिक पटेल भी इसी पाटीदार समाज से आते हैं। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक कुछ समय पहले ही भाजपा ने पाटीदार नेता भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया था।
सवर्ण मतदाता हैं सबसे कम
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, गुजरात राज्य की कुल आबादी लगभग 6.5 करोड़ है। जिसमें से 52 फीसदी संख्या पिछड़ा वर्ग के वोटर्स की है। प्रदेश के पिछड़ा वर्ग में शामिल 146 जातियों और उपजातियों ही तय करती हैं कि राज्य की सत्ता किसके हाथ में रहेगी। राज्य में सवर्ण मतदाताओं की संख्या बाकि जाति से बहुत कम है। आपको बता दे कि, गुजरात में सबसे प्रभावी पाटीदार बिरादरी (पटेल समुदाय) को माना जाता है। राज्य में इनकी हिस्सेदारी 16 फीसदी है। जिसके कारण राज्य में इन्हें मतदाताओं की संख्या के आधार पर सबसे ताकतवर जाति माना जाता है।
कैसे हुए ब्राह्मण कम
गुजरात के जातिगत समीकरण पर यदि एक नजर डाले तो पता चलता है कि, राज्य में कुल ओबीसी 52 प्रतिशत हैं। जबकि राज्य में क्षत्रिय और पाटीदार 16 प्रतिशत है। प्रदेश में दलित समुदाय की संख्या 7 प्रतिशत है। वहीं राज्य आदिवासी समुदाय11 प्रतिशत है, जो कांग्रेस का पारम्परिक वोट बैंक माना जाता हैं। राज्य में मुस्लिम आबादी 9 प्रतिशत हैं। जो ब्राह्मण, बनिया, कायस्थ तीनों की कुल आबादी के योग के प्रतिशत से अधिक है। दरसल प्रदेश में ब्राह्मण, बनिया, कायस्थ के कुल मिलाकर मात्र 5 प्रतिशत मतदाता ही होते हैं।
जाने किस जाति के कितने मतदाता
गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में जातिगत समीकरण कितना प्रभावी होगा, यह वोटों की संख्या के आंकड़ो से समझा जा सकता है। गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 में ओबीसी के कुल 1.28 करोड़ मतदाताओं ने एहम भूमिका निभाई थी। राज्य में ओबीसी वर्ग में ठाकुर, कोली, सुथार, दर्जी जैसी अन्य कई उप-जातियां शामिल हैं। जबकि राज्य में सबसे अधिक मतदाताओं वाली जाति पाटीदार है। ब्राह्मण और जैन मतदाताओं की संख्या प्रदेश में मात्र 47 लाख है। ब्राह्मण और जैन मतदाताओं से ज्यादा तो आदिवासी मतदाता है। जिनकी संख्या 51 लाख हैं। जबकि दलित मतदाताओं की संख्या 30.69 लाख है। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी करीब 41 लाख है। गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में वोटों की यह संख्या अब और अधिक हो गई है।
मतदाताओं की संख्या से, टिकट में वरीयता
यदि राज्य के बीते विधानसभा चुनाव पर एक नजर डालें तो भाजपा ने पाटीदार समाज के 50 लोगों को चुनावी टिकट दिया था। वहीं कांग्रेस ने पाटीदार बिरादरी के 41 लोगों को प्रत्याशी बनाया था। वहीं प्रदेश चुनाव में भाजपा ने कुल 58 फीसदी टिकट ओबीसी उम्मीदवारों को दिए थे। जबकि कांग्रेस ने 62 फीसदी टिकट ओबीसी समुदाय को दिए थे। बीते चुनाव में भाजपा ने 14 दलितों को टिकट दिये थे, वहीं कांग्रेस ने 13 दलितों को मैदान में उतारा था। गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में भी टिकट बंटवारे के दौरान जातियों का प्रभाव देखा जा रहा है। राज्य में पाटीदार और पिछड़े वर्ग समुदाय के लोगों को भाजपा, कांग्रेस और आप ने प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में सर्वाधिक मौका दिया है।