केंद्र जम्मू-कश्मीर को अफगानिस्तान जैसा बनाना चाहता है
महबूबा मुफ्ती केंद्र जम्मू-कश्मीर को अफगानिस्तान जैसा बनाना चाहता है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पीडीपी प्रमुख और जम्मू और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केंद्र बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर को अफगानिस्तान जैसा बनाना चाहती है। कश्मीर में बुलडोजर से लोगों के घर तोड़े जा रहे हैं।
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने सोमवार दिल्ली में कहा, यदि आप कश्मीर जाएंगे, तो आपको यह अफगानिस्तान जैसा लगेगा, क्योंकि वहां बुलडोजर चल रहा है। ये जम्मू-कश्मीर को अफगानिस्तान जैसा बनाना चाहते हैं.. मैं इसकी तुलना फिलिस्तीन से करती हूं क्योंकि भाजपा सरकार कश्मीर और पूरे देश में ईस्ट-इंडिया कंपनी की तरह है। फिलिस्तीन अभी भी बेहतर है, उनके लोग बात करते हैं यहां तो और भी बुरा हाल है, बुलडोजर से लोगों के घर तोड़े जा रहे हैं।
केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए मुफ्ती ने कहा, उन्होंने (बीजेपी) हमारी नौकरियां, जमीन और खनिज आउटसोर्स किए हैं। देश में पत्रकार, राजनेताओं के खिलाफ ईडी, एनआईए का इस्तेमाल किया जा रहा है, हम अभी भी विशेष दर्जा वाले राज्य हैं क्योंकि हमारे पास लोगों को परेशान करने के लिए अन्य एजेंसियां हैं।
उन्होंने कहा कि बीजेपी ने देश के संविधान को ध्वस्त करने के लिए अपने क्रूर बहुमत को हथियार बनाया। उन्होंने असहमति और न्यायपालिका की आवाज को कुचलने के लिए मीडिया को भी हथियार बनाया। यही वजह है कि आज भाजपा जो चाहती है वही करती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बदमाशों, चोरों को 45,000 हेक्टेयर जमीन दी जा रही है, जबकि कश्मीर के लोगों को अतिक्रमण विरोधी अभियान के बहाने उनकी जमीन से खदेड़ा जा रहा है।
मुफ्त ने कहा कि दिल्ली की दूरी बढ़ गई है इसलिए हमें अपनी तकलीफें सुनाने जम्मू से यहां आना पड़ता है। विपक्ष पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि 70 साल पहले नारा दिया गया था, एक विधान एक संविधान, और अब पूरे देश में 1 देश 1 लैंग्वेज हो रहा है।
उन्होनें कहा, पहले हम सोचते थे कि बीजेपी ने फिलिस्तीन के साथ इजरायल जो करता है, उससे सबक लिया है लेकिन अब इसे पीछे छोड़ दिया।
उन्होंने कहा कि कानून मंत्री किरण रिजिजू दिनदहाड़े न्यायपालिका के खिलाफ बोलते रहते हैं, लेकिन उनके खिलाफ कंटेम्पट नहीं लागू होता। उन्होंने कहा कि सभी विरोधी दलों के नेताओं से अपील करना चाहती हूं कि चुपचाप तमाशा ना देखें, आवाज उठाइए।
(आईएएनएस)
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