गुजरात में दूसरे चरण चुनाव में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पैतृक क्षेत्र मानसा पर टिकी निगाहें, मतदाताओं ने बेरोजगारी, महंगाई के मुद्दे पर उठाए सवाल
गुजरात विधानसभा चुनाव-2022 गुजरात में दूसरे चरण चुनाव में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पैतृक क्षेत्र मानसा पर टिकी निगाहें, मतदाताओं ने बेरोजगारी, महंगाई के मुद्दे पर उठाए सवाल
डिजिटल डेस्क, गांधीनगर। गुजरात विधानसभा के दूसरे चरण के लिए आज शाम चुनाव प्रचार-प्रसार थम गया है। प्रदेश में दूसरे चरण के लिए 5 दिसंबर को मतदान होना है। वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के गांधीनगर जिले की मानसा सीट पर दूसरे चरण में मतदान होना है, जो काफी सुर्खियों में है। शाह का पैतृक घर गांधीनगर की मानसा सीट के अंतर्गत आता है। गुजरात के विधानसभा सीटों के परिसीमन होने के बाद बीजेपी को मानसा सीट से हाथ ही धोना पड़ा है। जब मानसा इलाके के वोर्टस से पूछा गया कि अबकी बार इस क्षेत्र से किसे गुजरात विधानसभा में अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजेंगे।
सवाल का जवाब देते हुए इलाके के मतदाताओं का कहना है कि क्षेत्र में तो बेरोजगारी व महंगाई चरम पर है। लोगों के पास न तो कोई काम न ही रोजगार है। हालांकि, इलाके के मतदाताओं को पता रहता है की उसे किस प्रत्याशी को वोट करना है। इलाके के लोग आगे कहते हैं कि वोर्टस अपने जाति के उम्मीदवार को ही चुनते हैं। उनका मानना है कि अपने जाति के उम्मीदवार कभी न कभी किसी काम के लिए तो आ ही जाएंगे।
मानसा क्षेत्र के राकेश भाई राही पेशे से शिक्षक हैं। हिंदुस्तान लाइव के मुताबिक राकेश अपनी समस्या को बताते हैं कि, क्षेत्र में अवैध निमार्ण बहुत ही बढ़ गया है। जिसकी वजह से ट्रैफिक की समस्या से सभी को जूझना पड़ रहा है। इसके अलावा आवारा पशु भी एक बड़ी समस्या बनकर इस बीच उभरे हुए हैं। क्षेत्र के व्यापारी रसिक भाई पटेल ने कहा कि, मानसा इलाके के ज्यादातर मतदाता बेरोजगार हैं। लोगों के पास कोई नौकरी नहीं है। पिछले दस वर्षो से कोई कंपनी नहीं आई। ताकि यहां के बेरोजगारी को कम किया जा सके। इसी कड़ी को बढ़ाते हुए सोशल एक्टिविस्ट पीयूषभाई पंचाल कहते है कि शिक्षा में भी ये इलाका काफी पिछड़ा हुआ है।
निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं महिला वोटर्स
दरअसल, मानसा क्षेत्र में हमेशा से जातियों को लेकर सजग रहा है। सभी पार्टियां इस क्षेत्र से अपना उम्मीदवार उसी को चुनती हैं, जो पार्टी को जीत दिला सके। गौरतलब है कि मानसा विधानसभा क्षेत्र में लगभग 32 फीसदी ठाकोर समाज के मतदाता है। इसके अलावा 30 फीसदी पाटीदार, 20 फीसदी चौधरी और इसके अतिरिक्त अन्य समाज के वोटर्स भी है, जो जीत व हार के बीच अंतर तय करते हैं। पिछली बार 2017 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में मानसा क्षेत्र से कांग्रेस के सुरेशकुमार पटेल ने जीत हासिल की थी। वहीं भाजपा की ओर से अमित चौधरी को हार से संतोष करना पड़ा था।
हालांकि, इस बार अमित शाह के पैतृक क्षेत्र में कौन सी पार्टी जीत हासिल करती है, यह देखना दिलचस्प होगा। वहीं इस बार कांग्रेस ने मानसा विधानसभा सीट से बाबूसिंह ठाकोर को टिकट दिया है। जिनके खिलाफ भाजपा की ओर से जेएस पटेल और आम आदमी पार्टी ने भास्कर पटेल को मैदान में उतारा है। इस क्षेत्र में करीब 2,30,895 मतदाता है। जिनमें आधे से थोड़ा कम 1,12,195 महिलाएं है जो जीत व हार की खाई को काफी गहरी कर सकती हैं।
चुनाव के दरम्यान देखा गया है कि कैसे महिला वोटर्स को साधने के लिए पार्टियां तरह-तरह की स्कीम को उनके बीच पहुंचाने के प्रयास करती रही हैं। मानसा विधानसभा क्षेत्र को लेकर इलाके के मतदाताओं का कहना है कि इस बार आप के आ जाने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। उनका कहना है कि आम आदमी पार्टी के चुनाव लड़ने से चुनावी मुकाबला दिलचस्प हो गया है, लेकिन आप को कितने वोट मिलते हैं इसी पर जीत व हार तय होगी। इस सीट को लेकर आप ने दावा किया कि इस बार हम जीत रहे हैं। वहीं कांग्रेस के समर्थक आप को भाजपा की बी टीम बता रहे हैं। लेकिन भाजपा इस बार आश्वस्त नजर आ रही है और दावा किया कि इस बार मानसा क्षेत्र में जीत दर्ज करेगें।