मनीष सिसोदिया के ट्वीट के पीछे जानें बड़ी वजह, मैं राणा का वंशज ऐसे ही नहीं कहा, 2023 के लिए बिछा रहे हैं सियासी बिसात

राणा का वंशज होने के मायने मनीष सिसोदिया के ट्वीट के पीछे जानें बड़ी वजह, मैं राणा का वंशज ऐसे ही नहीं कहा, 2023 के लिए बिछा रहे हैं सियासी बिसात

Bhaskar Hindi
Update: 2022-08-24 11:06 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया इन दिनों सीबीआई के रडार पर है। उनके ऊपर दिल्ली की नई शराब नीति में कथित तौर पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। इसी कड़ी में बीते 19 अगस्त को सीबीआई ने छापा मारा और देर रात तक जांच भी किया। बाद में सीबीआई कई जरूरी दस्तावेज को अपने साथ भी ले गए। केंद्रीय जांच एजेंसी ने उन्हें मुख्य आरोपी मानते हुए एफआईआर भी दर्ज किया है। हालांकि, आम आदमी पार्टी इस पूरे मामले को साजिश करार दे रही है और बीजेपी पर आरोप लगा रही है कि केंद्रीय जांच एजेंसियां मोदी सरकार के इशारे पर बेवजह सिसोदिया को परेशान कर रही है।

सिसोदिया लगातार सफाई दे रहे हैं कि नई शराब नीति में उन्होंने कोई गड़बड़ी नहीं की है। इन्हीं सब आरोप-प्रत्यारोप के बीच मनीष सिसोदिया ने एक ट्वीट कर सियासत में हवा दे दी है और लोग उसके अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं। सिसोदिया ने अपने ट्वीट में खुद को राणा का वंशज व राजपूत बताकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। राजनीतिक जानकारों की माने तो सिसोदिया ने एक तलवार से दो निशाना साधने की कोशिश की है। एक तो अपने ऊपर हो रहे सीबीआई जांच के लिए राजपूत समाज की सहानुभूति लेना और दूसरी तरफ आगामी विधानसभा चुनाव में सियासी बिसात बिछाना है।  तो आइए समझते हैं सिसोदिया ने सीबीआई जांच के साथ कैसे सियासी सिक्का उछाला है?

जानें सिसोदिया के ट्वीट के पीछे के मायने

गौरतलब है कि आने वाले समय में गुजरात, राजस्थान व मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। पंजाब में पूर्ण बहुमत के साथ आम आदमी पार्टी ने सरकार भी बना ली है। इससे इसका मनोबल सातवें आसमान पर है। गुजरात में चुनाव प्रचार में पूरी ताकत से साथ आप उतर चुकी है। बीजेपी को अगर कोई सीधी टक्कर गुजरात में इस समय देता दिख रहा है तो वह है आम आदमी पार्टी। ऐसे में मनीष सिसोदिया राजपूत कार्ड खेलकर उसका फायदा उठाने की कोशिश भी करना चाहेंगे।

मनीष सिसोदिया के ट्वीट में लिखा कि मैं राणा का वंशज हूं, राजपूत हूं, झुकूंगा नहीं। अपने आप में बड़ा महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे सिसोदिया अपने साथ राजपूत पहचान स्थापित कर उसी समाज के लोगों को अपने साथ जोड़ना चाहते हैं। क्योंकि गुजरात, एमपी, राजस्थान चुनाव में राजपूतों की अहम भूमिका रहती है। इन तीन राज्यों को लेकर समझते हैं कि यहां पर राजपूतों का क्या है रोल?

गुजरात

गुजरात विधानसभा चुनाव इसी साल होने वाला है। जिसके लिए बीजेपी समेत सभी विपक्षी दलों ने कमर कसना शुरू कर दिया है। आम आदमी पार्टी भी पूरी ताकत के साथ बीजेपी को कड़ी टक्कर देने के मूड में हैं क्योंकि हाल ही में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में आप ने पूर्ण बहुमत की सरकार भी बना ली है। ऐसे में आप फुल मूड में है और गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर उनके कार्यकर्ता पूरी मेहनत भी कर रहे हैं। अब मनीष सिसोदिया भी इसी बीच राजपूत कार्ड खेलकर बीजेपी को चौंका रहे हैं। नवंबर 2018 टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात में राजपूतों की आबादी करीब 8 फीसदी है। जो कि अच्छी तादाद में हैं। ऐसे में वहां पर आम आदमी पार्टी इसका बेनिफिट उठा सकती है। 

राजस्थान

आम आदमी पार्टी जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां पर पार्टी को मजबूती देने में जुट गई है। हर चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने में आप पूरी के ताकत के साथ खड़ी दिखती है। इस वक्त तो ऐसा दिखता है कि कांग्रेस को पीछे छोड़ आप ही मुख्य विपक्ष की भूमिका निभा रही है। हालांकि, राजस्थान में मौजूदा समय में कांग्रेस की सरकार है ऐसे में आप के लिए थोड़ी मुश्किल हो सकती है फिर आप की तरफ से प्रयास जारी है। अगर सिसोदिया के राणा वंशज वाले ट्वीट पर नजर डाले तो आप यहां पर भी राजनीतिक लाभ लेने राजपूत कार्ड खेली है। माना जा रहा कि सिसोदिया की ओर से जानबूझकर सोच समझकर  ट्वीट किया गया है। गौरतलब है कि राजस्थान में अगले साल चुनाव होने हैं, यहां पर करीब 12 फीसदी वोटर्स राजपूत समुदाय से आते हैं। ये अपने आप में जीत और हार के बीच अहम भूमिका निभाते हैं।

एक अनुमान के मुताबिक, राजस्थान विधानसभा की करीब 30 सीटों पर इनका सीधा प्रभाव रहता है। वैसे ये वोटर अभी तक तो बीजेपी को वोट करते आए हैं लेकिन इकॉनामिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2016 के बाद में रिश्तों में खटास आ गई है। इसके पीछे की वजह पद्मावती विवाद में बीजेपी की तरफ से खुलकर समर्थन न मिलना, गैंगस्टर आनंदपाल सिंह का एनकाउंटर और वसुंधरा राजे का कथित तौर पर राजपूत नेता गजेंद्र सिंह शेखावत को तवज्जो न देना और उन्हें लगातार किनारे लगाने की कोशिश। इन सभी मुद्दों को लेकर राजपूत समाज काफी खफा रहता है। ऐसे में आप सियासी लाभ उठा सकती है।

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मध्य प्रदेश

राजस्थान के साथ-साथ मध्य प्रदेश में भी अगले साल चुनाव होने वाला है। मप्र से तो हाल ही में नगरीय निकाय चुनाव में आप ने विंध्य क्षेत्र से एंट्री कर बीजेपी की चुनौती पहले ही बढ़ा दी है। गौरतलब है कि विंध्य क्षेत्र बीजेपी का गढ़ माना जाता है। मप्र के सिंगरौली से ही आप की महापौर प्रत्याशी रानी अग्रवाल ने बीजेपी उम्मीदवार चंद्रप्रताप विश्वकर्मा को 9352 मतों से हराकर जीत दर्ज की। आप भले ही नगरीय निकाय चुनाव में एक महापौर की सीट जीत पाई लेकिन उसके लिए बड़ी बात है। इससे उसे मप्र की सियासत में पैर रखने की जगह मिल गई फिर तो रास्ता खुद बना सकती है।

सिसोदिया के ट्वीट के बाद सियासी बाजार गर्म हो चुका है। राजपूत कार्ड खेलकर सिसोदिया ने सभी राजनीतिक दलों की नींद उड़ा दी है। यहां तो पूरा मध्य भारत का रीजन ही राजपूतों के भरोसे टिका रहता है। जहां पर करीब 10 फीसदी लोग राजपूत ही रहते हैं। मध्य भारत के करीब 16 जिले और 70 विधानसभा सीट आती हैं। अगले साल इन राज्यों में चुनाव होने हैं। ऐसे में राजनीतिक फायदा उठाने के लिए सिसोदिया ने अपनी बिसात बिछाई है। हालांकि इसका कितना फायदा मिलना है ये तो वक्त ही बताएगा।


 

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