पसमांदा मुसलमानों तक भाजपा की पहुंच की सफलता को लेकर विभाजित दिखे भारतीय- सर्वे
तेलंगाना पसमांदा मुसलमानों तक भाजपा की पहुंच की सफलता को लेकर विभाजित दिखे भारतीय- सर्वे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हैदराबाद में आयोजित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी से पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने को कहा।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएम मोदी ने दो दिवसीय बैठक को अपने समापन भाषण में बीजेपी से पसमांदा मुसलमानों का समर्थन हासिल करने के लिए प्रयास करने को कहा है। पसमांदा मुसलमान शब्द का प्रयोग ऐतिहासिक और सामाजिक रूप से उत्पीड़ित मुसलमानों के लिए किया जाता है।
पसमांदा मुसलमानों को दलित और पिछड़ी मुस्लिम जातियों के मुसलमानों का पर्याय माना जाता है। मोटे तौर पर दक्षिण एशिया में मुसलमान तीन जातियों या वर्गों में बंटे हुए हैं। जो उच्च जाति के मुसलमान होते हैं, उन्हें अशरफ कहा जाता है, पिछड़े मुसलमानों को अजलाफ के रूप में जाना जाता है और दलित मुसलमानों को अरजल कहा जाता है।
सीवोटर-इंडियाट्रैकर ने आईएएनएस की ओर से एक राष्ट्रव्यापी सर्वे किया, जिसमें पसमांदा मुसलमानों को पार्टी की ओर आकर्षित करने में सफलता हासिल करने के भाजपा के प्रयासों के बारे में लोगों की राय जानने की कोशिश की गई। सर्वे के दौरान, लोग इस मुद्दे पर अपने विचारों में विभाजित थे और उत्तरदाताओं का एक बड़ा अनुपात - 58 प्रतिशत ने जोर देकर कहा कि भाजपा पसमांदा मुसलमानों को पार्टी की ओर आकर्षित नहीं कर पाएगी, वहीं, 42 फीसदी उत्तरदाता इस भावना से सहमत नहीं थे।
दिलचस्प बात यह है कि इस मुद्दे पर एनडीए और विपक्षी दोनों वोटरों की राय बंटी हुई थी। सर्वे के दौरान, एनडीए के 58 प्रतिशत और विपक्षी 58 प्रतिशत मतदाताओं ने कहा कि पसमांदा मुसलमानों तक भाजपा की पहुंच से वांछित परिणाम प्राप्त नहीं होंगे।
सर्वे में इस मुद्दे पर विभिन्न सामाजिक समूहों की राय में अंतर पर प्रकाश डाला गया। सर्वे के दौरान, जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के बहुमत - 65 प्रतिशत और अनुसूचित जाति - 63 प्रतिशत ने जोर देकर कहा कि पिछड़े मुसलमानों को पार्टी की ओर आकर्षित करने की भाजपा की रणनीति काम नहीं करेगी, वहीं उच्च जाति हिंदू (यूसीएच) के विचार और इस मुद्दे पर मुसलमान बंटे हुए थे। सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक जहां 51 फीसदी मुसलमानों का मानना है कि बीजेपी के प्रयास कामयाब हो सकते हैं, वहीं 55 फीसदी यूसीएच इस भावना से असहमत थे।
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