MP: क्या राजनीति से संन्यास ले रहे हैं कमलनाथ? बोले- अब मैं आराम करना चाहता हूं, मैंने काफी कुछ हासिल कर लिया
MP: क्या राजनीति से संन्यास ले रहे हैं कमलनाथ? बोले- अब मैं आराम करना चाहता हूं, मैंने काफी कुछ हासिल कर लिया
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश के उपचुनावों में मिली करारी हार के बाद क्या अब पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ राजनीति से संन्यास लेने जा रहे हैं? छिंदवाड़ा में समर्थकों को संबोधित करते हुए कमलनाथ ने इस बात के संकेत दिए हैं। कमलनाथ ने कहा, "अब मैं आराम करना चाहता हूं, मैंने काफी कुछ हासिल किया है। मेरी किसी भी पद के लिए कोई महत्वाकांक्षा या कोई लालच नहीं है। हालांकि कमलनाथ अपने इस बयान के ज़रिए पद छोड़ने की बात कह रहे हैं या राजनीति को ही अलविदा कहने के संकेत दे रहे हैं इस पर संशय बरकरार है। कमलनाथ मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता होने के साथ-साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री आदरणीय @OfficeOfKNath जी के साथ चौरई पहुँचकर पार्टी पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात कर संगठन की बैठक ली । pic.twitter.com/g4A4yROjWg
— Nakul Kamal Nath (@NakulKNath) December 14, 2020
गांधी परिवार के काफी करीबी है कमलनाथ
बता दें कि पूर्व मुख्य मंत्री कमलनाथ को गांधी परिवार को काफी करीबी माना जाता है। कमलनाथ पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और संजय गांधी के काफी करीबी रहे हैं। इंदिरा गांधी ने छिंदवाड़ा में आयोजित एक चुनावी सभा में कमलनाथ को अपना तीसरा बेटा कहा था। कमलनाथ उसके बाद छिंदवाड़ा से पहली बार सांसद बने, तबसे लगातार 2018 तक नौवीं बार छिंदवाड़ा से ही सांसद बनते रहे। जब तक इंदिरा गांधी जीवित रहीं, उन्हें "मां" ही कहते रहे। कमलनाथ तब दून कॉलेज में पढ़ते थे, जब उनकी दोस्ती इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी से हुई थी। दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में संजय गांधी से उनकी दोस्ती खूब मशहूर रही। राजनीति में आने से पहले उन्होंने सेंट जेवियर कॉलेज कोलकाता से ग्रेजुएशन किया।
कमलनाथ पहली बार 1991 में मंत्री बने। उस समय देश में नरसिम्हा राव की सरकार थी। 1994 तक वह केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री रहे। इसके बाद 1995 से 1996 कपड़ा मंत्री, 2004 से 2008 तक मनमोहन सिंह की सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, 2009 से 2011 तक केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री, 2012 से शहरी विकास मंत्री और 2014 तक संसदीय कार्य मंत्री रहे। 1993 में कमलनाथ के मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा जोरों पर थी, लेकिन ऐन मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता अर्जुन सिंह ने दिग्विजय सिंह का नाम आगे कर दिया और कमलनाथ सीएम बनने से रह गए। 2019 में मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की तो वो मुख्यमंत्री बने। हालांकि बाद में एमपी कांग्रेस में असंतोष सामने आया और प्रदेश सरकार गिर गई।