सत्येंद्र जैन और उनके सहयोगियों की जमानत याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी
दिल्ली हाईकोर्ट सत्येंद्र जैन और उनके सहयोगियों की जमानत याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामले में जेल में बंद दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन और सह-आरोपी अंकुश जैन और वैभव जैन की जमानत याचिका पर सुनवाई सोमवार को स्थगित कर दी।
रिपोर्ट के अनुसार, 8 फरवरी को मंत्री के दो सहयोगियों अंकुश जैन और वैभव जैन की ओर से पेश वकील सुशील कुमार गुप्ता ने न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की पीठ के समक्ष अपनी दलीलें पूरी की थीं।
वकील सुशील कुमार गुप्ता तर्क दिया था कि वर्तमान मामले में, प्रवर्तन निदेशालय सिर्फ विधेय अपराध की जांच कर रहा है न कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले की, और यह कि ईडी ने कथित तौर पर आय से अधिक संपत्ति का मामला स्थापित किया था। लेकिन यह उनका मामला नहीं हो सकता क्योंकि एजेंसी को पहले एक अनुसूचित अपराध के अस्तित्व को स्थापित करना चाहिए।
शीर्ष अदालत के विजय मदनलाल फैसले का हवाला देते हुए वकील सुशील कुमार गुप्ता ने दलील दी थी कि मौजूदा मामले में ईडी ने उनके मुवक्किलों (अंकुश जैन और वैभव जैन) को जो भूमिका दी है, वह सीबीआई के मामले से अलग होनी चाहिए, लेकिन ईडी ने उन्हीं नियमों के तहत उन पर आरोप लगाया है।
वकील ने आगे तर्क दिया था कि अपराध की आय मुख्य है जिसे ईडी द्वारा उनके मुवक्किलों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए वर्तमान मामले में स्थापित करने की जरूरत है। इससे पहले, गुप्ता ने अपने मुवक्किलों की ओर से कहा था, हमें इसमें शामिल किया गया है क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार कंपनी सत्येंद्र जैन की थी।
उन्होंने कहा था, हम कह रहे हैं कि यह हमारी कंपनी है, सत्येंद्र जैन की नहीं। जैन के वकील ने कहा था कि सत्येंद्र जैन का कंपनी से कोई लेना-देना नहीं है और सभी कंपनियां उन्हीं की हैं। विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने पिछले साल 17 नवंबर को दोनों की जमानत नामंजूर कर दी थी।
इससे पहले, सत्येंद्र जैन के वकील एन. हरिहरन ने पूछा था कि मंत्री वर्तमान मामले में कैसे शामिल हैं और वह इससे कैसे संबंधित हैं क्योंकि पैसा अंकुश और वैभव जैन का है, जो बिना किसी प्रीमियम के उनके खाते में वापस आ गया। उन्होंने कहा था कि मेरी (सत्येंद्र जैन की) संपत्ति चेक अवधि से पहले और बाद में समान रही।
(आईएएनएस)
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