गुजरात में कभी दहाई का भी आंकड़ा न छूने वाली बीजेपी, कैसे बनाई सियासी अभेद्य किला? इस नेता का रहा बड़ा योगदान
गुजरात विधानसभा चुनाव-2022 गुजरात में कभी दहाई का भी आंकड़ा न छूने वाली बीजेपी, कैसे बनाई सियासी अभेद्य किला? इस नेता का रहा बड़ा योगदान
डिजिटल डेस्क, गांधीनगर। जब चुनाव का मौसम आता है और दशकों से सत्ता पर काबिज रहने वाली पार्टी को अन्य राजनीतिक पार्टियां चुनाव में कड़ी टक्कर देती दिखें तो ऐसे में सत्ताधारी पार्टी के अतीत के बारे में भी जानने की कोशिश की जानी चाहिए। आज हम ऐसी ही पार्टी के बारे में बात करेंगे, जो कभी चुनाव में दहाई का भी आंकड़ा नहीं छू पाई फिर भी करीब दशकों से गुजरात की सत्ता पर काबिज है। तो आइए जानते हैं उस पार्टी के बारे में सबकुछ।
कैसे हुई पार्टी की नींव मजबूत?
गुजरात विधानसभा चुनाव होने में बस एक हफ्ते बचे हैं। बीजेपी, कांग्रेस व आप चुनावी प्रचार में जुटे हैं। सभी दल सत्ता में वापसी की बाते कर रहे हैं। हालांकि, आठ दिसंबर को चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे। जिसके बाद सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा। वैसे, बीजेपी राज्य के अभेद्य किले में अन्य दलों की सेंधमारी को लेकर अलर्ट है। क्योंकि बीजेपी करीब तीन दशक से सत्ता पर काबिज है। यह एक ऐसी पार्टी है जो 182 सीटों वाली विधानसभा चुनाव में कभी दहाई का भी आंकड़ा नहीं पार कर पाती थी, महज 9 या 11 विधायक चुने जाते थे। यहां तक कि नगरीय निकाय के चुनाव में उपस्थिति शून्य के बराबर रहती थी। फिर भी आज के समय में पूर्ण बहुमत की सरकार है और दशकों से एक छत्र राज कर रही है।
ऐसे में सवाल उठते हैं कि बीजेपी कैसे इतनी ताकतवर पार्टी बन गई? दरअसल, साल 1987-88 में रामशिला की पूजन यात्रा हुई। उसके बाद वर्ष1989 में बोफोर्स तोपों की खरीद में भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से कांग्रेस के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी लहर चली। साथ ही राज्य में पार्टी की नींव को मजूबत करने के लिए बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी की अगुवाई में सोमनाथ से अयोध्या तक की रथयात्रा निकाली गई थी, इस यात्रा ने बीजेपी की लहर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
पहली बार अपने दम पर सरकार
2014 में जैसे देशभर में मोदी की लहर चली थी वैसे ही आडवाणी के रथयात्रा के बाद गुजरात में राजनीतिक सुनामी की लहर आई और कांग्रेस को बहा ले गई। इसका नतीजा यह हुआ कि साल 1995 में भाजपा ने पहली बार अपने दम पर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, कांग्रेस जब राज्य में शीर्ष पायदान पर थी, उस वक्त उसके विरोध में 37 फीसदी वोट पड़ते थे। यह वोट जनसंघ/बीजेपी व जनता पार्टी या जनता दल में बंटा हुआ करता था।
इस वजह से बीजेपी को मिला फायदा
कहा जाता है कि सियासत में भी ऊफान का एक वक्त होता है। कुछ ऐसा ही कांग्रेस के साथ हुआ और बीजेपी को इसका फायदा मिलता गया। साल 1990 के दशक में सीएम चिमनभाई पटेल का अचानक निधन हो जाता है। माधवसिंह सोलंकी व जीनाभाई दारजी जैसे कांग्रेस के दिग्गजों ने सक्रिय राजनीति छोड़ने की घोषणा की। सनत मेहता, प्रबोध रावल और अन्य वरिष्ठ नेताओं की सियासी जमीन कमजोर हो रही थी। ऐसे में कांग्रेस में जनता दल (गुजरात) का विलय हो गया। बीजेपी के लिए ये फायदेमंद साबित हुआ। क्योंकि चुनाव के दौरान जो वोट बीजेपी/जनसंघ व जनता दल या फिर जनसंघ के बीच बंट जाता था। वह बीजेपी को मिलने लगा।
कैसी लोकप्रिय हुई बीजेपी?
बीजेपी अक्सर सियासत में जमीन पर ज्यादा काम करके अपनी नींव को मजबूत करती है। इसकी सफलता के पीछे ये सबसे बड़ा कारण बनता है। कुछ ऐसा ही अस्सी व नब्बे के दशक में देखने को मिला। इस दौरान तीन-चार प्रमुख घटनाओं ने भाजपा की लोकप्रियता में काफी इजाफा किया। पहला रामजन्मभूमि आंदोलन, दूसरा ब्राह्मणों, बनियों व पटेलों की पार्टी मानी जाने वाली बीजेपी ने अन्य पिछड़े वर्गो को भी अपने ओर आकर्षित करने का काम किया।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता डॉ. अनिल पटेल कहते हैं कि पार्टी कैडर की मजबूती व एक समावेशी दृष्टिकोण ने एक दशक से भी कम समय में पार्टी को उंचाइयों तक पहुंचाया। पटेल ने आगे कहा कि पार्टी ने ओबीसी समुदाय पर ध्यान दिया और 146 उप-जातियों पर ध्यान केंद्रित किया और नाइयों, ऑटो-रिक्शा चालकों जैसे पेशेवरों और ऐसे संगठनों पर भी ध्यान केंद्रित किया। इसी वजह से पार्टी की जड़ें आज भी मजबूत हैं।
कांग्रेस और बीजेपी सरकार में अंतर?
गुजरात में पहली बार 1960 में विधानसभा चुनाव कराए गए। राज्य की 132 सीटों में कांग्रेस ने 112 सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाई। कांग्रेस का 1960 से 1975 तक एक छत्र राज रहा लेकिन उसके बाद से काग्रेस में सीएम बदलते रहे। जिससे राजनीतिक स्थिरता हमेशा चुनौती बनी रही। जबकि 2001 में पीएम मोदी की गुजरात की राजनीति में एंट्री होती है। राज्य में सीएम की कुर्सी संभालने के बाद 13 सालों तक इस पद पर बने रहते हैं। मोदी ने गुजरात की जनता को राजनीतिक स्थिरता दिलाई। जिससे जनता में बीजेपी की अच्छी खासी पैठ बनी और बीजेपी राज्य में ताकतवर पार्टी बनकर उभरी।