केंद्रीय बजट को भाजपा ने बताया यूपी को गति देने वाला बजट, विपक्षी दलों ने बेकार करार दिया

केंद्रीय बजट- 2022 केंद्रीय बजट को भाजपा ने बताया यूपी को गति देने वाला बजट, विपक्षी दलों ने बेकार करार दिया

Bhaskar Hindi
Update: 2022-02-01 11:30 GMT
केंद्रीय बजट को भाजपा ने बताया यूपी को गति देने वाला बजट, विपक्षी दलों ने बेकार करार दिया

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मंगलवार को संसद में आम बजट पर पेश किया गया। जिसे सत्तारूढ़ दल भाजपा ने यूपी के विकास को और भी गति देने वाला बजट है। जबकि विपक्षी दलों बेकारी बीमारी करार दिया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि केंद्रीय बजट देश की खुशहाली और उत्तर प्रदेश के विकास को और भी गति देने वाला बजट है।

गांव, गरीब, किसान, नौजवान, महिलाओं की प्रगति का बजट है। यह सबके लिए हितकारी बजट है। बड़ा राज्य होने के कारण उत्तर प्रदेश को इस बजट में सबसे ज्यादा मिला है। कहा कि किसानों के लिए बजट में एमएसपी का कोटा 10 फीसदी बढ़ाया गया है।

इससे किसानों की उपज को उनका सही दाम मिलने की सुरक्षा मिली है। गंगा किनारे जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए की गई घोषणा आत्मनिर्भर कृषि व्यवस्था की दिशा में बड़ा कदम है। केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए बजट में की गई घोषणा का सर्वाधिक लाभ उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के किसानों को ही मिलने वाला है। केन-बेतवा लिंक परियोजना से किसानों की 9.08 लाख हेक्टेयर जमीनों को सिंचाई की सुविधा मिलेगी। बजट में की गई किसान हितैषी घोषणाओं से किसानों की आय को दोगुना करने के संकल्प को पूरा करने में मदद मिलेगी।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बजट पर तंज कसते हुए कहा कि काम-कारोबार सब हुआ चौपट ऐतिहासिक मंदी, लाखों की नौकरी कर गयी चट आम जनता की आमदनी गयी घट। बेकारी-बीमारी में बैंकों में जमा निकली सारी बचत अब लोगों की जेब काटने के लिए आया भाजपा का एक और बजट।

उप्र से भाजपा के दुखदायी युग का अंत शुरू हो रहा है। यूपी कहे आज का नहीं चाहिए भाजपा। वहीं बसपा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) मायावती ने कहा कि करों की मार से कराह रही जनता को नए वादों से लुभाने का प्रयास बजट में किया गया है जबकि बढ़ती गरीबी, बेरोजगारी और महंगाई पर रोकथाम के कोई उपाय नहीं किए गए हैं।

मायावती ने ट्वीट में कहा कि संसद में आज पेश केन्द्रीय बजट नए वादों के साथ जनता को लुभाने के लिए लाया गया है, जबकि गतवर्षों के वादों व पुरानी घोषणाओं आदि के अमल को भुला दिया गया है, यह कितना उचित। केन्द्र बढ़ती गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई व किसानों की आत्महत्या जैसी गंभीर चिन्ताओं से मुक्त क्यों।

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा अपनी पीठ आप थपथपा लेने से अभी तक देश की बात नहीं बन पा रही है। करों की मार लोगों का जीना दूभर किए हुए है। इसीलिए केन्द्र का भरसक प्रयास खासकर बेरोजगारी व असुरक्षा आदि के कारण लोगों में छाई तंगी, मायूसी व हताशा को कम करने की हो तो बेहतर।

(आईएएनएस)

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