गुजरात डेयरी घोटाले में भाजपा नेता की गिरफ्तारी को पाटीदार प्रतिद्वंद्विता का नतीजा माना जा रहा
गुजरात सियासत गुजरात डेयरी घोटाले में भाजपा नेता की गिरफ्तारी को पाटीदार प्रतिद्वंद्विता का नतीजा माना जा रहा
डिजिटल डेस्क,गांधीनगर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गुरुवार को गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री और दूधसागर डेयरी के पूर्व अध्यक्ष विपुल चौधरी को गिरफ्तार किया है। उन पर आरोप है कि दूधसागर डेयरी के अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान 800 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ। अब वह सात दिन के पुलिस रिमांड पर है।
लेकिन उत्तर गुजरात के राजनीतिक हलकों में चारों ओर चल रही अफवाहें कहती हैं कि इसका वित्तीय अनियमितताओं से कम और राजनीति से अधिक लेना-देना है। भाजपा के सूत्रों का कहना है कि पटेल समुदाय के दो वर्गों, ओबीसी पटेल और गैर-ओबीसी पटेलों के बीच युद्ध चल रहा है।
सूत्रों के अनुसार विपुल चौधरी और भाजपा के अन्य नेता शंकर चौधरी, हरिभाई चौधरी, बनासकांठा से मौजूदा सांसद पर्वत पटेल और अंजना चौधरी पटेल की उप जाति हैं, जो ओबीसी श्रेणी में शामिल हैं। स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल, पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल और आनंदीबेन पटेल ऊंची जाति के पटेल हैं।
राजनीतिक विश्लेषक हरि देसाई का कहना है कि पिछले एक दशक से कुछ पाटीदार नेताओं द्वारा अंजना चौधरी पटेलों को राजनीति से अलग करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, चाहे वह सहकारिता क्षेत्र हो या मुख्यधारा की राजनीति। पहले उन्होंने शंकर चौधरी को विधानसभा चुनाव में हराया, फिर उन्हें बनासकांठा सीट से लोकसभा उम्मीदवार के रूप में नामित करने के बजाय, उन्होंने परबत पटेल (अंजना चौधरी) का इस्तीफा ले लिया और उन्हें लोकसभा में भेज दिया।
देसाई का कहना है कि यह पहली बार है कि राज्य मंत्रिमंडल में अंजना चौधरी की एक भी प्रतिनिधि नहीं है। उनकी जानकारी के अनुसार विपुल चौधरी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। लेकिन इस बार सत्ता पक्ष को चुकानी पड़ सकती है, क्योंकि अंजना चौधरी में बीजेपी विरोधी गुस्सा बहुत ज्यादा है, जो उत्तर गुजरात में बीजेपी उम्मीदवारों के खिलाफ वोट कर सकते हैं।
गांधीनगर के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, अगर अंजना चौधरी फैसला करती हैं, तो गांधीनगर, साबरकांठा, मेहसाणा, बनासकांठा और पाटन के पांच जिलों में कम से कम 20 सीटों पर वे सत्ताधारी पार्टी की संभावनाओं को तोड़ सकते हैं।
नेता ने कहा कि गिरफ्तारी का समय आश्चर्यजनक नहीं है, क्योंकि 18 सितंबर को चौधरी ने अखिल गुजरात अबुर्दा सेना की बैठक बुलाई है, जिसके नेतृत्व में उन्होंने दूधसागर डेयरी में चुनाव लड़ा था। पिछले दो महीनों में चौधरी ने अपने अभियान के दौरान दो प्रमुख संवेदनशील मुद्दों को उठाया था - एक वायरस के कारण गायों की मौत के बारे में राज्य के साथ मौत के आंकड़े और ओबीसी आरक्षण का मुद्दा।
नेता ने कहा कि सिर्फ अंजना चौधरी ही नहीं बल्कि अब ओबीसी श्रेणी में आने वाली अन्य जातियों के सदस्यों ने विपुल चौधरी का समर्थन करना शुरू कर दिया है, जो सत्ताधारी दल के उच्च जाति के पटेल नेताओं को चिंतित कर रहे हैं, इसलिए विपुल चौधरी उनके निशाने पर हैं। अंजना चौधरी बहुल गांवों में विपुल चौधरी के समर्थकों ने बैनर और होडिर्ंग लगाकर नेताओं को चेतावनी दी है कि जब तक विपुल चौधरी को रिहा नहीं किया जाता है, तब तक वे चुनाव प्रचार के लिए गांव में प्रवेश न करें।
(आईएएनएस)
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