दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के लिए जस्टिस के. एम. जोसेफ की अध्यक्षता वाली बेंच का गठन
बिल्किस बानो मामला दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के लिए जस्टिस के. एम. जोसेफ की अध्यक्षता वाली बेंच का गठन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट 27 मार्च को बिल्किस बानो गैंगरेप मामले में 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जिसमें 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उसके परिवार के सदस्यों की हत्या भी शामिल है।
जस्टिस के.एम. जोसेफ और बी.वी. नागरत्ना की पीठ बिलकिस बानो द्वारा दायर याचिका और 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ कई राजनीतिक और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करेगी। इस हफ्ते की शुरूआत में, मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने दलीलों को सुनने के लिए नई पीठ गठित करने पर सहमति व्यक्त की थी।
इस साल जनवरी में, शीर्ष अदालत ने कहा था कि विभिन्न कार्यकर्ताओं द्वारा दायर याचिकाओं की विचारणीयता का सवाल 11 आजीवन कारावास के दोषियों की सजा से संबंधित मामले में नहीं उठेगा। याचिका में बिलकिस बानो ने कहा कि सभी दोषियों की रिहाई न केवल याचिकाकर्ता, उसकी बड़ी हो चुकी बेटियों, उसके परिवार, बल्कि पूरे समाज के लिए झटके के रूप में आई है।
याचिका में कहा गया है: सभी दोषियों की समय से पहले रिहाई न केवल याचिकाकर्ता, उसकी बड़ी हो चुकी बेटियों, उसके परिवार के लिए, बल्कि बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समाज के लिए एक झटके के रूप में आई, और सभी वर्गों के समाज ने मामले के 11 दोषियों जैसे अपराधियों को रिहा करके सरकार द्वारा दिखाई गई दया के प्रति अपना गुस्सा, निराशा, अविश्वास और विरोध दिखाया था।
रिहाई के आदेश को यांत्रिक (मैकेनिकल) करार देते हुए याचिका में कहा गया है कि बहुचर्चित बिल्किस बानो मामले में दोषियों की समय से पहले रिहाई ने समाज की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है और इसके परिणामस्वरूप देश भर में कई आंदोलन हुए हैं।
सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने छूट दी थी और पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया था।
(आईएएनएस)
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.