भोपाल गैस पीड़ितों को राज्य सरकार के वादे पूरे होने का इंतजार
मध्य प्रदेश भोपाल गैस पीड़ितों को राज्य सरकार के वादे पूरे होने का इंतजार
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 36 साल पहले हुए दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी के जख्म अब भी हरे हैं। बीते कई वर्षों में अपने हक की लड़ाई लड़ने वालों से राज्य सरकार से कई वादे किए मगर वे पूरे नहीं हुए, उसके बावजूद लोगों को इस बात की आस है कि राज्य सरकार अपने वादों को पूरा करेगी।
भोपाल में यूनियन कार्बाइड संयंत्र से दो-तीन दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात को रिसी जहरीली गैस ने हजारों लोगों केा मौत की नींद सुला दिया था, इतना ही नहीं इस हादसे के दुष्प्रभाव के चलते अब भी बड़ी तादाद में लोग बीमारियांे का शिकार हैं। गुर्दा, हृदय, फेंफड़ों के मरीज अपनी जिंदगी को किसी तरह गुजार पा रहे हैं।
गैस पीड़ितों के हितों की लड़ाई लड़ने वाले पांच संगठनों के नेताओं ने उम्मीद जताई कि राज्य सरकार, सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन पर होने वाली सुनवाई में गैसकाण्ड से हुई मौतों और लोगों के स्वास्थ्य को पहुंचे नुकसान के सही आंकड़े पेश करने के अपने वादे को पूरा करेगी। नेताओं ने घोषणा की है कि वे यूनियन कार्बाइड और डाव केमिकल से गैसकाण्ड के पीड़ितों के लिए अतिरिक्त मुआवजे के मुद्दे पर तीन दिसंबर को जंतर-मंतर पर अपनी रैली निकालेंगे।
भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी, ने कहा, हाल ही में 17 नवंबर को भोपाल गैस त्रासदी राहत और पुनर्वास के प्रमुख सचिव ने हमें आश्वासन दिया है कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में गैसकाण्ड से हुई मौतों के सही आंकड़े पेश करेगी और यह भी बताएगी कि पीड़ितों के स्वास्थ्य को स्थायी नुकसान पहुंचा है, अस्थायी नहीं। वैसे राज्य सरकार द्वारा इसी तरह का वादा गैसकाण्ड की 27वीं बरसी पर भी किया गया था पर उसे भुला दिया गया, इसीलिए जबतक राज्य सरकार कथनी के अनुसार करती नहीं, हमलोग तब तक इस बारे में आशंकित रहेंगे।
भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने कहा, गैसकाण्ड की 36वीं बरसी पर मुख्यमंत्री ने गैस पीड़ित सभी विधवाओं को आजीवन पेंशन देने का वादा किया था। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार तथ्य यह है कि गैसकाण्ड की वजह से विधवा हुई 569 महिलाओं को अब तक कोई पेंशन नहीं मिली है। उन्होंने कहा, राज्य सरकार गैसकाण्ड से हुई मौतों और स्वास्थ्य को पहुंचे नुकसान के सही आंकड़े पेश करने के अपने वादे को तोड़ती है तो यह अपनी चूक से शीर्ष अदालत को गुमराह करना होगा।
भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने यूनियन कार्बाइड के परित्यक्त कारखाने के पास दूषित भूमि के उपचार के लिए ग्लोबल टेण्डर आमंत्रित करने के राज्य सरकार के 2010 के अधूरे वादे की ओर इशारा किया। 11 साल पहले राज्य सरकार ने यूनियन कार्बाइड और डाव केमिकल के कारण होने वाले पर्यावरणीय नुकसान का आकलन करने के लिए एक विशेषज्ञ पैनल गठित करने और उनसे मुआवजे की मांग करने का वादा किया था। उसके बाद से सरकार ने इस दिशा में कुछ भी नहीं किया। राज्य सरकार को गैस काण्ड से हुए नुकसान के सही आंकड़े पेश करने चाहिए, तभी पीड़ितों को सही मुआवजा मिल पाएगा जो उनका कानूनी हक है।
गैसकाण्ड की 26वीं वर्षगांठ के अवसर पर, राज्य सरकार ने भोपाल गैसकाण्ड से संबंधित सभी कानूनी कार्यवाही की बारीकी से निगरानी के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ स्थापित करने का वादा किया था। भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के नवाब खान ने कहा। जबकि आज तक इस विशेष प्रकोष्ठ का गठन किया जाना बाकी है। पिछले महीने सुधार याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील की चुप्पी हम सबके लिए निराशाजनक थी। हमें उम्मीद है कि 10 जनवरी को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील गैसकाण्ड से हुई मौतों और बीमारियों के संशोधित आंकड़ों पर दलील पेश करेंगे।
डॉव-कार्बाइड के खिलाफ बच्चे के नौशीन खान ने कहा, राज्य सरकार द्वारा तोड़े गए वादों की फेहरिश्त लम्बी है, बावजूद इसके हम आशा करते हैं कि भोपाल गैस पीड़ितों के लिए पर्याप्त मुआवजे के कानूनी अधिकारों को हासिल करने के इस महत्वपूर्ण मामले पर राज्य सरकार सही कदम उठाएगी।
(आईएएनएस)
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