मध्यप्रदेश में निकाय चुनाव से पहले आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू, खुद को गरीबों का मसीहा साबित करने पर तुले राजनीतिक दल
पंचायत चुनाव-2022 मध्यप्रदेश में निकाय चुनाव से पहले आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू, खुद को गरीबों का मसीहा साबित करने पर तुले राजनीतिक दल
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के प्रचार का रंग धीरे-धीरे गहराने लगा है। भाजपा और कांग्रेस दोनों एक दूसरे पर हमलावर हैं साथ ही अपने को गरीब हितैषी बताने में लगे हैं। नगरीय निकाय चुनाव अगले माह जुलाई में दो चरणों में होने वाले हैं और इन चुनावों की जीत और हार दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है। राज्य में 16 नगर निगम हैं और इन सभी स्थानों पर महापौर भाजपा के थे। इस बार भाजपा पुराने नतीजों को दोहराना चाहती है तो वहीं कांग्रेस कुछ स्थानों पर बढ़त बनाने की कोशिश में है।
दोनों ही दल एक दूसरे को गरीब, किसान और आमजन का विरोधी बता रहे हैं तो वहीं खुद को सबसे बड़ा हितैषी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संबल योजना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर बड़ा हमला बोला है। उनका कहना है कि भाजपा सरकार ने गरीबों के कल्याण के लिए संबल योजना प्रारंभ की थी, लेकिन बीच में 15 माह की कांग्रेस सरकार आई और उसने संबल योजना को बंद करने का पाप किया, लेकिन भाजपा फिर सत्ता में आई और उसने संबल योजना को फिर से शुरू किया है। उनका कहना है कि इतना ही नहीं, कांग्रेस के काल में गरीबों के नाम भी काटे गए थे और अब यह सभी नाम भाजपा की सरकार जोड़ रही है। गरीब परिवारों के बेटे बेटी को आगे बढ़ने और उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए सरकार की ओर से मदद दी जा रही है।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने आरोप लगाया है कि शिवराज सिंह झूठ बोलते हैं, वह सरकार में है और संबल योजना बंद करने का कोई आदेश जारी हुआ हो तो उसे सामने लाएं। उनका कहना है कि वास्तव में कांग्रेस की सरकार ने गरीबों से जुड़ी कई योजनाएं शुरू की थी। राज्य में नगरीय निकाय का चुनाव प्रचार जैसे-जैसे गति पकड़ रहा है, वैसे ही दोनों राजनीतिक दल एक दूसरे पर हमले तेज कर रहे हैं। आने वाले दिनों में हमलों की रफ्तार और तेज होने की आशंका बनी हुई है।
सोर्स- आईएएनएस
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