गुजरात की राजनीति के वो पांच फैक्टर्स जिनकी वजह से 'आप' बनेगी दमदार, बीजेपी पर इस मामले में पड़ेगी भारी
गुजरात विधानसभा चुनाव-2022 गुजरात की राजनीति के वो पांच फैक्टर्स जिनकी वजह से 'आप' बनेगी दमदार, बीजेपी पर इस मामले में पड़ेगी भारी
डिजिटल डेस्क, गांधीनगर। आज केंद्रीय चुनाव आयोग ने गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया है। अगले महीने में दो चरण में विधानसभा चुनाव होना है। पहले चरण का चुनाव 1 दिसंबर व दूसरे चरण का चुनाव 5 दिसंबर को होगा। जबकि 8 दिसंबर को चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे।
इस बार का विधानसभा चुनाव काफी रोमांचक होने वाला है क्योंकि बीजेपी, कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी भी पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में पसीने बहा रही है। अबकी बार गुजरात विधानसभा चुनाव में पहली बार देखने को मिल रहा है, जब कोई तीसरी पार्टी सभी 182 सीटों पर अपने उम्मीदवार को उतार रही है। गुजरात के सियासी समीकरण को देखें तो पांच फैक्टर ऐसे हैं, जिसकी वजह से आम आदमी पार्टी बीजेपी से भी दमदार दिख रही है।
बीजेपी के लिए क्यों चुनौती बनी आप?
इस बार विधानसभा में बीजेपी के सामने आप सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। चुनाव के सात महीने पहले से ही आप संयोजक केजरीवाल ने कमर कस ली और पूरी ताकत के साथ चुनाव प्रचार में जुट गए। इधर कांग्रेस उतनी सक्रियता से चुनाव में लड़ती नहीं दिख रही है, जिनती दिखनी चाहिए। राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त हैं। कांग्रेस के बड़े नेता गुजरात विधानसभा चुनाव को काफी हल्के में ले रहे हैं। अभी तक कोई भी बड़ा चेहरा चुनाव प्रचार में नहीं देखा गया है।
जबकि आम आदमी पार्टी ने चुनाव से पहले ही छोटे-छोटे कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों से मुलाकात करना शुरू कर दी थी। बीजेपी को इस वक्त आप सीधी टक्कर देती दिख रही है। ये तय माना जा रहा है कि आप भले ही सत्ता में न आए लेकिन बीजेपी को नुकसान जरूर पहुंचा सकती है। हालांकि, राजनीति में कुछ कहा नहीं जा सकता है, कब किसका पलड़ा भारी हो जाए, ये तो वक्त ही तय करेगा।
ये पांच फैक्टर जो तय करेंगे "आप" का भविष्य
आम आदमी पार्टी अगर इस बार गुजरात में सत्ता पर काबिज होती है तो उसके पीछे पांच ऐसे फैक्टर हैं, जो बीजेपी की नींद भी हराम कर चुके हैं। एक तरफ पंजाब में अपना परचम लहराकर आप पूरे जोश में है तो वहीं गुजरात में उसी हौसला को बरकरार रखना चाहती है।
निकाय चुनाव में आप की जीत
गुजरात नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी ने जीत का स्वाद चखा था, इसके बाद से ही पार्टी पूरी लय में है। सबसे बड़ी बात यहा है कि दक्षिण गुजरात के सूरत नगर निगम चुनाव परिणाम में आम आदमी पार्टी ने 27 सीटों पर परचम लहराया था, जबकि कांग्रेस खाता तक नहीं खोल सकी थी। सूरत में 92 सीटें जीतकर बीजेपी अपना मेयर तो बना सकी, लेकिन पार्टीदार बहुल इलाके में आम आदमी पार्टी का ही सिक्का चला और शानदार जीत दर्ज की। इस जीत ने आप का हौसला बढ़ा दिया है। इसके अलावा गांधी नगर समेत कई शहरों में आप खाता खोलने में कामयाब रही है।
इसी चुनाव के बाद सौराष्ट्र में आप की उम्मीदें और बढ़ गई हैं क्योंकि यहां पर पाटीदार समुदाय बीजेपी से नाराज बताया जा रहा है। उसने पिछली बार कांग्रेस को वोट दिया था। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार पाटीदार वोटर आप की तरफ जा सकता है। उसी वोट में अरविंद केजरीवाल सेंधमारी कर रहे हैं। नगर निगम चुनाव के हिसाब से बात करें तो कांग्रेस पर भी भारी आम आदमी पार्टी दिख रही है। ऐसे में बीजेपी को अगर डर है तो केवल आम आदमी पार्टी से है।
आप का बीटीपी से गठबंधन
गुजरात में आदिवासी सुमदाय के वोटर काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। हर विधानसभा चुनाव में इनका अहम रोल होता है। कुल 15 फीसदी आदिवासी समुदाय के लिए 27 फीसदी सीटें रिजर्व हैं। इसी वोट में पैठ बनाने के लिए केजरीवाल ने भारतीय ट्राइबल पार्टी से गठबंधन भी किया है। आप और बीटीपी के गठबंधन से आप को सियासत करने के लिए जगह मिल गई। स्थानीय पार्टी होने के नाते ग्रामीण इलाकों में आप को पैर पसारने का मौका मिल गया है।
कांग्रेस अंदरूनी कलह से परेशान
गुजरात कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व अंदरूनी कलह से जूझ रहा है। पार्टी के सभी नेता अपनी हैसियत को मजबूत करने में लगे हुए है, जबकि पार्टी को मजबूत करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। विधानसभा चुनाव सिर पर है फिर जिस तरह से चुनाव प्रसार का गति होना चाहिए, वह आज भी नहीं दिख रहा है। वहीं दूसरी तरफ आप खूब पसीने बहा रही है। आप के शीर्ष नेता लगातार चुनाव प्रचार कर रहे हैं, रैलियों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
राजनीतिक जानकारों की माने तो गुजरात कांग्रेस इन दिनों कई गुटों में बंटी नजर आ रही है। जिसमें शक्ति सिंह गुट, भरत सोलंकी ग्रुप, जगदीश ठाकोर गुट बन गए हैं। जो कि कांग्रेस के लिए मुसीबत बन चुके हैं। गुजरात में कांग्रेस की गुटबाजी आप के लिए उम्मीदों का दरवाजा खोल रखा है। कांग्रेस के कई पूर्व विधायक अपनी सुरक्षित भविष्य को देखते हुए आम आदमी पार्टी ज्वॉइन कर चुके हैं। इससे केजरीवाल के हौसले काफी बुलंद हो गए हैं।
एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर हावी
गुजरात विधानसभा चुनाव में परचम लहराकर बीजेपी इस बार छठवीं बार सत्ता में वापसी के लिए दम दिखाएगी। बीजेपी गुजरात की सत्ता में 27 साल से काबिज है। फिर भी बीजेपी के सामने एंटी इंकम्बैंसी फैक्टर हावी रहेगा, यही बीजेपी के लिए चुनौती सबसे बड़ी चुनौती है। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सौ सीटों से भी कम पर संतोष करना पड़ा था। जिसकी वजह से बीजेपी को सत्ता विरोधी लहर का टेंशन भी सता रहा है। बीजेपी ने इसी वजह से गुजरात के सीएम सहित पूरा कैबिनेट ही बदल दिया ताकि सत्ता विरोधी लहर को खत्म किया जा सके। हालांकि, अब आप 27 साल के सत्ता विरोधी लहर को भुनाने में जुटा हुआ है। इसी वजह से केजरीवाल लगातार चुनावी दौरा कर रहे हैं।
पंजाब जीत ने बढ़ाया मनोबल
आम आदमी पार्टी को हाल ही में पंजाब में जबरदस्त जीत मिली है और भगवंत मान के नेतृत्व में सरकार भी बनाई है। वहीं गोवा में भी पार्टी का खाता खुला है, ऐसे में आप पूरे जोश में दिख रही है। केजरीवाल को गुजरात सियासत में पूरी उम्मीदें दिखने लगी हैं, जिसके चलते एक के बाद एक दौरा कर रहे हैं। केजरीवाल को ये उम्मीद है कि उनकी पार्टी पंजाब जैसा गुजरात चुनाव में भी बेहतरीन प्रदर्शन दोहराएगी।