राहुल गांधी ही नहीं इन सियासी शहजादों के लिए भी पनौती साबित हुआ 12 नंबर का सरकारी बंगला! एक प्रधानमंत्री के बेटे का तो सामान तक बाहर फिंकवा दिया गया था
बंगला या पनौती! राहुल गांधी ही नहीं इन सियासी शहजादों के लिए भी पनौती साबित हुआ 12 नंबर का सरकारी बंगला! एक प्रधानमंत्री के बेटे का तो सामान तक बाहर फिंकवा दिया गया था
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। संसदी छिनने के बाद अब राहुल गांधी से उनका बंगला छीनने की तैयारी भी पूरी हो चुकी है। राहुल गांधी फिलहाल 12 तुगलक रोड बंगले में रहते हैं। जो उन्हें एक माह के अंदर खाली करना होगा। खाली न करने पर सरकार के पास उनका सामान तक बाहर फिंकवाने का अधिकार है। ऐसे कुछ पुराने उदाहरण मौजूद भी हैं जब बड़े नेताओं के बच्चों का सामान पटरी पर फिंकवा दिया गया था। सिर्फ उदाहरण ही नहीं कुछ ऐसे इत्तेफाक भी शामिल हैं जो चौंकाने वाले हैं। इन सभी इत्तेफाकों का ताल्लुक 12 नंबर के बंगले से ही है। फिर चाहें वो 12 तुगलक रोड हो या फिर 12 जनपथ। 12 नंबर के सरकारी बंगलों में रहने वाले बेटे अपने राजनीती में अपने पिताओं के समान कद कभी हासिल नहीं कर सके। क्या अब 12 नंबर के बंगले से निकलकर राहुल गांधी सियासी बुलंदियों पर पहुंच सकेंगे। ये तो वक्त बताएगा फिलहाल आपको बताते हैं 12 नंबर का बंगला और उससे जुड़ी पनौती। जिसने राजनीतिक शहजादों को कभी शहंशाह नहीं बनने दिया या राजनीति में बुरे दिन दिखाए।
अजीत सिंह
जिस बंगले में फिलहाल राहुल गांधी रहते हैं उस बंगले में कभी पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह रहा करते थे। उन्हीं के साथ उनके बेटे अजीत सिंह सिंह भी यहीं रहे। जिन्होंने अपने पिता की राजनीतिक विरासत बखूबी संभाली और आरएलडी को नई बुलंदियों पर पहुंचाया। हालांकि अपने पिता की तरह वो देश के सर्वोच्च पद पर कभी नहीं पहुंच सके लेकिन सात बार सांसद जरूर रहे। साल 2014 में वो मुजफ्फर नगर से लोकसभा चुनाव हार गए। यहीं से उनका राजनीतिक पतन शुरू हुआ। 12 तुगलक रोड एड्रेस वाले जिस बंगले को वो अपने पिता की याद में मेमोरियल की शक्ल देना चाहते थे। उसी बंगले से बेआबरू करके निकाले गए। हार के बाद उन्होंने बंगला खाली नहीं किया तो उनका सामान ही बाहर फिंकवा दिया गया। जिसके बाद वो बरसों पुराने अपने आशियाने को छोड़ कर जाने पर मजबूर हो गए।
चिराग पासवान
12 नंबर के बंगले से चिराग पासवान का भी गहरा नाता है। वो अपने पिता रामविलास पासवान के साथ 12 जनपथ बंगले में रहते थे। ये बंगला जितना उनके पिता की राजनीति को रास आया उतना चिराग पासवान के सियासी करियर को रास नहीं आया। रामविलास पासवान मंत्री रहे और कई मर्तबा कंद्रीय मंत्री भी रहे। उनके निधन के बाद राजनीतिक विरासत चिराग पासवान को ट्रांसफर हो गई। उन्हें लोक जनशक्ति पार्टी तो मिली लेकिन नेतृत्व करने की क्षमता पिता के समान नहीं मिली। जिसकी वजह से पार्टी दो फाड़ हो गई। नाम पर हक चाचा पशुपति पारस को मिल गया। बीते बिहार चुनाव में नीतीश कुमार के खिलाफ मैदान में उतर कर चिराग पासवान ने बीजेपी की नाराजगी भी मोल ले ली।
राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी 12 तुगलक रोड स्थित बंगले में रहते हैं। उन्होंने देश की राजनीति में अपने आप को स्थापित करने के लिए काफी जोर आजमाइश की है। लेकिन उनका प्रभाव अभी उतना देखा नहीं जा रहा है। हाल ही में मोदी सरनेम को लेकर उनकी सदस्यता को लोकसभा सचिवालय ने रद्द कर दिया था। अब उनकी सदस्यता चले जाने पर सरकारी बंगला भी खाली करना पड़ेगा। इसके बाद से एक बार फिर 12 नंबर के बंगलों की राजनीतिक पनौती चर्चा में है। इस बंगले को खाली करने के बाद क्या राहुल गांधी सियासी दुनिया में कुछ कमाल दिखा सकेंगे, ये देखना भी दिलचस्प होगा।