कैश फॉर क्वेरी मामला: महुआ मोइत्रा के पक्ष में आई ममता बनर्जी, 2024 के चुनाव को लेकर कही ये बड़ी बात
अगले साल होने वाले चुनाव लेकर महुआ के समर्थन में आई ममता
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कैश फॉर क्वेरी मामले में सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें बरकरार है। इस बीच टीएमसी की मुखिया और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा कि बीजेपी ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ साजिश रची है।
उन्होंने कहा, "बीजेपी महुआ मोइत्रा को लोकसभा से हटाने की योजना बना रही है। इससे महुआ मोइत्रा को 2024 के चुनाव से पहले और अधिक लोकप्रिय मिलेगी।"
महुआ की मुश्किलें बरकरार
बता दें कि, बीते महीने 15 अक्टूबर को बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिख कर टीएमसी सांसद पर आरोप लगाया था। उन्होंने अपने लेटर में लिखा था कि महुआ मोइत्रा द्वारा संसद में 61 सवाल पूछे गए लेकिन उनमें से 50 सवाल केवल अडानी से जुड़े हैं जो पैसे लेकर पूछे गए हैं। अब इन्हीं आरोप पर महुआ मोइत्रा चौतरफा घिर गई हैं। 2 नवंबर को महुआ मोइत्रा को संसद के आचार समिति के सामने पेश होना पड़ा था। तब से ही महुआ मोइत्रा की मुश्किलें बरकरार है। टीएमसी सांसद पर आरोप है कि उन्होंने कारोबारी हीरानंदानी से कैश और गिफ्ट लेकर संसद में सवाल पूछे हैं, जो संसद की मर्यादा के खिलाफ है। इस पूरे मामले को लेकर महुआ मोइत्रा की मुश्किलें बरकरार है।
हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सांसद महुआ मोइत्रा को नई जिम्मेदारी सौंपी है। टीएमसी की मुखिया ने मोइत्रा को पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर (नदिया उत्तर) का प्रेसिडेंट बनाया है। जिसके बाद महुआ ने टीएमसी और ममता बनर्जी को शुक्रियादा किया। इधर, टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी भी महुआ मोइत्रा के समर्थन में उतर आए हैं।
अभिषेक बनर्जी ने मोइत्रा का किया बचाव
गौरतलब है कि जब से महुआ मोइत्रा पैसे लेकर संसद में सवाल पूछे जाने के मामले में फंसी है तब से ही उनकी पार्टी उनका सीधा बचाव करने से बचती रही है। हालांकि, 9 नवंबर को अभिषेक बनर्जी ने यह जरूर कहा था कि मोइत्रा खुद का बचाव करने में पूरी तरह सक्षम हैं।
इस दौरान अभिषेक बनर्जी ने आचार समिति के फैसले पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा कि अगर उनके पास मोइत्रा के खिलाफ कोई सबूत नहीं है, तो वह निष्कासन की सिफारिश कैसे कर सकते हैं? हमे लगता है कि ये प्रतिशोध की राजनीति के अलावा कुछ नहीं हैं। ये सब प्रतिशोध की राजनीति के तहत किया जा रहा है।