Delhi Liquor Scam Case: जांच एजेंसियों ने सिसोदिया पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने और 338 करोड़ लेन-देन का लगाया आरोप, जानें आज सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ
- जांच एजेंसियों ने सिसोदिया पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने का लगाया आरोप
- जांच एजेंसियों ने सिसोदिया पर 330 करोड़ लेन-देन का लगाया आरोप
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शराब घोटाला मामले में दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की मुश्किलें अभी और बढ़ सकती है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी मामले में मनीष सिसोदिया को जमानत देने से मना कर दिया है। माना जा रहा है कि अब उन्हें कम से कम छह महीने और जेल में रहना पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी 338 करोड़ रुपयों की लेनदेन का लिंक कर पा रही है इसिलए, अभी मनीष सिसोदिया को जमानत नहीं दी जा सकती है। साथ ही, कोर्ट ने कहा कि अगर निचली अदालत में यह मुकदमा 6 महीने के भीतर खत्म नहीं होता है तो मनीष सिसोदिया को दोबारा जमानत के लिए आवेदन करना होगा।
सिसोदिया की मुश्किलें बरकरार
गौरतलब है कि जब मनीष सिसोदिया दिल्ली के आबकारी मंत्री थे, तब उन पर कथित तौर पर शराब घोटले के आरोप लगे थे। इसके बाद इसी साल फरवरी में सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार किया, तब से ही वे जेल में बंद हैं। इसके बाद मनीष सिसोदिया पर प्रवर्तन निदेशालय ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इन दोनों ही मामले में हाई कोर्ट और निचली अदालत उनकी जमानत याचिका खारिज कर चुकी हैं। निचली अदालत ने साफ कहा था कि मनीष सिसोदिया आबकारी नीति में बदलाव कर घोटाले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने भी मनीष सिसोदिया पर लगे गंभीर आरोपों को देखते हुए बेल देने से मना कर दिया।
सिसोदिया पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने के आरोप
आज सुप्रीम कोर्ट में मनीष सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया है कि मामले में पैसों के लेनदेन को लेकर कोई सबूत नहीं मिले हैं इसलिए, भ्रष्टाचार या मनी लॉन्डिंग का मामला नहीं बनता है। जिसके जवाब में सीबीआई और ईडी के लिए पेश एडिशनल सॉलिसीटर जनरल एस वी राजू ने अदालत के सामने अपनी दलीलें पेश की। उन्होंने कहा कि व्हाट्सएप चैट समेत कई इलेक्ट्रॉनिक सबूत पैसों के आदान-प्रदान की तरफ इशारा करते हैं। साथ ही, जनरल एस वी राजू ने दावा किया कि दिल्ली में शराब के थोक व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए एक्साइज ड्यूटी को 5 से बढ़ा कर 12 प्रतिशत किया गया। इस दौरान थोक व्यापार में कुछ लोगों को एकाधिकार मिला। जिसके चलते सीधे तौर पर राजस्व को नुकसान पहुंचा। शराब के थोक व्यापारियों ने गलत तरीके से कमाए गए मुनाफे को अलग-अलग जगहों तक पहुंचाया। पैसों के लेन-देन की सारी बाते सिग्नल ऐप के जरिए की गई, ताकि घोटाले से जुड़े मामले को गुप्त रखा जा सके।
जानें क्यों नहीं दी गई जमानत
आज सुप्रीम कोर्ट में संजीव खन्ना और एस वी एन भट्टी की बेंच ने सुनावाई के दौरान कई कानूनी सवाल पूछे थे। जिसका जवाब जांच एजेंसियों के वकील संतोषजनक रूप से नहीं दे पाए। लेकिन उन्होंने 338 करोड़ रुपए के लेनदेन को स्थापित करने में सझम रहे। जिसके चलते याचिकाकर्ता को फिलहाल जमानत नहीं देने की बात कही गई। कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी ने अगले 3 से 6 महीने में निचली अदालत से मुकदमा खत्म होने की बात कही है। अगर मुकदमा आगे लिए बढ़ता है तो मनीष सिसोदिया फिर से बेल के लिए आवदेन दे सकते हैं।