गांधी परिवार के करीबी: इंदिरा गांधी ने कहा तीसरा बेटा, संजय गांधी की सुरक्षा की खातिर जज पर फेंके ‘गोले’, गांधी परिवार के इतने करीब थे कमलनाथ

  • कमलनाथ के कांग्रेस छोडने की अटकलें तेज
  • कांग्रेस परिवार के रहे हैं करीबी
  • राजीव और संजय के बाद कमलनाथ को तीसरा बेटी कहती थीं इंदिरा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-17 10:54 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को गांधी परिवार का काफी करीबी माना जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तो उन्हें भरी चुनावी सभा में अपना तीसरा बेटा तक करार दिया था। यह किस्सा तब का है जब कमलनाथ ने छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था। इंदिरा गांधी ने उन्हें जिस तरह चुनावी सभा में अपना तीसरा बेटा कह दिया था। उसके बाद से कमलनाथ का सियासी सफर चमक उठा था। छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से कमलनाथ को अब तक 9 बार निर्वाचित किया गया है। यहां तक कि उनका इस सीट पर इतना अधिक दबदबा रहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ को जब इस सीट से उतारा गया तो उन्हें भी जीत हासिल हुई। इस चुनाव की खास बात यह थी कि मध्य प्रदेश की कुल 29 सीटों में से कांग्रेस को जिस एक सीट पर जीत नसीब हुई थी वह कमलनाथ का गृह क्षेत्र छिंदवाड़ा था। कमलनाथ के गांधी परिवार के करीबी होने के कारण ही था कि जब 2018 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली तो ज्योतिरादित्य सिंधिया की जगह कमलनाथ को मु्ख्यमंत्री बनाया गया। हालांकि इसके बाद सिंधिया खेमे में असंतोष पैदा हुआ जिसके चलते कमलनाथ सरकार 15 महीनों में ही गिर गई।

जब इंदिरा ने कमलनाथ को बताया तीसरा बेटा

कमलनाथ ने जब छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से अपनी चुनावी शुरुआत की थी उस वक्त का एक रोचक किस्सा है। यह बात है 13 दिसंबर 1980 की जब छिंदवाड़ा जिले में कांग्रेस पार्टी की चुनावी सभा का आयोजन रखा गया था जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी चुनाव प्रचार करने आने वाली थीं। उस वक्त इंदिरा गांधी ने युवा कमलनाथ को इशारा करते हुए बड़ी बात कही थी। इंदिरा ने भरी चुनावी सभा में कहा था, ये केवल कांग्रेस पार्टी के नेता नहीं हैं, बल्कि राजीव और संजय के बाद मेरे तीसरे बेटे हैं। उनकी इस बात से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि कमलनाथ इंदिरा गांधी के कितने करीबी थे। इस सभा के बाद कमलनाथ ने अपना पहला चुनाव छिंदवाड़ा से जीत लिया था। कमलनाथ के लिए इंदिरा गांधी के शब्दों का जादू ऐसा चला कि कमलनाथ का प्रभाव छिंदवाड़ा और प्रदेश भर में बढ़ने लगा। अपने राजनीतिक करियर में कमलनाथ ने छिंदवाड़ा से 9 बार लोकसभा का चुनाव जीता। इस दौरान उन्होंने रिकॉर्ड लगातार 4 लोकसभा चुनाव में विजय हासिल की।

संजय गांधी और कमलनाथ की दोस्ती

कमलनाथ का गांधी परिवार से नजदीकियों का किस्सा बस इंदिरा गांधी तक ही सीमित नहीं है। कमलनाथ इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के भी काफी करीबी माने जाते थे। संजय से कमलनाथ की दोस्ती कॉलेज में हुई थी। राजनीति में कदम रखने से पहले कमलनाथ ने सेंट जेवियर कॉलेज कोलकाता से ग्रेजुएशन किया था। इसी दौरान उनकी मुलाकात संजय गांधी से हुई और दोनों के बीच दोस्ती हो गई। दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में संजय से कमलनाथ की दोस्ती के खूब चर्चे रहे। जब भारत में आपातकाल लगा था उस वक्त कमलनाथ गांधी परिवार के साए के रूप में उनके साथ बने रहे। इसी दौर में एक नारा भी खूब मशहूर हुआ कि इंदिरा के दो हाथ, संजय गांधी और कमलनाथ।

संजय के साथ जेल में रहने के लिए जज से लड़े कमलनाथ

वैसे तो कमलनाथ और संजय गांधी की दोस्ती के कई किस्से हैं लेकिन उनका एक किस्सा खूब मशहूर हुआ। दरअसल, संजय गांधी के साथ जेल में रहने के लिए कमलनाथ ने जज पर कागज का गोला फेंक दिया था। यह किस्सा है साल 1979 का, जब केंद्र में जनसंघ और उसके समर्थित दलों की सरकार थी। सरकार ने संजय गांधी को एक मामले में कोर्ट ने तिहाड़ जेल भेज दिया था। संजय गांधी को जेल होने पर उनकी मां इंदिरा गांधी उनकी सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित थीं। ऐसा कहा जाता है कि तब कमलनाथ ने जानबूझकर एक जज से लड़ाई कर ली थी। उन्होंने उनके ऊपर कागज का गोला बनाकर फेंक दिया था। जिसके बाद जज ने उन्हें इस मामले के चलते कोर्ट की अवमानना के चलते सात दिन के लिए तिहाड़ जेल भेज दिया था। जिससे उनकी संजय गांधी के साथ जेल में रहने की योजना सफल हो गई। इस घटना के बाद कमलनाथ गांधी परिवार के और करीबी हो गए।

सरकार में कई बड़े मंत्री पद पर रहे कमलनाथ

कमलनाथ 80 के दशक समाप्त होते होते कांग्रेस के एक बड़े राजनेता बन चुके थे। साल 1991 में जब नरसिम्हा राव की सरकार बनी तो कमलनाथ को भी पहली बार मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। साल 1991-94 तक नरसिम्हा राव के कार्यकाल में वे केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री रहे। साल 1995-96 तक वे कपड़ा मंत्री बने। फिर साल 2004-08 तक उन्होंने मनमोहन सिंह के कार्यकाल में वाणिज्य एवं उद्दोग मंत्री का पदभार संभाला। साल 2009-11 तक वे यूपीए की सरकार में केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री रहे। 2012-14 तक वे संसदीय कार्य मंत्री रहे।

Tags:    

Similar News