भास्कर एक्सक्लूसिव: राजस्थान के अजमेर में जातीय आधार पर होता है प्रत्याशियों का चयन और जीत

  • राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023
  • अजमेर जिले में आठ विधानसभा सीट
  • सात सामान्य और एक एससी सीट

Bhaskar Hindi
Update: 2023-10-13 14:29 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राजस्थान के अजमेर जिले में आठ विधानसभा सीट आती है, इनमें से सात विधानसभा सीट सामान्य अजमेर उत्तर, ब्यावर, केकड़ी,किशनगढ़,मसूदा,नसीराबाद,पुष्कर और अजमेर दक्षिण अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। अजमेर जिले में 18 लाख 50 हजार से अधिक मतदाता है। इनमें लगभग 9 लाख 45 हजार पुरुष व 9 लाख 15 हजार महिला मतदाता शामिल हैं।  औसत हर विधान सभा क्षेत्र में सवा दो लाख मतदाता है। जातिगत आधार पर दो से ढाई लाख जाट, दो लाख रावत, डेढ़ लाख राजपूत, डेढ़ लाख गुर्जर, सवा लाख ब्राह्मण, सवा लाख वैश्य, ढाई लाख एससी व एसटी, दो लाख मुस्लिम, दो लाख ओबीसी, पचास हजार इसाई, सत्तर हजार सिंधी, इतने ही करीब माली मतदाता है।  जातीय समीकरण के हिसाब से बीजेपी जाट और रावत मतदाताओं पर भरोसा रखती है, वहीं कांग्रेस  गुर्जर, राजपूत, मुस्लिम, इसाई, माली, वैश्य, एसटी व ओबीसी समुदाय को साधने में लगी हुई है।

अजमेर विधानसभा सीट

2018 में बीजेपी से वसुदेव देवनानी

2013 में बीजेपी से वसुदेव देवनानी

2008 में बीजेपी से वसुदेव देननानी

अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र सिंधी बाहुल्य है। अजमेर उत्तर विधानसभा सीट पर दो दशक से बीजेपी का कब्जा है। बीजेपी के वासुदेव देवनानी लगातार चौथी बार यहां से विधायक हैं। कांग्रेस यहां गुटबाजी से जीतने में असफल होती है। इसी विधानसभा क्षेत्र में ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह है जो अजमेर शहर में चार चांद लगा देती। यहां आनासागर झील है, जो मानव निर्मित है, झील के चारों ओर बसा हुआ अजमेर उत्तर विधानसभा का बड़ा क्षेत्र है। अजमेर शहर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गढ़ रहा है। यहां के चुनाव में आरएसएस की सक्रियता समय दर समय बढ़ती जा रही है। यहां पेयजल, सड़क, सीवेज, रोजगार, पार्किंग समस्या है।

केकड़ी विधानसभा सीट

2018 में कांग्रेस से रघु शर्मा

2013 में बीजेपी से शत्रुघन गौतम

2008 में कांग्रेस से रघुनंदन

2003 में बीजेपी से गोपाल लाल धोबी

केकड़ी विधानसभा सीट पर बारी बारी से बीजेपी और कांग्रेस चुनाव जीतती आ रही है। चुनाव में यहां रोचक मुकाबला दिखाई देता है। यहां कि जातीय समीकरण की बात की जाए तो  गुर्जर-25 हजार, ब्राह्मण-22 हजार, राजपूत-12 हजार, माली-10 हजार, वैश्य-20 हजार, एसटी-10 हजार, एससी-60 हजार, मुस्लिम-20 हजार और अन्य समुदाय के मतदाता है। केकड़ी में अवैध बजरी खनन और परिवहन, भ्रष्टाचार, ग्रामीण क्षेत्र की खस्ता सड़कें,मुख्य मुद्दे हैं। केकड़ी  व्यवसायिक, खनन, मिनरल्स और कृषि आधारित जिला है। यहां साफ सफाई , प्रदूषण की समस्या विराट है।

किशनगढ़ विधानसभा सीट

2018 में आरएलटीपी से हनुमान बेनीवाल

2013 में निर्दलीय हनुमान बेनिवाल

2008 में बीजेपी से हनुमान बेनिवाल

किशनगढ़ सीट जाट बाहुल्य सीट है। राजनीतिक पार्टियां भी जातिगत वोटरों के आधार पर अपना उम्मीदवार उतारती है। एक तरह से ये कहा जाए कि प्रत्याशी चयन से लेकर जीतने तक जाति ही हावी होती है।   

मसूदा विधानसभा सीट

2018 में कांग्रेस से राकेश पाठक

2013 में बीजेपी से सुशील कंवर

2008 में निर्दलीय ब्रह्मदेव

2003 में बीजेपी से विष्णु मोदी

2008 के परिसीमन के बाद कांग्रेस गढ़ वाली मसूदा विधानसभा सीट का गणित गड़बड़ा गया। परिसीमन के बाद सीट का सियासी मिजाज भी बदल गया। दरअसल 2008 में भीनाय विधानसभा सीट की 25 ग्रामीण पंचायत को खत्म करके मसूदा विधानसभा अस्तित्व में आई थी। सीट पर जातिगत वोटरों की बात की जाए तो सबसे अधिक मतदाता ओबीसी वर्ग से है। ओबीसी में भी मेहरात-काठात ,गुर्जर,रावत, जाट समुदाय के मतदाता है, उसके बाद 30 हजार के करीब एससी वोटर्स है। क्षेत्र में अवैध खनन प्रमुख समस्या है।बिजली , पेयजल, सड़क, शिक्षा, चिकित्सा क्षेत्र की प्रमुख समस्या है।

नसीराबाद विधानसभा सीट

2018 में बीजेपी से रामस्वरूप लाम्बा

2013 में बीजेपी से सनवर लाल

2008 में कांग्रेस से महेंद्र सिंह

2003 में कांग्रेस से गोविंद सिंह

1957 से लेकर 2018 तक 9 बार कांग्रेस ने नसीराबाद से जीत हासिल की है। लेकिन साल 2013 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी ने कांग्रेस के इस अभेद किले को ढहा दिया था।  नसीराबाद विधानसभा सीट के जातिगत समीकरण की बात की जाए तो गुर्जर और जाट समाज के मतदाता सर्वाधिक हैं। वहीं, रावत और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी अधिक है।  विधानसभा क्षेत्र में  38 हजार 400 गुर्जर , 35 हजार 500 जाट , 38 हजार 200 एससी वोटर्स हैं। उसके बाद करीब 17 हजार मुस्लिम  , 26 हजार 100 रावत, 7 हजार 985 राजपूत , 15 हजार वैश्य है। उसके  ब्राह्मण और यादव मतदाताओं की संख्या है। नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र में साफ सफाई, सड़क ,नाली समेत कई बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।

पुष्कर विधानसभा सीट

2018 में बीजेपी से सुरेश सिंह रावत

2013 में बीजेपी से सुरेश सिंह रावत

2008 में कांग्रेस से नसीम अख्तर इंसाफ

पुष्कर हिंदुओं का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है, पुष्कर ब्रह्मा की नगरी है। पुष्कर में ग्रामीम मतदाताओं की रोजी रोटी कृषि और बागवानी आधारित है, वहीं शहरी लोगों की पर्यटन है। यहां पार्टियों का वर्गवार वोट बंटा हुआ है। यहां रावत मतदाताओं का दबदबा है, रावत मतदातओं के बाद मुस्लिम और अनुसूचित जाति वोटर्स की संख्या है। उसके बाद ब्राह्मण गुर्जर, राजपूत,और, वैश्य वोटर्स है।

रावत, ब्राह्णण ,राजपूत और वैश्य बीजेपी और मुस्लिम, गुर्जर,जाट और एससी वोटर्स कांग्रेस के साथ है। यहां शहर में बीजेपी और ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस मजबूत है। बुनियादी सुविधाओं के अभाव में यहां लोग जीवन जी रहै है। पेयजल और सिंचाई के लिए पानी का संकट यहां बना रहता है।

अजमेर दक्षिण विधानसभा सीट

2003 में बीजेपी से अनिता भदेल

2008 में बीजेपी की अनिता भदेल

2013 में बीजेपी से अनिता भदेल

2018 में बीजेपी की अनिता भदेल

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित अजमेर दक्षिण विधानसभा सीट को बीजेपी का अभेद किला माना जाता है। 2003 से यहां लगातार बीजेपी चुनाव जीतती आ रही है। जिले की अधिकतर शिक्षण संस्थाओं के साथ कुछ उद्योग इसी इलाके में आते है। विधानसभा क्षेत्र में संघ की मजबूत पकड़ मानी जाती है। यहीं वजह है कि बीते दो दशक से यहां भाजपा का कब्जा है। कांग्रेस में यहां गुजबाजी देखने को मिलती है जिसके चलते चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ता है। सीट पर जातिगत समीकरण की बात की जाए तो अनुसूचित जाति के वोटर्स यहां सर्वाधिक है। एससी मतदाता चुनाव में निर्णायक भूमिका में होते है। चुनाव में माली और सिँधी समुदाय के मतदाता भी चुनाव की दिशा तय करते है। क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। साफ सफाई,स्वास्थ्य , सड़क की हालात खराब है।

ब्यावर विधानसभा सीट

2003 में कांग्रेस से चंद्रकांता मिश्रा

2008 में बीजेपी से शंकर सिंह रावत

2013 में बीजेपी से शंकर सिंह रावत

2018 में बीजेपी से शंकर सिंह रावत

ब्यावर विधानसभा सीट का अपना एक अलग ऐतिहासिक महत्व है। पिछले तीन विधानसभा चुनावों 2008 से लेकर 2018 तक यहां से बीजेपी चुनाव जीतती आ रही है। ब्यावर को व्यापारिक केंद्र के तौर पर देखा जाता है। यहां ओबीसी और एससी वोटर्स की संख्या सर्वाधिक है। ओबीसी में रावत और मेहरात मतदाताओं की तादाद सबसे अधिक है। उसके बाद अनुसूचित जाति , ब्राह्मण और वैश्य मतदाता है। यहां बिजली, शिक्षा , सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है।

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